Human trafficking: मानव तस्करों का गंतव्य बना बंगाल, देश भर में गायब होने वाले बच्चों में से ज्यादातर बंगाल से
देश भर में गायब होने वाले 1.19 लाख बच्चों में से 19671 बंगाल से-मानव तस्करी मामलों में 50 दोषियों के जीवन पर आधारित पुस्तक उम्मीद का मंत्री शशि पांजा ने किया विमोचन
कोलकाता, जागरण संवाददाता। इंटरनेशनल जस्टिस मिशन की ओर से मानव तस्करी मामलों में 50 दोषियों के जीवन पर आधारित पुस्तक 'उम्मीद' का राज्य की महिला एवं बाल विकास व कल्याण मंत्री शशि पांजा ने विमोचन किया। इस मौके पर आयोजित विशेष कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एनजीओ के संचालन निदेशक साजी फिलिप ने बताया कि साल 2017 में देश भर में लापता हुए बच्चों में से 14.7 फीसद यानी 3,055 बच्चे पश्चिम बंगाल के थे।
वहीं 2017 की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए राज्य से बच्चों और महिलाओं की तस्करी की घटना पर फिलिप ने कहा कि देश भर में गायब होने वाले 1.19 लाख बच्चों में से 19,671 बंगाल से थे। उन्होंने कहा कि बंगाल पड़ोसी बांग्लादेश व नेपाल से होने वाली मानव तस्करी का गंतव्य बन गया है और तस्करी के जरिए यहां आने वाले महिलाओं व बच्चों को शोषण के लिए बेच दिया जाता है। लेकिन इन सब के इतर राज्य पुलिस व गैर सरकारी संगठन पीडि़तों को बचाने की दिशा में तालमेल के साथ काम में लगे हुए हैं।
जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 2007 से 2016 के बीच बंगाल में मानव तस्करी के मामलों में 50 दोषियों को पकड़ा गया, जबकि इस समयावधि के दौरान बचाए गए व्यक्तियों में से एक तिहाई विदेशी नागरिक थे और इसमें से भी 42 फीसद नाबालिग थे। फिलिप ने बताया कि जब लोगों को कानूनी मदद व सुरक्षा नहीं मिलती तो उनका आत्मविश्वास डगमगाता है और वे बुरी तरह से तस्करों की चंगुल में फंस जाते हैं।
उन्होंने कहा कि तस्करों की चंगुल में फंसने वाले ज्यादातर लोग बड़े शहरों में बेहतर जीवन की संभावनाओं से आकर्षित थे, जबकि महिलाएं शादी के झांसे में उनके साथ हो निकली थी। उन्होंने कहा कि पीडि़तों को बचाने के उपरांत उनकी आपबीती को जानना इसलिए भी जरूरी होता है कि आगे पेश आने वाले मामलों को उससे जोड़कर देखा जा सके और इस दिशा में स्थायी समाधान को कारगर कदम उठाए जा सके।
इस बीच राज्य की महिला व बाल विकास मंत्री शशि पांजा ने मानव तस्करी से लड़ने को राज्य सरकार की एजेंसियों व गैर सरकारी संगठनों के बीच तालमेल बनाने का आह्वान किया तो वहीं राज्य अपराध जांच विभाग के विशेष पुलिस अधीक्षक इंद्र चक्रवर्ती ने कहा कि ऐसे मामलों में पुलिस अधिकारियों को अधिक संवेदनशील होने के साथ ही पीडि़तों को सशक्त बनाने की दिशा में काम करने की जरूरत है। अधिकारी ने कहा कि सीआइडी स्थानीय थानों की मदद से बचाए गए लोगों की मानसिक स्वास्थ्य स्थिति की निगरानी के साथ ही गिरफ्तार किए गए तस्करों की सजा को तत्पर रहता है।