तीन साल बाद सक्रिय राजनीति में लौटे गोजमुमो अध्यक्ष बिमल गुरुंग के दार्जिलिंग में स्वागत की तैयारी जोरों पर
गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (गोजमुमो) अध्यक्ष बिमल गुरुंग के लगभग तीन साल तक भूमिगत रहने के बाद अब वापस दार्जिलिंग लौटने को लेकर उनके समर्थकों में खासा उत्साह है। उनके स्वागत के लिए दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र में समर्थकों द्वारा जगह-जगह झंडे पोस्टर व बैनर लगाए जा रहे हैं।
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (गोजमुमो) अध्यक्ष बिमल गुरुंग के लगभग तीन साल तक भूमिगत रहने के बाद अब वापस दार्जिलिंग लौटने को लेकर उनके समर्थकों में खासा उत्साह है। उनके स्वागत के लिए दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र में समर्थकों द्वारा जगह-जगह झंडे, पोस्टर व बैनर लगाए जा रहे हैं। पहले खबर थी कि बिमल गुरुंग दशहरा की महाअष्टमी के उपलक्ष्य में दार्जिलिंग आएंगे। मगर, फिर बाद में खबर आई कि वह महाअष्टमी को नहीं बल्कि बाद में आएंगे। इधर, सूत्रों की मानें तो वह दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र के लोगों के सबसे बड़े त्योहार दशहरा की 'दशैइं' (विजय दशमी) के दिन दार्जिलिंग में कदम रख सकते हैं।
ममता की नाराजगी के बाद हो गए थे भूमिगत
उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल के सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस की मुखिया व राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कोपभाजन होने के बाद बिमल गुरुंग को पहाड़ छोड़कर भूमिगत होना पड़ा था। राज्य सरकार की ओर से उनके खिलाफ देशद्रोह समेत सौ से अधिक मामले अभी भी लंबित हैं।
चुनाव के कारण सार्वजनिक जीवन में लौट आए
इधर, अगले वर्ष 2021 के अप्रैल-मई में होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के मद्देनजर हालात कुछ स्वाभाविक हुए हैं। उनके लिए राहें आसान हुई हैं। उसी के मद्देनजर वह फिर सार्वजनिक जीवन में लौट आए हैं।
बिमल गुरुंग की प्रतिबद्धता का स्वागत करते हैं
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस ने भी गोजमुमो अध्यक्ष बिमल गुरुंग का स्वागत किया है। दो दिन पहले ही अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस की ओर से ट्वीट किया गया था कि "हम, ममता बनर्जी के नेतृत्व में विश्वास कायम करते हुए एनडीए से समर्थन वापस ले कर शांति और सद्भाव के निर्णय के लिए बिमल गुरुंग की प्रतिबद्धता का स्वागत करते हैं।
मातृभूमि की शांति-समृद्धि के लिए करेंगेे काम
गोरखालैंड मुद्दे को लेकर उनको इस्तेमाल करने के प्रयास वाली भाजपा की ओछी व अविश्वासपूर्ण राजनीति अब बंगाल के लोगों के सामने पूरी तरह से खुल चुकी है। हमें पूरा विश्वास है कि जीटीए (गोरखालैंड टेरिटोरिअल एडमिनिस्ट्रेशन) संग मिल कर राजनीतिक दल व सिविल सोसाइटी समेत पहाड़वासियों के सभी हितैषी हमारी मातृभूमि की शांति और समृद्धि के लिए हमारे साथ मिलकर काम करेंगे"।
बीते 21 अक्टूबर को सार्वजनिक रुप से आए
तृणमूल कांग्रेस के इस ट्वीट को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से भी टैग किया गया था। याद रहे कि गोजमुमो अध्यक्ष बिमल गुरुंग व उनके करीबी सहयोगी रोशन गिरि लगभग तीन साल तक भूमिगत रहने के बाद बीते 21 अक्टूबर को अचानक कोलकाता में सार्वजनिक रूप में सामने आए।
दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र के लिए कई काम किए
बिमल गुरुंग जब भूमिगत हो गए थे तब वह भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के समर्थक थे और अब जब वह बाहर आ गए हैं, तो उन्होंने एनडीए से नाता तोड़कर तृणमूल कांग्रेस का समर्थन करने की बात कही है। उन्होंने यह भी कहा है कि "हम ममता बनर्जी को लगातार तीसरी बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते हैं। क्योंकि, उन्होंने पहाड़ की जनजातियों के विकास और पूरे दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र के लिए कई काम किए हैं।"
समस्या हल करने की दिशा में नहीं उठा कदम
बिमल गुरुंग ने कोलकाता में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा था कि, "हमारा अब भाजपा से मोहभंग हो गया है। हमने दार्जिलिंग संसदीय क्षेत्र को एक या दो नहीं बल्कि लगातार तीन बार भाजपा को दिया। इसके बावजूद भाजपा ने हमारे लिए कुछ नहीं किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छह साल से प्रधानमंत्री हैं। मगर, उन्होंने भी दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र क्षेत्र और वहां के लोगों की समस्याओं को हल करने की दिशा में एक भी कदम नहीं उठाया।
भाजपा और भाजपा के नेतृत्व में विश्वास नहीं
यही कारण है कि, अब हमें भाजपा और भाजपा के नेतृत्व में कोई विश्वास नहीं है। हमने उनसे व एनडीए से नाता तोड़ लिया है। अब, हमें ममता बनर्जी पर पूरा भरोसा है। इसीलिए हम उनके साथ मिलकर काम करेंगे। अगले साल 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में हम ममता बनर्जी को जिताने की पूरी कोशिश करेंगे।
स्थायी समाधान की मांग के प्रति अब कायम
उत्तर बंगाल में हर सीट पर उनकी शानदार जीत सुनिश्चित करने का हरसंभव प्रयास करेंगे"। उनसे जब पूछा गया कि, आप तो अलग राज्य गोरखालैंड चाहते हैं जबकि तृणमूल कांग्रेस का स्पष्ट रुख है कि वह बंगाल विभाजन किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी, ऐसे में बात कैसे बनेगी? तो उनका जवाब था कि "पहाड़ व पहाड़ वासियों की समस्याओं के स्थायी समाधान की मांग के प्रति हम अब भी कायम हैं"।