महामारी ने संगीत शिक्षा को दिखाया नया रास्ता, दिया नया आयाम
-सिलीगुड़ी समेत उत्तर बंगाल के दर्जन भर से अधिक स्कूलों के संगीत शिक्षकों ने पेश की राय -दै
-सिलीगुड़ी समेत उत्तर बंगाल के दर्जन भर से अधिक स्कूलों के संगीत शिक्षकों ने पेश की राय
-दैनिक जागरण ने संगीत का महत्व और महामारी के दौरान संगीत कक्षाएं विषय पर आयोजित की वेब-गोष्ठी जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : एक न दिख सकने वाले कोरोना ने दुनिया को बहुत कुछ दिखाया है। इसने जनजीवन के लगभग हर पहलू पर अपना असर डाला है। इससे गीत-संगीत जगत व इसकी शिक्षा का क्षेत्र भी अछूता नहीं है। वर्तमान महामारी के काल में क्या है संगीत शिक्षा का हाल? कैसी है चुनौतिया? और क्या-क्या खुले हैं नए अवसर?इन सारे पहलुओं को टटोलने के लिए दैनिक जागरण (सिलीगुड़ी) की ओर से बुधवार को संगीत का महत्व और महामारी के दौरान संगीत कक्षाएं विषयक वेब-गोष्ठी आयोजित की गई। इस परिचर्चा गोष्ठी में सिलीगुड़ी समेत उत्तर बंगाल से दर्जन भर से अधिक स्कूलों के संगीत शिक्षकों ने भाग लिया और अपनी राय रखी।
इस विषय पर अपनी राय रखते हुए जी. डी. गोयनका पब्लिक स्कूल (सिलीगुड़ी) के संगीत शिक्षक शेन विलियम सेविएल ने कहा की वर्तमान महामारी ने संगीत शिक्षा को पारंपरिक कक्षाओं से निकाल कर एक नया आयाम दिया है। अब ऑनलाईन कक्षाओं में अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर व ऐप्स के माध्यम से संगीत शिक्षा नए रास्ते पर चलने लगी है। टेक्नो इंडिया ग्रुप पब्लिक स्कूल (बालुरघाट-दक्षिण) दिनाजपुर की संगीत शिक्षिका सुमिता शर्मा बख्शी ने कहा की वर्तमान महामारी ने संगीत शिक्षा को भी नया रास्ता दिखाया है। नया आयाम दिया है। पहले जब हम आमने-सामने कक्षाएं करते थे तो एक-एक करके बच्चे वाद्ययंत्र सीखते थे। फिर, घरों की बात करें तो हर विद्यार्थी के घर पर वाद्ययंत्र उपलब्ध नहीं होते थे जो वे अभ्यास कर पाएं। मगर, अब जब आमने-सामने की कक्षाएं चूंकि फिलहाल स्थगित हैं और संगीत शिक्षा को एक नया ऑनलाईन प्लेटफॉर्म मिला है तो इस माध्यम से वे बच्चे भी तरह-तरह के वाद्य यंत्रों के ऐप्स से गाना बजाना सीख रहे हैं जिनके अपने घर हारमोनियम, सिंथेसाइजर या कोई वाद्य यंत्र नहीं होता है। ऑनलाईन बहुत से वाद्ययंत्रों के ऐप्स, तरह-तरह की धुन, एक से एक संगीत उपलब्ध हैं जिसके सहारे संगीत शिक्षा को एक नया आयाम मिला है।
अमरपति लायंस सिटीजेंस पब्लिक स्कूल के संगीत शिक्षक पृथ्वी पाल ने कहा कि आमने-सामने की संगीत कक्षाओं में जो बच्चे शर्माते थे वे बच्चे भी अब महामारी में ऑनलाईन कक्षाओं में बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं। उनकी हिचक कम हुई है। एच.