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West bengal में चुनाव की घोषणा के पहले जानें क्या हैं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के उत्तर बंगाल दौरे के मायने

होने वाले विधान सभा चुनाव मे उत्तर बंगाल मे पैर मजबूत करना राज्य सत्ताधारी तृणमूल के लिए आवश्यक है। लेकिन एक के बाद एक तृणमूल सरकार के धाकड़ मंत्री व नेताओं के पाला बदल कर भाजपा का दामन थामने का सिलसिला तृणमूल की राह को कठिन बनाता जा रहा है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Mon, 01 Feb 2021 06:46 PM (IST)Updated: Mon, 01 Feb 2021 06:46 PM (IST)
West bengal में चुनाव की घोषणा के पहले जानें क्या हैं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के उत्तर बंगाल दौरे के मायने
उत्तर बंगाल मे पैर मजबूत करना राज्य सत्ताधारी तृणमूल के लिए आवश्यक

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : होने वाले विधान सभा चुनाव मे उत्तर बंगाल मे पैर मजबूत करना राज्य सत्ताधारी तृणमूल के लिए आवश्यक है। लेकिन एक के बाद एक तृणमूल सरकार के धाकड़ मंत्री व नेताओं के पाला बदल कर भाजपा का दामन थामने का सिलसिला तृणमूल की राह को कठिन बनाता जा रहा है। ऐसी स्थिति मे उत्तर बंगाल को लेकर बनाई जा रही चुनावी रणनीति मे पार्टी के नेता-मंत्रियों और राजनीतिक सलाहकार प्रशांत किशोर (पीके) के रिपोर्ट मे आकाश-पाताल का अंतर तृणमूल सुप्रीमो को बैचेन कर रहा है। पीके और पार्टी के नेता-मंत्रियों द्वारा किए चुनावी सर्वेक्षण की जमीनी हकीकत जाँचने के उद्देश्य से ही तृणमूल सुप्रीमो सह राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चार दिवसीय उत्तर बंगाल दौरे पर पहुंची हैं।

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अप्रैल महीने मे पश्चिम बंगाल मे विधान सभा चुनाव होने की प्रबल संभावना है। राज्य की सभी राजनीतिक दल विधान सभा चुनाव की तैयारी मे जुट गई है। वर्तमान राजनीतिक माहौल को ध्यान मे रखते हुए इस बार राज्य सत्ताधारी तृणमूल कॉंग्रेस का सीधा मुक़ाबला केंद्र सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से होना तय माना जा रहा है। विधान सभा परीक्षा मे जीत के लक्ष्य को भेदने के लिए तृणमूल के राजनीतिक सलाहकार प्रशांत किशोर (पीके) और उनकी टीम तृणमूल के हर नेता-मंत्री, बूथ से जिला स्तरीय कमेटी के लिए पाठ्यक्रम की भांति कार्यसूची तैयार कर दिया है। बल्कि तृणमूल नेता-मंत्री और कमेटी के पदाधिकारियों को स्कूली बच्चों की तरह गृहकार्य भी दिया जा रहा है। दिये गए कार्य को पूरा कर नेता-मंत्रियों को रिपोर्ट पीके की टीम को सौंपना होता है। फिर वह रिपोर्ट पीके स्वयं जांच कर मार्क्स देते हैं। पिछड़े नेता-मंत्रियों को प्रसिक्षण देने की व्यवस्था भी पीके व उनकी टीम ने किया है। पीके की कार्यसूची के तहत ही तृणमूल के नेता-मंत्री राजनीतिक गतिविधियां कर रहे हैं। बल्कि रैली, पदयात्रा, विरोध प्रदर्शन और पत्रकार सम्मेलन की विषय-वस्तु तक पीके द्वारा निर्धारित है। इसी कार्यसूची के तहत तृणमूल के नेता-मंत्री घर-घर जा कर स्वास्थ साथी कार्ड के संबंध मे पूछताछ, जानकारी और बनवाने मे सहायता कर रहे है। बल्कि इसी क्रम मे लोगों को राज्य सरकार की जन-कल्याणकारी योजनाओ के बारे मे बताकर चुनाव प्रचार भी कर रहे हैं।

