Move to Jagran APP

नवरात्र के तीसरे दिन रंगारंग कार्यक्रम के बीच गणगौर का किया विसर्जन

16 दिनों तक नियम निष्ठा से पूजा के बाद नवरात्र के तीसरे दिन गणगौर का विसर्जन धूमधाम के साथ किया गया।

By Edited By: Published: Tue, 09 Apr 2019 11:48 AM (IST)Updated: Tue, 09 Apr 2019 11:48 AM (IST)
नवरात्र के तीसरे दिन रंगारंग कार्यक्रम के बीच गणगौर का किया विसर्जन
नवरात्र के तीसरे दिन रंगारंग कार्यक्रम के बीच गणगौर का किया विसर्जन
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : 16 दिनों तक नियम निष्ठा से पूजा के बाद नवरात्र के तीसरे दिन यानि चैत्र मास ्रके शुक्ल पक्ष की तृतीया सोमवार को गणगौर का परंपरागत तरीके से विसर्जन किया गया। शहर के आठ नंबर वार्ड कमेटी द्वारा आयोजित गणगौर विसर्जन के लिए गांधी मैदान में भव्य तैयारियां की गयी थी। यहां कृत्रिम पोखर तैयार किया गया था। विसर्जन के पूर्व रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यहां राजस्थानी वेषभूषा में महिलाओं ने घूमड़ नृत्य पेश किया। नृत्य और गांधी मैदान की सभी व्यवस्था देखकर लग रहा था कि बंगाल में राजस्थान उतर आया है। वार्ड कमेटी की ओर से पूरे कार्यक्रम में व्यवस्था को सफल बनाने के लिए सुभाष अग्रवाल, भवेश सरावगी, हरि सोनी, पंकज गुप्ता, शशी जैन, मारवाड़ी सेवा परिवार आदि जुड़े हुए थे। गणगौर विसर्जन करने आयी महिलाओं ने बताया कि गणगौर दो शब्दों से मिलकर तैयार किया गया है। गण और गौर। गण का तात्पर्य है शिव और गौर का अर्थ है पार्वती। वास्तव में गणगौर पूजन मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा का दिन है। इसमें पूजन और विसर्जन के दौरान महिलाएं बड़े चाव से गणगौर के मंगल गीत गाती जा रही थी। खोल ए गणगौर माता खोल किवाड़, ईशर जी तो पेचो बांधे गौराबाई पेज संवारियों राज ..। वार्ड आयुक्त खुश्बू मित्तल ने बताया कि वार्ड कमेटी के अलावा इस पूरे कार्यक्रम में मारवाड़ी युवा मंच मुस्कान शाखा और पुरषों को नहीं मिलता प्रसाद वार्ड आठ के सचिव सीताराम डालमिया ने बताया कि गणगौर के पूजन में प्रावधान है कि जो सिंदूर माता पार्वती को चढ़ाया जाता है महिलाएं उसे अपनी मांग में सजाती है। शुभ मुहूर्त में गणगौर का विसर्जन किया जाता है। गणगौर महिलाओं का त्यौहार माना जाता है। इसलिए गणगौर पर चढ़ाया हुआ प्रसाद पुरुषों को नहीं दिया जाता है। गणगौर की पौराणिक मान्यता शास्त्रों के अनुसार मां पार्वती ने भी अखड़ सौभाग्य की कामना से कठोर तपस्या की थी और उसी तप के प्रताप से भगवान शिव को प्राप्त किया था। इसी दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को तथा पार्वती जी ने समस्त स्त्री जाति को सौभाग्य का वरदान दिया था।

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.