बी. विद्यापीठ की संगीत शिक्षिका सहेली बोस ने भी कहा कि महामारी ने संगीत शिक्षा को भी नया रूप दिया है। मतलब, अब हम ऑनलाईन संगीत कक्षाएं आयोजित करने लगे हैं। इसमें एक जो सबसे अहम चीज उभर कर सामने आई है वह यह कि आमने-सामने की कक्षाओं में जो बच्चे लजाते-सकुचाते थे वे बच्चे अब अपनी हिचक तोड़कर बेहिचक गाने बजाने में बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं। उनके व्यक्तित्व को एक नया निखार मिला है। एयर फोर्स स्कूल (बागडोगरा) की संगीत शिक्षिका रीता सरकार ने कहा कि पहले जब स्कूल खुले थे तो बच्चे आधा दिन स्कूल व आधा दिन घर में गुजारते थे। मगर, वर्तमान महामारी में बच्चों को दिन-रात लगातार घरों में ही गुजारना पड़ रहा है। वे बाहर नहीं निकल सकते। कहीं जा नहीं सकते। ऐसे में उन की मन:स्थिति को बेहतर रखने में संगीत शिक्षा बहुत ही अहम भूमिका निभा रही है। श्री श्री एकेडमी (सिलीगुड़ी) के संगीत शिक्षक प्रशात सुब्बा ने भी यही विचार व्यक्त किया के संगीत शिक्षा आज दिन रात लगातार घरों में रहने को मजबूर बच्चों को बहुत राहत प्रदान कर रही है। लिट्ल फ्लावर स्कूल (अलीपुरद्वार) की संगीत शिक्षिका अनामिका दाम ने कहा कि वर्तमान महामारी के काल में संगीत शिक्षा विद्याíथयों के तनाव प्रबंधन में बहुत अहम रोल अदा कर रही है। कैंपियन इंटरनेशनल स्कूल के संगीत शिक्षक दर्पण राई ने भी कहा कि वर्तमान समय में जबकि महामारी में हर कोई दिन रात एक ही जगह गुजारने को मजबूर है। कहीं बाहर आना जाना न के बराबर है। ऐसे समय में संगीत शिक्षा बहुत ही ज्यादा राहत दे रही है। दिल्ली पब्लिक स्कूल (फूलबाड़ी) के संगीत शिक्षक विश्वजीत एन बागची ने भी कहा कि वर्तमान महामारी के चलते चूंकि स्कूल बंद हैं। अन्य शिक्षा की भाति संगीत शिक्षा भी ऑनलाइन माध्यम से ही हो रही है। ऐसे में संगीत के यंत्रों को सीखने सिखाने में थोड़ी समस्या है। मगर, संगीत शिक्षा के अन्य पहलुओं को इससे बहुत सुविधा भी प्राप्त हुई है। वर्तमान महामारी के काल में मानसिक, शारीरिक राहत व व्यक्तित्व को शाति प्रदान करने की दिशा में भी संगीत संगीत शिक्षा बेहतर रोल अदा कर रही है। वहीं, सिलीगुड़ी मॉडल हाईस्कूल की संगीत शिक्षिका सरसी दत्त ने कहा कि संगीत एक ऐसी चीज है जो घर-बाहर या कहीं भी लोगों के लिए बहुत-बहुत राहत भरा साथी है। वर्तमान महामारी के समय में दिन-रात घरों में रहने को मजबूर बच्चों को संगीत शिक्षा बहुत संभल दे रही है। एयर फोर्स स्कूल (हासीमारा) के संगीत शिक्षक अमल सरकार ने कहा कि संगीत गुरु आधारित विद्या है। इसमें गुरु शिष्य का आमने सामने होना व रियाज करना आवश्यक है। परंतु, वर्तमान महामारी के समय यह संभव नहीं हो पा रहा है। मगर, इसने एक नया रास्ता दिखाया है जो ऑनलाईन प्लेटफॉर्म, ऐप्स और टेक्नोलॉजी के उपयोग की ओर ले जा रहा है। यह निश्चित रूप से संगीत शिक्षा के लिए एक नया व बेहतर आयाम है। शारदा विद्या मंदिर (राजगंज) की संगीत शिक्षिका सुमिता मुखर्जी ने कहा कि महामारी ने संगीत शिक्षा की कक्षाओं को नया ऑनलाईन रूप दिया है। इसमें बड़े बच्चों को तो संगीत सिखाने में उतनी परेशानिया नहीं हैं, मगर छोटे बच्चों को संगीत सिखाने में जरूर थोड़ी मुश्किल है। इसके बावजूद वे बहुत आनंद ले रहे हैं और बढ़-चढ़कर सीख रहे हैं। बिरला दिव्या ज्योति स्कूल की संगीत