सबकुछ योजना के मुताबिक चलने के बाद भी उत्तर बंगाल को लेकर तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी और तृणमूल के राजनीतिक सलाहकार पीके काफी चिंतित हैं। वहीं दूसरी ओर उत्तर बंगाल को लेकर पीके और तृणमूल के नेता-मंत्रियों द्वारा किए सर्वेक्षण की रिपोर्ट मे काफी अंतर तृणमूल सुप्रीमो को परेशान कर रहा है। उत्तर बंगाल के प्रत्येक जिले मे पार्टी का जनाधार सहित तृणमूल सुप्रीमो ने विधान सभा चुनाव परिणाम का एक आंकलन रिपोर्ट नेता-मंत्रियों और राजनीतिक सलाहकार पीके से भी मांगा था। पार्टी सूत्रों की माने तो उत्तर बंगाल के कुल आठ जिलो मे 54 विधान सभा सीट मे से 32 से 37 सीट पर घासफूल का पताका लहराने का दावा तृणमूल के जिला कमेटियों ने किया है। वहीं सर्वेक्षण के बाद प्रशांत किशोर उत्तर बंगाल मे 54 मे से अधिकतम 25 सीट पीआर तृणमूल उम्मीदवारों के जीतने की संभावना जताई है। जिसमे सिलीगुड़ी, जलपाईगुरि, डुआर्स और उत्तर दिनाजपुर की कई विधान सभा मे जनता-जनार्दन के मत का आंकलन काफी कठिन बताया है। वर्ष 2019 के लोक सभा चुनाव मे उत्तर बंगाक के 54 मे 38 विधान सभा सीट पर तृणमूल फिसड्डी थी। पीके की रिपोर्ट मे इन 38 मे 20 सीट पर  विधान सभा चुनाव मे जीत हासिल करने का अनुमान लगाया गया है। वैसे भी दार्जिलिंग जिले मे तृणमूल पैर नहीं जमा पाई है। दार्जिलिंग लोक सभा पर भाजपा का वहीं, पहाड़ की तीन विधान सभा पर गोर्खा जनमुक्ति मोर्चा के अधीन रहा। लेकिन इस बार गोजमुमो के विमल गुरुङ और विनय तमांग का तृणमूल के समर्थन मे रहने से सुप्रीमो और पीके को पहाड़ की तीन विधान सभा सीट पीआर काफी उम्मीद है। वहीं सिलीगुड़ी विधान सभा के साथ सिलीगुड़ी नगर निगम, सिलीगुड़ी महकमा परिषद पीआर माकपा का एक छत्र राज रहा है। इसके अतिरिक्त माटीगाड़ा-नकसलबाड़ी और फ़ांसीदेवा विधान सभा सीट काँग्रेस के कब्जे मे है। इसलिए विधान सभा चुनाव को लेकर पीके के पाठ्यक्रम मे सिलीगुड़ी के नेता-मंत्रियों के कार्य भी अधिक है।  

राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सोमवार दोपहर 2 बजकर 10 मिनट पर बागडोगरा पहुंची। विधान सभा चुनाव की घोषणा के पहले मुख्यमंत्री सह तृणमूल सुप्रीमो का यह अंतिम उत्तर बंगाल दौरा माना जा रहा है। उत्तर बंगाल को लेकर पार्टी के नेता-मंत्री और सलाहकार पीके की समीक्षा रिपोर्ट की गहराई भी सुश्री स्वयं नापेंगी। बुधवार को अलीपुरदुआर के परेड ग्राउंड मे जनसभा को संबोधित कर तृणमूल सुप्रीमो वापस सिलीगुड़ी लौटेंगी। गुरुवार की दोपहर बाद 3 बज कर 10 मिनट पीआर वह बागडोगरा एयरपोर्ट से कोलकाता के लिए रवाना होंगी। उसके पहले गुरुवार की सुबह दार्जिलिंग समेत उत्तर बंगाल के तमाम आला नेता व मंत्रियों के साथ गहन बैठक के कयास लगाए जा रहे हैं।


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