Gandhi Jayanti महात्मा गांधी 1925 के मई में सिलीगुड़ी आए थे जहां उन्हें मिली खुकुरी, हो गया विवाद!
Mahatma Gandhi 150th Birth anniversary राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 1925 के मई में सिलीगुड़ी आए थे। तब यहां अनचाहा विवाद उनके पल्ले पड़ गया था। देश भर में उसकी ही चर्चा छिड़ गई थी।
सिलीगुड़ी, इरफान-ए-आजम। Mahatma Gandhi 150th Birth anniversary राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 1925 के मई में सिलीगुड़ी आए थे। तब, यहां अनचाहा विवाद उनके पल्ले पड़ गया था। देश भर में उसकी ही चर्चा छिड़ गई थी। विरोधियों द्वारा मामले को तूल देने की कोशिश नाकामयाब रही।
16 जून 1925 को निधन से पहले ‘देशबंधु’ चित्तरंजन दास गंभीर रूप से बीमार हो गए थे। उन्हें देखने बापू यहां आए थे। सियालदह से दार्जिलिंग मेल द्वारा सिलीगुड़ी जंक्शन (अब सिलीगुड़ी टाउन स्टेशन) पहुंचे। यहां से दार्जिलिंग गए। सफर में यहां के तत्कालीन दिग्गज कांग्रेसी शिवमंगल सिंह भी उनके साथ थे। दार्जिलिंग के माल स्थित चित्तरंजन दास के घर जाकर गांधी जी ने हालचाल लिया। एक रात्रि विश्राम भी किया। अगले दिन वापसी के क्रम में महात्मा गांधी सिलीगुड़ी में शिवमंगल सिंह के मकान पर ठहरे। वहीं, कांग्रेस नेताओं व कार्यकर्ताओं संग बैठक की थी।
हाशमी चौक के पास हिलकार्ट रोड पर आज उस मकान की जगह यहां की पहली 10 मंजिली इमारत ‘निलाद्री शिखर’ है। बापू जिस मकान में ठहरे थे वह अब तस्वीरों में है। कई लोगों ने तस्वीर को संजो कर रखा है। शहर के जाने-माने उद्यमी व समाजसेवी नंदू सिंह पूर्वजों से विरासत में मिली यादों को ताजा करते हुए बताते हैं कि तब एक विवाद बापू से जुड़ गया था। उनके दादा (शिवमंगल सिंह) ने पहाड़ी संस्कृति व परंपरा के तहत बापू को खादा पहनाया व ‘खुकुरी’ भेंट की थी। तब, यह देश में चर्चा का विषय बन गया कि अहिंसा के पुजारी ने हथियार तोहफा के रूप में कबूल कर लिया? इसे तूल देने की कोशिश हुई पर, मामला ठंडा पड़ गया।