शिक्षिका प्रत्यूषा साहा ने कहा कि महामारी की शुरुआत में जब अचानक से हम सभी को पारंपरिक कक्षाओं से निकलकर ऑनलाईन जाना पड़ा तब कुछ दिनों के लिए शिक्षकों व विद्याíथयों दोनों के सामने नई चुनौतिया थीं। मगर, जल्द ही हम सब उन चुनौतियों से उबर चुके हैं। अब अत्याधुनिक प्लेटफॉर्म पर एक नए रास्ते व एक नए आयाम के साथ संगीत शिक्षा नए रास्ते पर अग्रसर है। इसका बहुत ही बहुत फायदा लोगों को मिल रहा है।
नई शिक्षा नीति में संगीत शिक्षा पर भी जोर-डॉ एसएस अग्रवाल
इस अवसर पर अतिथि वक्ता के रूप में सिलीगुड़ी मॉडल हाईस्कूल के प्राचार्य व सीबीएसई स्कूलों के संयुक्त मंच नार्थ बंगाल सहोदय स्कूल कंपलेक्स के अध्यक्ष डॉ एसएस अग्रवाल ने कहा कि संगीत की न केवल विद्याíथयों बल्कि हर किसी के जीवन में अहम भूमिका है। नई शिक्षा नीति में संगीत शिक्षा पर भी विशेष जोर दिया गया है। वर्तमान महामारी में इसने महामारी से जूझ रहे रोगियों समेत हर किसी को बहुत सहारा दिया है। संगीत शिक्षा की जहा तक बात है तो महामारी ने इसे अत्याधुनिक प्लेटफार्म के उपयोग का भी रास्ता दिखाया है। अब जो भारत सरकार नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ला रही है उससे भी संगीत शिक्षा को एक नया बेहतर व सशक्त आयाम मिलेगा।
महामारी से संगीत शिक्षा जगत भी अछूता नहीं है-डॉ संतोष कुमार
इस अवसर पर मुख्य अतिथि वक्ता के रूप में सिक्किम विश्वविद्यालय के संगीत विभाग के अध्यक्ष डॉ संतोष कुमार ने कहा कि बेशक महामारी ने सब कुछ का स्वरूप बदला है। इससे संगीत शिक्षा जगत भी अछूता नहीं है। मगर, फिर भी विश्वविद्यालय में चूंकि विद्यार्थी वयस्क होते हैं। अत: उन्हें शिक्षण देना उतना जटिल नहीं होता जितना कि स्कूलों के नन्हे-मुन्ने बच्चों को संगीत की शिक्षा देना जटिल होता है। इसलिए यह चुनौतीपूर्ण तो है मगर अत्याधुनिक तकनीक का सहारा लेकर इसे बहुत ही राहत भरा भी बनाया जा सकता है व जा रहा है। उन्होंने कहा कि अपने देश में यह बड़ी विडंबना है कि उच्च शिक्षा की बात करें तो संगीत शिक्षा का क्षेत्र अभी भी खाली पड़ा है। विशेषकर, इस क्षेत्र में शोध बहुत ही नाम मात्र हो रहे हैं। अत: इस क्षेत्र में बहुत ही संभावनाएं हैं। अभिभावकों को विद्याíथयों को चाहिए कि वे संगीत शिक्षा जगत की ओर भी करियर की संभावनाओं के साथ आगे बढ़ें और सफलता प्राप्त करें। इस अवसर पर उन्होंने बड़े ही मधुर अंदाज में राग पहाड़ी पर बासुरी बजा कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। दुनिया जादू का खिलौना है..
इस गोष्ठी में दिल्ली पब्लिक स्कूल (गया) कि संगीत विशेषज्ञ शिक्षिका हेमंती मोदक पटना से सम्मिलित हुईं। उन्होंने अपने बड़े ही निराले अंदाज और मीठी आवाज में दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है.. मिल जाए तो मिट्टी है, खो जाए तो सोना है.. गायन प्रस्तुत कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। इस गोष्ठी का ऑनलाइन सीधा प्रसारण भी किया गया जिसे हजारों लोगों ने देखा व सुना।