दुर्गापूजा के लिए पिता पंजाब गए थे बेटी को लेने, सिलीगुड़़ी लौटे उसके शव के साथ
बेटी को दुर्गापूजा में घर लाने के लिए पंजाब के संगरूर गए मां-बाप को उसका शव लेकर सिलीगुड़ी लौटना पड़ रहा है। जाते समय ही रास्ते में उसके द्वारा फांसी लगाए जाने की सूचना मिली थी।
By Rajesh PatelEdited By: Published: Fri, 12 Oct 2018 12:16 AM (IST)Updated: Fri, 12 Oct 2018 05:33 PM (IST)
सिलीगुड़ी [जागरण संवाददाता]। सिलीगुड़ी के सालूगाड़ा से बेटी को लेने पंजाब के संगरूर गए मां-बाप की विवशता देखिए कि उनको उसका शव लेकर लौटना पड़ा। बेटी सिंगमा डोमा शेरपा पंजाब के संत लोंगोवाल इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (स्लाइट) में बीटेक कर रही थी। करीब तीन माह पहले ही उसका वहां पर प्रवेश कराया गया था। गत बुधवार को गर्ल्स हॉस्टल संख्या दो के कमरे में उसका शव पंखे से लटकता मिला था। वह कंप्यूटर साइंस प्रथम वर्ष (बीटेक) की छात्रा थी।
उसके पिता सिलीगुड़ी के सालूगाड़ा निवासी चुइंग पिच्चो ने बताया कि वे दुर्गापूजा त्यौहार के मद्देनजर बेटी को लेने उसके संस्थान ट्रेन से जा रहे थे। रास्ते में उनको उसकी मौत की सूचना मिली। वह पढ़ने में काफी तेज थी। किसी तरह से संगरूर स्थित उसके संस्थान तक गए। वहां पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी गई। फिर पोस्टमार्टम के बाद शव सौंप दिया गया। उसे लेकर दिल्ली तक ट्रेन से आए। फिर दिल्ली से फ्लाइट पकड़कर बागडोगरा पहुंचे। शुक्रवार की दोपहर में वे सालूगाड़ा स्थित घर पर आ गए। इसके बाद अंत्येष्टि की गई। इस घटना ने उनको अंदर तक झकझोर दिया है। कहां दुर्गापूजा के दौरान देवी स्वरूपा बेटा के साथ जश्न मनाने की तैयारी थी, लेकिन लौटे गमों की गठरी के साथ।
उसके पिता सिलीगुड़ी के सालूगाड़ा निवासी चुइंग पिच्चो ने बताया कि वे दुर्गापूजा त्यौहार के मद्देनजर बेटी को लेने उसके संस्थान ट्रेन से जा रहे थे। रास्ते में उनको उसकी मौत की सूचना मिली। वह पढ़ने में काफी तेज थी। किसी तरह से संगरूर स्थित उसके संस्थान तक गए। वहां पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी गई। फिर पोस्टमार्टम के बाद शव सौंप दिया गया। उसे लेकर दिल्ली तक ट्रेन से आए। फिर दिल्ली से फ्लाइट पकड़कर बागडोगरा पहुंचे। शुक्रवार की दोपहर में वे सालूगाड़ा स्थित घर पर आ गए। इसके बाद अंत्येष्टि की गई। इस घटना ने उनको अंदर तक झकझोर दिया है। कहां दुर्गापूजा के दौरान देवी स्वरूपा बेटा के साथ जश्न मनाने की तैयारी थी, लेकिन लौटे गमों की गठरी के साथ।
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