काश ! ऐसे ही होते सभी सरकारी स्कूल तो, लोगों का मोहभंग हो जाता शिक्षा की दुकानों से
यहां अधिकांश तौर पर गरीब और असहाय परिवार के बच्चे ही पढ़ने आते हैं। इनको कभी ये महसूस नहीं होता है कि वह अंग्रेजी माध्यम स्कूल में नहीं पढ़ा पा रहे है।
सिलीगुड़ी [गौरव मिश्र]। सिलीगुड़ी के इस सरकारी प्राइमरी स्कूल को देखकर हर किसी की जुबान से बरबस ही निकल पड़ता है, काश ऐसे ही होते सभी सरकारी स्कूल तो शिक्षा की दुकानों प्राइवेट स्कूलों से सभी का मोहभंग हो जाता। यह स्कूल सुभाष पल्ली में है। इसका नाम नेताजी जीएसएफपी स्कूल है।
बांग्ला माध्यम से इसमें पढ़ाई होती है। स्कूल की बुनियादी व्यवस्था हो या छात्रों की पोशाक। पढ़ाई तथा शिक्षकों की समय की पाबंदी, हर मामले में यह स्कूल प्राइवेट स्कूलों को टक्कर ही नहीं दे रहा है, कई से बेहतर भी है। देखकर नहीं लगता है कि ये एक सरकारी प्राइमरी स्कूल है। खेल से लेकर सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में स्कूल अपने इलाके में अव्वल स्थान हासिल करता आया है।
प्रत्येक साल वार्षिक खेलकूद के साथ छात्रों को भ्रमण के लिए राज्य अलग-अलग शिक्षण स्थानों में ले जाया जाता है। सुसज्जित कक्षाएं, प्रोजेक्टर, स्वच्छ पेयजल समेत हर बुनियादी सुविधाएं छात्रों को मुहैया कराई जा रही हैं। बदले में किसी प्रकार का अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाता है।
यहां अधिकांश तौर पर गरीब और असहाय परिवार के बच्चे ही पढ़ने आते हैं। इनको कभी ये महसूस नहीं होता है कि वह अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम स्कूल में नहीं पढ़ा पा रहे है। छात्रों पर निगरानी रखने के लिए कक्षाओं में कैमरे लगाए गए हैं। इस बार स्कूल में हाउस सिस्टम शुरू किया गया है।
प्री प्राइमरी से लेकर चौथी कक्षा को राज्य के महापुरुषों के नाम में बांटा गया है। प्री प्राइमरी कक्षा को शहीद खुदीराम बोस के नाम पर रेड हाउस, पहली कक्षा को ईश्वरचंद्र विद्यासागर के नाम पर येलो हाउस, दूसरी कक्षा को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर ग्रीन हाउस, तीसरी कक्षा को मदर टेरेसा के नाम पर ब्ल्यू हाउस व चौथी कक्षा को स्वामी विवेकानंद के नाम पर ऑरेंज हाउस रखा रखा गया। प्रति बुधवार व गुरुवार को को पांच अलग-अलग रंगों के पोशाक में ही छात्र स्कूल पहुंचते हैं।
राज्य के विभिन्न सरकारी स्कूलों में जहां शिक्षकों के समय पर न पहुंचने की शिकायतें रहती है। वहीं इस स्कूल में शिक्षक समय से पहले पहुंच जाते हैं। यहां 578 छात्र-छात्राएं हैं। इनको संभालने के लिए 15 सरकारी व एक पारा शिक्षक कार्यरत हैं। बच्चों पर विशेष निगरानी रखने के लिए किसी-किसी कक्षा में दो शिक्षकों को तैनात किया जाता है। टीचर इंचार्ज रंजनशील शर्मा ने कहा कि छात्रों के चेहरे पर हंसी लाने के लिए ही स्कूल के सभी शिक्षकों द्वारा अलग-अलग प्रयास किए जा रहे हैं।
शहर के दूसरे प्राइमरी स्कूलों की तुलना में यहां का परिवेश बिल्कुल अलग है। पांच कक्षाओं के लिए ग्यारह सेक्शन हैं। बच्चों को कम्प्यूटर व डिजीटल प्रक्रिया से पढ़ाया जाता है। अगर इस प्रकार की सुविधा दूसरे स्कूलों में भी मिलने लगे तो किसी को प्राइवेट स्कूल में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ये केवल सिलीगुड़ी के लिए ही नहीं , बल्कि पूरे राज्य के लिए गर्व की बात है।