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नवजात लावारिस शिशु भी पी पाएंगे मां का दूध, सिलीगुड़ी में खुलेगा उत्तर बंगाल का पहला मातृ दुग्ध बैंक

Breastfeeding week 2019उत्तर बंगाल में पहला व राज्य में दूसरा मातृ दुग्ध बैंक की स्थापना सिलीगुड़ी में होगी। उत्तर बंगाल मेडकिल कॉलेज एनबीएमसीएच ने इस दिशा में कदम बढ़ाया है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 02 Aug 2019 02:15 PM (IST)Updated: Fri, 02 Aug 2019 02:15 PM (IST)
नवजात लावारिस शिशु भी पी पाएंगे मां का दूध, सिलीगुड़ी में खुलेगा उत्तर बंगाल का पहला मातृ दुग्ध बैंक
नवजात लावारिस शिशु भी पी पाएंगे मां का दूध, सिलीगुड़ी में खुलेगा उत्तर बंगाल का पहला मातृ दुग्ध बैंक

सिलीगुड़ी, जागरण संवाददाता। उत्तर बंगाल में पहला व राज्य में दूसरा मातृ दुग्ध बैंक की स्थापना सिलीगुड़ी में होगी। उत्तर बंगाल मेडकिल कॉलेज एनबीएमसीएच ने इस दिशा में कदम बढ़ाया है। इसको लेकर उत्तर बंगाल मेडकिल कॉलेज प्रबंधन ने प्राथमिक स्तर पर चर्चा भी कर ली है। राज्य सरकार का अनुमोदन मिलते ही कार्य शुरू हो जाएगा। इस बात को रोगी कल्याण समिति के चेयरमैन डॉ. रूद्रनाथ भट्टाचार्य ने भी माना है।

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कोलकाता स्थित एसएसकेएम अस्पताल के अलावा राज्य में कहीं भी मातृ दुग्ध बैंक नहीं है। उत्तर बंगाल में पहला मातृ दुग्ध बैंक बनाने की योजना तैयार है। जानकारी के अनुसार अस्पतालों में प्रसव के दौरान कई बार मां की मौत हो जाती है। ऐसे में नवजात को तुरंत मां का दूध उपलब्ध कराना मुश्किल हो जाता है। इसके अलावे सड़क किनारे, नदी में बहाये गये अनाथ नवजात को पुलिस व विभिन्न स्वयंसेवी संगठन के लोग बरामद कर सिलीगुड़ी जिला अस्पताल या उत्तर बंगाल मेडकिल कॉलेज व अस्पताल में भर्ती कराते हैं। यहां इन बच्चों को एक वर्ष की उम्र तक रखा जाता है।

जानकारों की मानें तो जन्म के बाद छह महीने तक नवजात को मां का दूध आवश्यक है। बल्कि अनाज के साथ भी बच्चों को दो वर्ष की उम्र तक मां का दूध मिलना जरूरी है। मां के दूध नहीं मिलने पर बच्चे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। इन नवजात व बच्चों को मां का दूध उपलब्ध कराने के लिए अस्पताल प्रबंधन को नर्स, महिला डॉक्टर व अन्य महिला कर्मचारियों की ओर टकटकी लगाना पड़ता है।

इस संबंध में बच्चों के हित में कार्य करने वाले संगठन सिनी के उत्तर बंगाल संयोजक रतन लामा ने बताया कि विश्व भर में प्रत्येक वर्ष एक से सात अगस्त तक ब्रेस्ट फीड वीक मनाया जाता है। बच्चों को मां का दूध पिलाने के लिए जागरूक किया जाता है। कई तरह के जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। लेकिन अस्पतालों में पल रहे अनाथ बच्चों को मां का दूध उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती है। उत्तर बंगाल मेडकिल कॉलेज में मातृ दुग्ध बैंक बनना किसी वरदान से कम नहीं होगा।

उत्तर बंगाल मेडकिल कॉलेज व अस्पताल अधीक्षक डॉ. कौशिक समाजदार ने बताया कि मातृ दुग्ध बैंक बनाने को लेकर प्राथमिक स्तर पर चर्चा हुई है। रोगी कल्याण समिति की बैठक में इस पर निर्णय लिया जायेगा। राज्य स्वास्थ विभाग की हरी झंडी मिलते ही कार्य शुरू होगा।

उत्तर बंगाल मेडकिल कॉलेज व अस्पताल के रोगी कल्याण समिति के चेयरमैन डॉ. रूद्रनाथ भट्टाचार्य ने बताया कई बार प्रसव के दौरान माताओं की मौत हो जाती है। अनाथों को बरामद कर अस्पताललाया जाता है। कई बार शारीरिक परेशानी से जूझ रही महिलाएं भी अपने बच्चे को दूध नहीं पिला पाती हैं। मातृ दुग्ध बैंक इन अनाथ व मां के दूध से वंचित बच्चों के लिए वरदान साबित होगा। उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज में मातृ दुग्ध बैंक खोलने पर काफी पहले से ही विचार चल रहा था। प्राथमिक स्तर पर चर्चा शुरू हुई है। योजना का डीपीआर तैयार कर अनुमोदन के लिए राज्य स्वास्थ विभाग को भेजा जायेगा। राज्य सरकार की हरी झंडी मिलते ही काम शुरू किया जायेगा।

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