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श्रीराम मंदिर आंदोलन में बंगाल से राम मंदिर आंदोलन में जान गंवाने वाले कोठारी बंधुओं के परिजन को मिला निमंत्रण

भूमिपूजन के लिए आखिरकार श्रीराम मंदिर आंदोलन में बंगाल से राम मंदिर आंदोलन में जान गंवाने वाले कोठारी बंधुओं के परिजन को आमंत्रित किया गया है।

By Pooja SinghEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2020 10:12 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2020 10:21 PM (IST)
श्रीराम मंदिर आंदोलन में  बंगाल से राम मंदिर आंदोलन में जान गंवाने वाले कोठारी बंधुओं के परिजन को मिला निमंत्रण
श्रीराम मंदिर आंदोलन में बंगाल से राम मंदिर आंदोलन में जान गंवाने वाले कोठारी बंधुओं के परिजन को मिला निमंत्रण

सिलीगुड़ी, अशोक झा। अयोध्या में श्रीराम मंदिर को लेकर पांच अगस्त को भूमिपूजन होने जा रहा है। इसके लिए जोरशोर से तैयारियां की जा रही हैं। भूमिपूजन के लिए आखिरकार श्रीराम मंदिर आंदोलन में  बंगाल से राम मंदिर आंदोलन में जान गंवाने वाले कोठारी बंधुओं के परिजन को आमंत्रित किया गया है। परिवार काफी खुश व उत्साहित है। दैनिक जागरण से  रामजन्म भूमि आंदोलन में अपने प्राण न्योछावर करने वाले राम कुमार कोठारी व शरद कोठारी की बहन पूर्णिमा कोठारी से  निमंत्रण मिलने की पुष्टि की। कहा ऐसे 27 जुलाई को भेजा गया है। जो  31जुलाई को प्राप्त हुआ। कहा वे दैनिक जागरण के आभारी है जिन्होंने हमारी पीड़ा को  आयोजको व केंद्र सरकार तक पहुँचाने का काम किया।

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दैनिक जागरण के ऑन लाइन पेज पर 24 जुलाई और 25 जुलाई को सिलीगुड़ी संस्करण में प्रकाशित किया था।  पूर्णिमा कोठारी के आखों में खुशी के आंसू है। कहा मेरा जन्म धन्य हो गया। खुशी है कि जिस कार्य  के लिए भाइयों ने अपना जीवन अर्पण किया वह साकार हो रहा है। उनके आहुति के 30 वर्षों बाद 5 अगस्त को रामजन्म भूमि स्थल पर भव्य व दिव्य श्रीराम मंदिर निर्माण का भूमि पूजन हो रहा है। कहा कि वे 3 या 4 को कोलकोता से अयोध्या के लिए निकलेंगे। समय पर पहुँच शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल होंगी। 

कोठारी बंधुओं की बहन पूर्णिमा कोठारी ने  दैनिक जागरण से कहा की मुझे आज भी वह गूंज सुनाई देती है जब भाइयो ने कहा था रामलला हम आएंगे मंदिर वही बनायेगें। बच्चा - बच्चा राम का जन्म भूमि के काम का नारा देते हुए शहीद हुए मेरे भाइयों की आवाज वहां पहुँच गुंजायमान करूंगी। 

30 वर्ष पूर्व इस प्रकार घटी थी पूरी घटना 

पूर्णिमा कोठारी ने कहा कि भले ही इस  बात को  30 वर्ष हो गए लेकिन उन्हें यह सारी बाते आज की लगती है। सभी यादे ताजा है यह मलिन नही हुई है। दैनिक जागरण से अंतिम यात्रा को साझा करते पूर्णिमा कोठारी कहतीं है कि 30 अक्टूबर को कारसेवा के 22 अक्टूबर 1990 को मेरे भाई घर से अयोध्या के लिए निकले थे। उसी साल 16 दिसंबर को मेरी शादी होने वाली थी।

भाइयों ने कहा था प्रभु श्रीराम का काम कर लौट तुम्हारी शादी की तैयारी करेंगे। उस दिन रात डेढ़ बजे वाराणसी के लिए ट्रेन रवाना होती है, लेकिन उनको पता चलता है कि उनको स्टेशन पर पुलिस गिरफ्तार कर लेगी।  तभी मेरे भाई समेत 80 लोग वाराणसी स्टेशन से पहले ही ट्रेन से उतर जाते हैं।  अयोध्या की ओर  ये सभी पैदल ही चल पड़ते  हैं।  7 दिन में सभी अयोध्या  पहुंचते है। 

उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह की सरकार थी। पूरे राज्य को जेल में तब्दील कर दिया गया था। मेरे भाई बहादुर और  निर्भीक थे। सभी बाधाओं को पार करते हुए  कारसेवा के लिए 30 अक्टूबर को अयोध्या पहुंच गए थे। भाइयों ने विवादित गुंबद में सबसे पहले भगवा लहराया था। गोली चली थी जब अशोक सिंघल घायल हो गए थे, तब उन्होंने अपना धैर्य खो दिया था और सेवा करने के लिए आगे कदम बढ़ाया था। 

उसके बाद विवादित स्थल पर कुछ भी नही होने की बात सरकाकर की ओर से फैलाई गई। इससे और आक्रोश फैल गया। तय हुआ कि 2 नवम्बर को कारसेवा किया जाएगा। उसी दौरान बढ़ते राम रामभक्तों को रास्ते मे घेरकर गोलियों से भून दिया गया। पुलिस की गोली में मेरे दोनों भाइयों के साथ कई  कार सेवकों  व साधुसंतों ने रामजन्म भूमि के लिए अपने प्राण दे दिए। उसके बाद भी हमारा परिवार 1991व 1992 कारसेवा में भाग लिया। 12 वर्ष बाद पिता और 25 वर्ष बाद मां बैकुंठ चली गयी।


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