जीएसटी एंटी विजन विंग ने तेज की जांच
-बिल काटने वालों पर कसने लगा शिकंजा निशाने पर धूपगुड़ी फालाकाटा के कई कंपनी जागर
टैक्स चोरी सिंडीकेट
-धूपगुड़ी और फालाकाटा की कई कंपनियों निशाने पर
-बिल बुक को खंगालने का काम जोर-शोर से शुरू
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : उत्तर बंगाल में फर्जी कंपनी और फर्जी बिल के माध्यम से चल रहे ट्रांसपोर्ट सिंडीकेट की जांच तेज हो गई है। इस कारोबार को संचालित करने वाले मुख्य आरोपी धीरज एंड कंपनी के खिलाफ सेंट्रल जीएसटी एंटी विजन विंग ने जांच तेज कर दी है। जीएसटी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह पूरा खेल फर्जी बिल के आधार पर किया जा रहा है। राजनीतिक संरक्षण होने के कारण इस धंधे में ऊपर से नीचे तक सबकी मिलीभगत होती है। जाच में पता चला है टैक्स चोरी सिंडीकेट उत्तर बंगाल में फर्जी कंपनियों के सहारे चल रहा है। इस मामले में धूपगुड़ी की कई कंपनियां जीएसटी के निशाने पर है। इस कंपनियों के बिल बुक को खंगालने का काम जोर-शोर से चल रहा है। इसी से पता चलेगा कि आखिर कैसे फर्जी बिल के सहारे टैक्स को हजम कर लिया गया।
दूसरी ओर टैक्स चोरी के मामले में कई चौंकाने वाले तथ्य हाथ लगे हैं। धूपगुड़ी जांच के लिए गई जीएसटी टीम को सिंडिकेट से जुड़े लोगों ने घेराव करने तक की धमकी दी। इसकी परवाह किए बिना ही जीएसटी टीम लगातार काम कर रही है। विभाग सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार फर्जी कंपनी के फर्जी बिल के माध्यम से प्रतिदिन लाखों रुपए के राजस्व की चोरी हो रही है। उत्तर बंगाल के रास्ते प्रतिदिन अवैध तरीके से फर्जी बिल के सहारे 40 से 50 ट्रक सुपारी, 20 से 30 ट्रक मेघालय के कोयला तथा 30 से 35 ट्रक स्क्रैप की ढुलाई होती है। आरोप है कि इस ढुलाई में बड़े पैमाने पर जीएसटी की चोरी होती है। स्क्रैप में तो 18 प्रतिशत की जीएसटी चोरी की जाती है। इसके अलावा कोयला व विदेशी सुपारी तस्करी से भी सरकार को बड़े पैमाने पर कस्टम ड्यूटी का चूना लगाया जाता है। सिंडीकेट से जुड़े लोग फर्जी बिल के सहारे उत्तर बंगाल से दुर्गापुर तक बेहिचक अपने ट्रकों का परिचालन करते हैं। जीएसटी और सीएसटी के साथ आयकर की भी चोरी हो रही है। फर्जी कंपनियों के माध्यम से सामानों को बेच कर भी सरकार को धोखा दिया जा रहा है। जाच में जुटी टीम प्रत्येक बिल की चेकिंग करने में लगी है। इसी जांच के आधार पर इस धंधे में जुटे लोगों की कुंडली खंगाली जा रही है।
किस काम के लिए कितनी उगाही
जांच के क्रम में जो नाम सामने आए हैं उसके अनुसार सोमनाथ, देवाशीष धर, नील कमल, श्याम चौधरी, धीरज, रुपेश कुमार, श्याम घोष आदि प्रमुख हैं। मिली जानकारी के अनुसार सिंडीकेट वाले हर ट्रक पर एक निर्धारित रकम ट्रक मालिकों से लेते हैं। सरकारी राजस्व देने की कोई आवश्यकता नहीं है। ट्रकों से स्क्रैप के लिए 42 सौ, सुपारी के लिए 40 हजार और कोयला के लिए 5000 प्रति ट्रक लिया जाता है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि फर्जी बिल या कंपनी के माध्यम से इस प्रकार के धंधा चलाने वालों को बेनकाब किया जाएगा। इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।