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गोरखा जनमुक्ति मोर्चा बिमल गुरुंग बिहार में अटके, सिलीगुड़ी में जनसभा लटकी

गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (गोजमुमो) अध्यक्ष बिमल गुरुंग की सिलीगुड़ी में बहुप्रतीक्षित जनसभा फिलहाल लटक गई है। बिमल गुरुंग के रास्ते में ही अटक जाने के कारण अब ट्रेन छोड़कर सड़क मार्ग से निकले बिमल गुरुंग डेढ़ 200 तक पहुंचेंगे सिलीगुड़ी दोपहर में जनसभा होने की संभावना है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sun, 06 Dec 2020 12:52 PM (IST)Updated: Sun, 06 Dec 2020 12:52 PM (IST)
गोरखा जनमुक्ति मोर्चा बिमल गुरुंग बिहार में अटके, सिलीगुड़ी में जनसभा लटकी
गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (गोजमुमो) अध्यक्ष बिमल गुरुंग

सिलीगुड़ी, जागरण संवाददाता। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (गोजमुमो) अध्यक्ष बिमल गुरुंग की सिलीगुड़ी में बहुप्रतीक्षित जनसभा फिलहाल लटक गई है। पूर्व निर्धारित समय के अनुसार आज सुबह नौ बजे उनकी जनसभा होनी थी। मगर, बिमल गुरुंग के रास्ते में ही अटक जाने के कारण अब ट्रेन छोड़कर सड़क मार्ग से निकले बिमल गुरुंग डेढ़ 2:00 तक पहुंचेंगे सिलीगुड़ी दोपहर में जनसभा होने की संभावना है।

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इधर, सिलीगुड़ी शहर में एनएच-31ए किनारे इंदिरा गांधी मैदान में बिमल गुरुंग की महा जनसभा में सम्मिलित होने के लिए सुबह से ही हजारों समर्थक उमड़े पड़े हैं। पूरा दार्जिलिंग पहाड़ सिलीगुड़ी में उतर आया है। इस दिन सुबह दार्जिलिंग मेल के एनजेपी स्टेशन पहुंचने के निर्धारित समय आठ बजे बिमल गुरुंग की अगवानी के लिए सैकड़ों समर्थक एनजेपी स्टेशन पर एकत्रित हुए। उनके समर्थन में जम कर नारेबाजी की। मगर, जब पता चला कि उनकी ट्रेन रास्ते में ही अटक गई है और उन्हें आने में देर होगी तो फिर समर्थक वापस जनसभा स्थल चले गए।

उल्लेखनीय है कि कोलकाता के सियालदह स्टेशन से शनिवार रात दार्जिलिंग मेल से बिमल गुरुंग व उनकी टीम एनजेपी के लिए रवाना हुई। मगर, आज सुबह रास्ते में कटिहार जिला अंतर्गत आजम नगर रोड स्टेशन इलाके में आदिवासी संगठनों के विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर ट्रेन अटक गई। इधर, खबर है कि विरोध प्रदर्शन अब समाप्त हो चुका है और ट्रेन आगे बढ़ चुकी है। ऐसे में अब कहा जा रहा है कि दोपहर बाद ही बिमल गुरुंग सिलीगुड़ी पहुंच पाएंगे।

इधर, उनकी महा जनसभा को लेकर सिलीगुड़ी के इंदिरा गांधी मैदान में पूरे दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र से हजारों हजार की संख्या में उनके समर्थक सुबह से ही उमड़े पड़े हैं। फिलहाल, अन्य नेताओं द्वारा जनसभा को संबोधित किया जा रहा है। इस अवसर पर, महा जनसभा स्थल की जिम्मेदारी संभाल रहे गोजमुमो के उपाध्यक्ष विशाल छेत्री ने कहा कि कुछ अपरिहार्य कारणों के चलते हमारे अध्यक्ष समय पर नहीं पहुंच पा रहे हैं लेकिन फिर भी हमारे समर्थकों के उत्साह में कोई कमी नहीं है। अब पहाड़ की जनता के बेसब्री भरे इंतजार का अब पटाक्षेप होने वाला है। हमारे अध्यक्ष बिमल गुरुंग तीन वर्षों बाद पुन: वापस हमारी अपनी धरती पर आ रहे हैं। इस खुशी को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। उनके यहां आगमन से दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र के कायाकल्प का नया अध्याय लिखा जाएगा। दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र में लोकतंत्र बहाल हो जाएगा। शांति और विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।

उल्लेखनीय है कि नई सदी में पहाड़ की बहुसंख्यक आबादी गोरखाओं के आदोलन के सबसे प्रभावशाली चेहरा, गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (गोजमुमो) अध्यक्ष विमल गुरुंग लगभग तीन साल तक भूमिगत रहने के बाद अब फिर सार्वजनिक जीवन में वापस आ चुके हैं। गत 21 अक्टूबर को वह राजधानी कोलकाता में प्रकट हुए। इसके नेपथ्य में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी का 'मास्टर स्ट्रोक' ही है। राजनीतिक पंडितों की मानें तो, सचमुच, अप्रैल-मई 2021 में होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर ममता बनर्जी ने गजब का मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है।

उन्होंने एक ओर, जंगल महल को साधने के लिए आदिवासी आदोलन के चेहरा छत्रधर महतो को तृणमूल काग्रेस में शामिल करा लिया है तो दूसरी ओर, दाíजलिंग पार्वत्य क्षेत्र (पहाड़) को साधने के लिए गोरखाओं के आदोलन का सबसे अहम चेहरा विमल गुरुंग को भी अपने पाले में ला खड़ा किया है। उस विमल गुरुंग को जिसके खिलाफ उनकी ही सरकार ने 100 से अधिक मुकदमे कर रखे हैं। उन्हीं का कोपभाजन होने के चलते 2017 में विमल गुरुंग व उनके बेहद करीबी रोशन गिरि को पहाड़ छोड़ कर भूमिगत होना पड़ा था। तब तक विमल ममता बनर्जी को फूटी आंख भी देखना गवारा नहीं करते थे और भाजपा के कट्टर समर्थक थे।

यहां तक कि भूमिगत रहते हुए भी उन्होंने पत्र, ऑडियो वार्ता, वीडियो वार्ता आदि जारी कर ऐसा माहौल बनाया कि दार्जिलिंग लोकसभा सीट लगातार तीसरी बार भाजपा की झोली में डाल दी। अब जब वह भूमिगत जीवन से बाहर सार्वजनिक जीवन में लौटे हैं तो भाजपा के विरोधी और ममता बनर्जी व तृणमूल कांग्रेस के समर्थक हैं। उनका कहना है कि भाजपा ने पहाड़ के गोरखाओं के साथ छल किया है, विश्वासघातज किया है। अब हमारा भाजपा के ऊपर से विश्वास उठ चुका है। हमने भाजपा व एनडीए से नाता तोड़ लिया है। अब हम ममता बनर्जी व उनकी तृणमूल कांग्रेस के साथ हैं। 2021 के विधानसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में सर्वत्र ममता बनर्जी की जीत सुनिश्चित कराएंगे। 


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