हिल्स में चल रह दशहरा का त्योहार
जेएनएन कर्सियांग/मिरिक कोरोना दहशत के बीच हिल्स में नेपाली भाषी लोगों के बीच दशैं प्रमु
जेएनएन, कर्सियांग/मिरिक : कोरोना दहशत के बीच हिल्स में नेपाली भाषी लोगों के बीच दशैं प्रमुख पर्व दशहरा जारी है। पूरे देश में हिन्दू धर्म में जहां दशहरा का त्योहार धूमधाम के साथ मनाया जाता है। वैसे गोरखाओं का वार्षिक पर्व दशैं का त्योहार पहाड़ में धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। वही दूसरी ओर बंगाल में सोमवार को दुर्गोत्सव का समापन हो गया है।
मालूम हो कि माता दुर्गा की नवमी तक पूजा करने के बाद पहाड़ के लोगों में दशहरे से टिका का पालन शुरू हो जाता है। नेपाली संप्रदाय का यह पर्व पूर्णिमा तक चलेगा। गोरखा जाति के लोग इस पर्व को धूमधाम के साथ मनाने से पीछे नहीं हटते है। लोग अपने दुख व कष्ट को छोड़कर अपने परिवार में बड़े बुजूर्ग के घर जाकर उनसे आर्शिवाद लेते है। सभी एक होकर इस पर्व की खुशिया मनाते है। इस बार कोरोना को लेकर पूजा काफी फीका रहा।
कोरोना संक्रमण के महामारी बीच इस वर्ष लोगों की सुरक्षा के लिहाज से कíसयाग क्षेत्र के पूजा मंडपों में शारीरिक दूरी का ख्याल रखते हुए व सरकारी दिशा -निर्देश का पालन करते हुए
दुर्गापूजा व दशहरा सादगी के साथ शातिपूर्ण संपन्न हुआ। इस पूजा को लेकर कíसयाग क्षेत्र का माहौल भक्तिमय बन गया था। परंतु विगत वर्षो की भाति पूजा मंडपों में कोई खास चहल -पहल नहीं दिखी।
इस वर्ष शुक्रवार 23 अक्टूबर महासप्तमी के दिन कíसयाग में सूचना व सास्कृतिक विभाग गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन,कíसयाग नगरपालिका व शोभायात्रा आयोजक समिति के तत्वावधान में फूलपाती सास्कृतिक शोभायात्रा का आयोजन किया गया। परंतु इस शोभायात्रा में भी विगत वर्षो की तुलना में लोगों की जमघट कम दिखी। सुबह साढे दस बजे कíसयाग मोटर स्टैंड से निकाली गई इस शोभायात्रा को शहर परिक्रमा करते हुए कíसयाग के नया बाजार क्षेत्र स्थित टाउन सार्वजनिक भवन में पहुंचाकर एक विशेष कार्यक्रम में तब्दील किया गया।
प्रत्येक वर्ष की भाति इस वर्ष भी यहा के राज राजेश्वरी भवन,वर्द्धमान रोड स्थित देवी मंदिर,गिद्ध पहाड स्थित देवी मंदिर,रामकृष्ण वेदात आश्रम,गोरखा जन पुस्तकालय,फाटक डाडा सहित कई जगहों पर दुर्गा पूजा का आयोजन किया गया।
दूसरी ओर,विजयादशमी के दिन सोमवार 26 अक्टूबर से गोरखाओं का महान पर्व टीका आरंभ हो गया है। यह पर्व मनाने का रश्म पूíणमा तिथि तक चलता है। इस अवसर पर इस जाति के संपूर्ण लोग अपनों व रिश्तेदारों के घरों में जाते हैं व टीका का रश्म अदा करते हैं। इस पर्व पर घर के बड़े - बुजुर्ग अपने से छोटों को टीका लगाकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं। यथाशक्ति उन्हें नगद राशि भी देने का कार्य करते हैं। इस दौरान अपने रिश्तेदारों के घरों में टीका का रश्म अदा करने जाते वक्त मिठाई,फल व शराब आदि लेकर जाने का प्रचलन है।