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एक मौत के बाद भी धड़ल्ले से जारी है एलपीजी भरने का अवैध कारोबार

-कुछ दिनों के बाद ही पुलिस अभियान बंद -गली की दुकानों में सिलेंडर भरने का हो रहा है

By JagranEdited By: Published: Thu, 10 Oct 2019 08:33 PM (IST)Updated: Fri, 11 Oct 2019 06:21 AM (IST)
एक मौत के बाद भी धड़ल्ले से जारी है एलपीजी भरने का अवैध कारोबार
एक मौत के बाद भी धड़ल्ले से जारी है एलपीजी भरने का अवैध कारोबार

-कुछ दिनों के बाद ही पुलिस अभियान बंद

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-गली की दुकानों में सिलेंडर भरने का हो रहा है काम

-हर वक्त आग लगने का खतरा,दुकानदार काट रहे हैं चांदी

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : आग लगने की कई घटनाओं के बाद भी सिलीगुड़ी शहर में एलपीजी गैस का अवैध कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। हर बाजार व मुहल्ले की दुकानों में एलपीजी गैस के अवैध कारोबार को प्रशासन रोकने में विफल है। यहां तक कि गली-मुहल्ले की राशन व पान-बीड़ी की दुकान पर खुले में ही बड़े से छोटे सिलेंडर में गैर भरा जाता है। अवैध कारोबार के इस सिंडिकेट की पकड़ इतनी मजबूत है कि कोई कार्यवाई नहीं हो रही है।

एलपीजी गैस के चार प्रकार के सिलेंडर होते हैं। घरेलू उपयोग के लिए 14 किलो 200 ग्राम का बड़ा और पांच किलोग्राम का छोटा सिलेंडर। वहीं 19 किलोग्राम का बड़ा और पांच किलोग्राम का व्यवसायिक सिलेंडर है। घरेलू उपयोग वाले सिलेंडर का रंग लाल और व्यवसायिक सिलेंडर का रंग नीला होता है। घरेलू या व्यवसायिक एलपीजी सिलेंडर लेने के लिए नियमानुसार रजिस्ट्रेशन कराना होता है। बड़े सिलेंडर की भांति छोटे सिलेंडरों की भी बुकिंग होती है। घरेलू एलपीजी सिलेंडर का व्यवसाय में उपयोग करना दंडनीय अपराध है। जबकि बाजार में अवैध रूप से हर प्रकार के सिलेंडर उपलब्ध हैं। अधिक कीमत पर ब्लैक में घरेलू व व्यवसायिक सिलेंडर आसानी से मिल जाता है। वहीं छोटे सिलेंडर बाजार व गली-मुहल्लों की दुकानों पर खुले आम बिकते हैं। जानकारों के अनुसार बाजार में बिकने वाला छोटा सिलेंडर पूरी तरह से गैर कानूनी है। अवैध होने के बाद भी यह सिलेंडर सिर्फ सिलीगुड़ी ही नहीं बल्कि राज्य व भारत के हर कोने में उपलब्ध है।

कैसे चलता है पूरा कारोबार

प्राप्त जानकारी के मुताबिक गली-मुहल्ले में किराना, पान-बीड़ी व गैस चुल्हा ठीक करने व बेचने वाले दुकानदार अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर अलग-अलग घरेलू गैस कनेक्शन लेते हैं। हर कनेक्शन खाते में दो-दो सिलेंडर लेते हैं। फिर उसे काफी ज्यादा कीमत पर बेचते हैं। बल्कि 14 किलो 200 ग्राम वाले घरेलू सिलेंडर से छोटे सिलेंडरों को भरते हैं। जानकारों के मुताबिक खुदरा बाजार में बिकने वाला छोटा सिलेंडर पांच नहीं बल्कि चार किलो का होता है। ऐसे कारोबारी इसमें तीन से साढ़े तीन किलो ही गैस भरते हैं। एलपीजी गैस का अवैध कारोबार करने वाले इन व्यवसाइयों के दोनों हाथ में लड्डू ही है। एक तो हर सिलेंडर पर सरकार से सब्सिडी भी मिल जाती है और ब्लैक या फिर छोटे सिलेंडर में भरकर दोगुणा मुनाफा भी कमा लेते हैं।

कौन लोग होते हैं ग्राहक

फिलहाल कनेक्शन वाले एक घरेलू एलपीजी गैस सिलेंडर को भरवाने की कीमत 638 रुपए है। इस सिलेंडर को ब्लैक में एक हजार से बारह सौ रुपए में बेचा जाता है। जबकि एक सिलेंडर से चार किलो वाला चार छोटा सिलेंडर भरा जाता है। जिसकी कीमत प्रति किलो 75 से 80 रुपए होती है। शादी-ब्याह जैसे विशेष मौके पर आयोजक को अवैध रुप से सिलेंडर खरीदने की नौबत आती है। कैटरर व सड़क किनारे होटल व फास्टफूड की दुकानों में अधिकांश में घरेलू सिलेंडर का ही उपयोग होता है। जबकि बाजर में उपलब्ध चार किलो वाले सिलेंडर का उपयोग किराए पर रहने वाले अधिकांश परिवार व छात्र-छात्राएं करते हैं।

गैस भरने का तरीका खतरनाक

घरेलू से छोटे सिलेंडर में गैस भरने की प्रक्रिया में कोई वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं बल्कि एक नली के सहारे गैस प्रवाहित किया जाता है। जिससे हमेशा किसी बड़े हादसे का खतरा मंडराता है। बल्कि एलपीजी गैस का अवैध कारोबार करने वाले दुकानों में अग्निशमन की समुचित व्यवस्था भी नहीं होती है। एक किशोर की हो चुकी है मौत

बीते जून महीने में सिलीगुड़ी के भक्ति नगर थाना अंतर्गत हैदरपाड़ा इलाके में घरेलू सिलेंडर से छोटा सिलेंडर भरने के दौरान एक दुकान में अग्निकांड की घटना में एक किशोर की मौत हुई थी। इसके बाद नींद से जागी पुलिस ने शहर में एलपीजी गैस के अवैध कारोबार के खिलाफ अभियान शुरू किया था। कई लोगों की गिरफ्तारी भी हुई थी। हांलाकि इसके बाद स्थिति जस की तस बनी हुई है। मात्र एक नली के सहारे घरेलू सिलेंडर से छोटा सिलेंडर भरने के खतरनाक कारोबार ने अग्निशमन, पुलिस व एलपीजी गैस मुहैया कराने वाली कंपनियों पर सवाल खड़ा कर दिया है।

अधिकारियों ने साधी चुप्पी

इस संबंध में सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस के आला अधिकारी कुछ भी नहीं कह रहे हैं। वहीं दूसरी ओर एलपीजी गैस मुहैया कराने वाली कंपनी के लोग भी कुछ कहने से कतराते नजर आए।


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