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हनुमान जयंती पर कोरोना से मुक्ति की प्रार्थना

-मंदिरों से दूर रहे भक्तघर पर ही हनुमान चालीसा पाठ -कोरोना योद्धाओं के स्वस्थ्य रखने की

By JagranEdited By: Published: Wed, 08 Apr 2020 07:04 PM (IST)Updated: Wed, 08 Apr 2020 07:04 PM (IST)
हनुमान जयंती पर कोरोना से मुक्ति की प्रार्थना
हनुमान जयंती पर कोरोना से मुक्ति की प्रार्थना

-मंदिरों से दूर रहे भक्त,घर पर ही हनुमान चालीसा पाठ

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-कोरोना योद्धाओं के स्वस्थ्य रखने की भी कामना

जागरण संवाददाता,सिलीगुड़ी:

हनुमान जयंती पर घरों में रहकर लाखों भक्तों ने हनुमान चालीसा का पाठ कर कोरोना से मुक्ति की प्रार्थना संकट मोचन से की। शहर के सन्तोषी नगर स्थित सालासर मंदिर,पंचमुखी बालाजी मंदिर, बालाजी घाटा, कम्बल पट्टी, मल्लागुड़ी हनुमान मंदिर,सब्जी बाजार हनुमान मंदिर,सुकना हनुमान मंदिर तथा डुवार्स के मालबाजार स्थित प्रसिद्ध हनुमान मंदिर में पुजारियों द्वारा ही पूजा अर्चना की गई। भक्त मंदिर में नहीं पहुंचे। ऐसा सालों में पहली बार हो रहा है, जब संकट मोचन हनुमान जी की जयंती सादगी से मनाई जा रही है। कोरोना से बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी है। इसलिए पूरे देश में लॉकडॉउन है। आज हनुमान मंदिरों में बिना भक्तों के संकट मोचन हनुमान जी की पूजा आराधना की गई। वहीं मंदिरों में पूजारी पूजा पाठ करके कोरोना जैसी गंभीर बीमारी से निजात दिलाने के लिए भगवान से प्रार्थना कर रहे थे। बुधवार को घर-घर में हनुमान जी पूजा की गयी। घरों में भक्त भगवान हनुमान को प्रसाद का भोग लगाकर, हनुमान चालीसा और सुंदरकाड पाठ करते देखे गए। आपको बता दें कि चैत्र मास की पूर्णिमा के दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है. शास्त्रों के मुताबिक हनुमान जी की अंजनी माता है, पिता वानरराज केसरी है। इसलिए इन्हें केसरीनंदन भी कहते हैं। हनुमान जी को शिव के 11वें रुद्रावतार हैं। हनुमान जयंती पर भगवान शकर को देसी घी के बने लड्डुओं का भोग लगाना बेहद शुभ होता है। संकटमोचक भगवान हनुमान जी का पूजा-पाठ कर कोरोना महामारी से मुक्ति की प्रार्थना करते हुए घर मे बाहर लड्डू के भोग लगाएं गए। पुजारियों का कहना है कि जब जब मनुष्य पर संकट पड़ा है हनुमान भगवान धरती पर अवतरित होते रहे हैं और मनुष्य की हर विपदा को हरा है। हमें हनुमान भगवान से पुलिस, डॉक्टर, नर्स, नगर निगम व मीडियाकर्मियों के उत्तम स्वास्थ्य की भी कामना की गयी। वे इसलिए कि हम सब घर मे होने के बाद भी वे रोगियों से जूझ रहे है।


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