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तिरंगा फहराने के जान लें नियम, नहीं तो हो सकती है जेल

गणतंत्र दिवस को सभी लोग उत्साहपूर्वक राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराते हैं, लेकिन नियमों का पालन करने में अक्सर चूक हो जाती है। आइए जानते हैं क्या हैं प्रावधान...।

By Rajesh PatelEdited By: Published: Thu, 24 Jan 2019 11:37 AM (IST)Updated: Thu, 24 Jan 2019 11:37 AM (IST)
तिरंगा फहराने के जान लें नियम, नहीं तो हो सकती है जेल
तिरंगा फहराने के जान लें नियम, नहीं तो हो सकती है जेल

 सिलीगुड़ी [जागरण स्पेशल]। भारतीय ध्वज संहिता भारतीय ध्वज को फहराने व प्रयोग करने के बारे में दिये गए निर्देश हैं। इस संहिता का आविर्भाव 2002 में किया गया था। भारत का राष्ट्रीय झंडा, भारत के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिरूप है। यह राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है। सभी के मार्गदर्शन और हित के लिए भारतीय ध्वज संहिता-2002 में सभी नियमों, रिवाजों, औपचारिकताओं और निर्देशों को एक साथ लाने का प्रयास किया गया है। ध्वज संहिता-भारत के स्थान पर भारतीय ध्वज संहिता-2002 को 26 जनवरी 2002 से लागू किया गया है। इसका उल्लंघन करने पर कानून में सजा का प्रावधान है।

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आइए जानते हैं इसके प्रमुख बिंदु...

  • जब भी झंडा फहराया जाए तो उसे सम्मानपूर्ण स्थान दिया जाए। उसे ऐसी जगह लगाया जाए, जहां से वह स्पष्ट रूप से दिखाई दे।
  • सरकारी भवन पर झंडा रविवार और अन्य छुट्‍टियों के दिनों में भी सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराया जाता है, विशेष अवसरों पर इसे रात को भी फहराया जा सकता है।
  • झंडे को सदा स्फूर्ति से फहराया जाए और धीरे-धीरे आदर के साथ उतारा जाए। फहराते और उतारते समय बिगुल बजाया जाता है तो इस बात का ध्यान रखा जाए कि झंडे को बिगुल की आवाज के साथ ही फहराया और उतारा जाए।
  • जब झंडा किसी भवन की खिड़की, बालकनी या अगले हिस्से से आड़ा या तिरछा फहराया जाए तो झंडे को बिगुल की आवाज के साथ ही फहराया और उतारा जाए।
  • झंडे का प्रदर्शन सभा मंच पर किया जाता है तो उसे इस प्रकार फहराया जाएगा कि जब वक्ता का मुंह श्रोताओं की ओर हो तो झंडा उनके दाहिने ओर हो।
  • झंडा किसी अधिकारी की गाड़ी पर लगाया जाए तो उसे सामने की ओर बीचोंबीच या कार के दाईं ओर लगाया जाए।
  • फटा या मैला झंडा नहीं फहराया जाता है।
  • झंडा केवल राष्ट्रीय शोक के अवसर पर ही आधा झुका रहता है।
  • किसी दूसरे झंडे या पताका को राष्ट्रीय झंडे से ऊंचा या ऊपर नहीं लगाया जाएगा, न ही बराबर में रखा जाएगा।
  • झंडे पर कुछ भी लिखा या छपा नहीं होना चाहिए।
  • जब झंडा फट जाए या मैला हो जाए तो उसे एकांत में पूरा नष्ट किया जाए।

अब रात में भी फहरा सकते हैं तिरंगा, लेकिन हैं कुछ शर्तें
भारतीय नागरिक अब रात में भी राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहरा सकते हैं। इसके लिए शर्त होगी कि झंडे का पोल वास्तव में लंबा हो और झंडा खुद भी चमके। गृह मंत्रालय ने उद्योगपति सांसद नवीन जिंदल द्वारा इस संबंध में रखे गए प्रस्ताव के बाद यह फैसला किया। इससे पहले जिंदल ने हर नागरिक के मूलभूत अधिकार के तौर पर तिरंगा फहराने के लिहाज से अदालती लड़ाई जीती थी।
कांग्रेस नेता जिंदल को दिए गए संदेश में मंत्रालय ने कहा कि प्रस्ताव की पड़ताल की गई है और कई स्थानों पर दिन और रात में राष्ट्रीय ध्वज को फहराने के लिए झंडे के बड़े पोल लगाने पर कोई आपत्ति नहीं है। जिंदल ने जून 2009 में मंत्रालय को दिए गए प्रस्ताव में बड़े आकार के राष्ट्रीय ध्वज को स्मारकों के पोलों पर रात में भी फहराए जाने की अनुमति मांगी थी।
जिंदल ने कहा था कि भारत की झंडा संहिता के आधार पर राष्ट्रीय ध्वज जहां तक संभव है, सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच फहराया जाना चाहिए, लेकिन दुनियाभर में यह सामान्य है कि बड़े राष्ट्रीय ध्वज 100 फुट या इससे उंचे पोल पर स्मारकों पर दिन और रात फहराए गए होते हैं।
मलेशिया, जार्डन, अबू धाबी, उत्तर कोरिया, ब्राजील, मेक्सिको और तुर्कमेनिस्तान जैसे देशों का उदाहरण देते हुए जिंदल ने भारत के लिए भी इस तरह का प्रस्ताव रखा था। इन देशों में स्मारकों पर रात में झंडे लगे होते हैं।
जिंदल के पत्र के जवाब में मंत्रालय ने कहा कि इस तरह के पोल लगाए जा सकते हैं, रात में झंडों के चमकने के लिए उचित प्रकाश व्यवस्था होनी चाहिए, जिसमें बिजली जाने की स्थिति में बैकअप व्यवस्था हो। इसके अलावा किसी प्राकतिक कारण से झंडे को नुकसान पहुंचने के तुरंत बाद इसे बदला जाए।
जिंदल ने इससे पहले भारत के नागरिकों को सार्वजनिक तौर पर तिरंगा फहराने की इजाजत मिलने के लिए अभियान छेड़ा था और सुप्रीम कोर्ट ने 1996 में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, जिसमें देश के प्रत्येक नागरिक को सम्मान, मर्यादा के साथ राष्ट्रीय ध्वज फहराने को एक मूलभूत अधिकार बताया गया।


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