करतार साहिब कॉरीडोर से मजबूत होंगे भारत-पाक के बीच संबंध
भारत-पाकिस्तान के बीच करतारपुर साहिब कॉरिडोर बनाने की मंजूरी दिए जाने के बाद भारत ही नहीं, देश के बाहर रह रहे सिखों की भी आस्था को बल मिला है।
By Rajesh PatelEdited By: Published: Mon, 26 Nov 2018 07:43 PM (IST)Updated: Mon, 26 Nov 2018 07:43 PM (IST)
सिलीगुड़ी [जागरण संवाददाता]। भारत-पाकिस्तान के बीच करतारपुर साहिब कॉरिडोर बनाने की मंजूरी दिए जाने के बाद भारत ही नहीं, देश के बाहर रह रहे सिखों की भी आस्था को बल मिला है। इस कॉरिडोर के माध्यम से भारत-पाक के बीच वर्षों से चल रही कड़वाहट दूर होगी। यहां पहुंचने वाले लाखों सिख दर्शनार्थी संबंधों में मिठास घोलने का काम करेंगे। शायद दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध स्थापित करने का यह कॉरिडोर माध्यम बनेगा। यह कहना है सिलीगुड़ी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के संयुक्त सचिव संदीप सिंह चंग का। वे सोमवार को जागरण विमर्श कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
चंग ने कहा कि डेरा बाबा नानक जो गुरुदासपुर मे है, वहां से लेकर इंटरनेशनल बॉर्डर तक एक करतारपुर कॉरीडोर बनाने की मंजूरी भारत सरकार ने दी है। यह कॉरीडोर बहुत बड़े धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध होगा। यह वहीं जगह है, जहां गुरुनानक देवजी ने 18 वर्ष तक अपना जीवन बिताया। यह भारतीय सीमा से पाक में कुछ ही दूर पर है। यहां कार्तिक पूर्णिमा के दिन बड़ी संख्या में बड़ी संख्या में सिख समुदाय के लोग जाते थे, परंतु भारत की सीमा पर खड़े होकर ही उन्हें दर्शन करने की सुविधा थी।
जहां तक भारत पाक के बीच धार्मिक यात्रा के संबंध में कहा जाता है कि 1974 में एक प्रोटोकॉल हुआ था, जिसमें करतारपुर साहिब शामिल नहीं था। 1999 में लाहौर की यात्रा के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस मुद्दे को उठाया था। इस धार्मिक स्थल की वीजामुक्त यात्रा पर विचार करने का अनुरोध किया, क्योंकि यह सिखों की धार्मिक आस्था से जुड़ा सबसे बड़ा मुद्दा था। 2005 में यहां पाकिस्तान ने तीन धार्मिक स्थलों की यात्रा वीजा के साथ करने की अनुमति तो दी थी, परंतु इसमें करतारपुर साहिब का नाम शामिल नहीं था। इसे दोनों देशों के राजनेता अपनी राजनीतिक जीत बताते है तो कुछ राजनीतिक दल इसका श्रेय लेने की होड़ में जुटे हैं। इसे राजनीतिक चश्मे से नहीं, बल्कि देश की आस्था के साथ जोड़कर सभी को देखना चाहिए। जो निष्ठा और श्रद्धापूर्वक इस कार्य को सन 2019 तक पूरा करेगा गुरुनानक देव जी का आशीर्वाद निश्चित ही मिलेगा। चर्चा के दौरान सुरक्षा के संबंध में पूछे जाने पर संदीप सिंह चंग ने कहा कि यह दोनों देशों के बीच का मुद्दा है। जहां तक मैंने जाना है जहां आस्था बलवान होती है, वहां असुरक्षा दूर-दूर तक नहीं फटक सकती है।
चंग ने कहा कि डेरा बाबा नानक जो गुरुदासपुर मे है, वहां से लेकर इंटरनेशनल बॉर्डर तक एक करतारपुर कॉरीडोर बनाने की मंजूरी भारत सरकार ने दी है। यह कॉरीडोर बहुत बड़े धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध होगा। यह वहीं जगह है, जहां गुरुनानक देवजी ने 18 वर्ष तक अपना जीवन बिताया। यह भारतीय सीमा से पाक में कुछ ही दूर पर है। यहां कार्तिक पूर्णिमा के दिन बड़ी संख्या में बड़ी संख्या में सिख समुदाय के लोग जाते थे, परंतु भारत की सीमा पर खड़े होकर ही उन्हें दर्शन करने की सुविधा थी।
जहां तक भारत पाक के बीच धार्मिक यात्रा के संबंध में कहा जाता है कि 1974 में एक प्रोटोकॉल हुआ था, जिसमें करतारपुर साहिब शामिल नहीं था। 1999 में लाहौर की यात्रा के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस मुद्दे को उठाया था। इस धार्मिक स्थल की वीजामुक्त यात्रा पर विचार करने का अनुरोध किया, क्योंकि यह सिखों की धार्मिक आस्था से जुड़ा सबसे बड़ा मुद्दा था। 2005 में यहां पाकिस्तान ने तीन धार्मिक स्थलों की यात्रा वीजा के साथ करने की अनुमति तो दी थी, परंतु इसमें करतारपुर साहिब का नाम शामिल नहीं था। इसे दोनों देशों के राजनेता अपनी राजनीतिक जीत बताते है तो कुछ राजनीतिक दल इसका श्रेय लेने की होड़ में जुटे हैं। इसे राजनीतिक चश्मे से नहीं, बल्कि देश की आस्था के साथ जोड़कर सभी को देखना चाहिए। जो निष्ठा और श्रद्धापूर्वक इस कार्य को सन 2019 तक पूरा करेगा गुरुनानक देव जी का आशीर्वाद निश्चित ही मिलेगा। चर्चा के दौरान सुरक्षा के संबंध में पूछे जाने पर संदीप सिंह चंग ने कहा कि यह दोनों देशों के बीच का मुद्दा है। जहां तक मैंने जाना है जहां आस्था बलवान होती है, वहां असुरक्षा दूर-दूर तक नहीं फटक सकती है।
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