201 प्रत्याशियों के बीच मची है मैदान मारने की होड़
-चुनाव टलने के कारण थोड़ी निराशा लेकिन उत्साह में कमी नहीं -तरह-तरह के हथकंडे अपना क
-चुनाव टलने के कारण थोड़ी निराशा लेकिन उत्साह में कमी नहीं
-तरह-तरह के हथकंडे अपना कर सभी कर रहे हैं प्रचार जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी: कहा जाता है कि राजनीति में न कोई दोस्त होता है और न कोई दुश्मन। यहां वक्त के हिसाब से दुश्मन को भी दोस्त बना लिया जाता है। सिलीगुड़ी नगर निगम चुनाव में वाममोर्चा व काग्रेस ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने की बात कही थी, लेकिन अचानक से दोनों के सूर बदल गए और दोनों ही दल प्राय: हर सीट पर एक दूसरे के खिलाफ लड़ते हुए नजर आ रहे हैं। सिलीगुड़ी नगर निगम चुनाव 2022 में कुल 201 प्रत्याशी मैदान में ताल ठोकते हुए नजर आ रहे हैं। इसमें तृणमूल काग्रेस के 47, बीजेपी के 46, वाममोर्चा के 43, काग्रेस के 34 तथा 31 निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में उतर चुके हैं। नामाकन वापसी के बाद तो तस्वीर बिल्कुल ही साफ हो चुकी है। आकड़ों पर गौर करें तो पाते हैं कि सबसे अधिक सीटों पर यानी सभी 47 सीटों पर तृणमूल कांग्रेस लड़ रही है। वहीं दो नंबर पर बीजेपी है जो महज एक सीट कम 46 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। जबकि तीसरे पायदान पर वाममोर्चा है, जो 43 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इसमें उनके घटक दल फॉरवर्ड ब्लॉक, सीपीआई, आरएसपी के 7 सीट शामिल हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस चुनाव में 31 निर्दलीय उम्मीदवार हैं, जो अपने बलबूते पर मैदान में न सिर्फ खड़े हैं, बल्कि कई वार्डो में टक्कर देते हुए दिख रहे हैं। ये जीते या हारे लेकिन किसी भी पार्टी के उम्मीदवार का समीकरण बिगाड़ने का दमखम रखते हैं। राजनीतिक पार्टियों की आपसी कलह पर इनकी निगाह टिकी हुई है। जहा कहीं भी पार्टी में कलह है, वहा निर्दलीय उम्मीदवार अपनी राजनीतिक दांव भिड़ाने की जुगत में हैं। दरअसल वाममोर्चा व कांग्रेस पिछले चुनाव के फार्मूले को अपनाने में विश्वास कर रहे हैं। 2015 में दोनों पार्टियां अलग- अलग लड़ी थीं तथा मिलकर सत्ता चलाया था। इस बार भी उसी तर्ज पर दोनों पार्टियां आगे बढ़ रही हैं। लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि एक दर्जन से अधिक सीटों पर काग्रेस और वाममोर्चा एक दूसरे के खिलाफ लड़ते हुए नजर आ रहे हैं। इस बार का चुनाव भी काफी रोचक होते हुए दिख रहा है। तृणमूल काग्रेस, वाममोर्चा के साथ ही बीजेपी भी कई सीटों पर चुनौती खड़ी करते हुए नजर आ रही है। कुछ सीटों पर काग्रेस का भी दबदबा दिख रहा है। वाममोर्चा जहां सत्ता के करीब पहुंचने की जुगत में है, वहीं तृणमूल काग्रेस किसी भी सूरत में किसी भी पार्टी के लिए एक इंच भी जगह छोड़ने को तैयार नहीं है। यही कारण है कि रणनीतिक तौर पर सभी 47 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं। हालाकि कई जगहों पर तृणमूल काग्रेस को अंदरुनी हालात से निपटना पड़ रहा है। सत्ताधारी पार्टी होने के नाते टिकट को लेकर सबसे ज्यादा तृणमूल काग्रेस में नाराजगी दिखी है। हालांकि थोड़ी बहुत हर पार्टी में टिकट को लेकर नाराजगी देखने को मिली है। 22 जनवरी को मतदान है और इसके लिए सभी प्रत्याशी दमखम के साथ चुनावी प्रचार अभियान में उतर चुके हैं। लगे हाथ आरोप- प्रत्यारोप व एक दूसरे का पोस्टर फाड़ने तथा चुनावी कार्यालय तोड़ने जैसे भी मामले आ रहे हैं। लेकिन सब कुछ मिलाकर देखा जाए तो अब तक औसतन शातिपूर्ण तरीके से चुनाव प्रक्रिया रही है। आगे और क्या-क्या होता है यह देखना अभी बाकी है। इसबीच चुनाव टलने के कारण उम्मीदवारों में थोड़ी निराशा जरूर है लेकिन उनके उत्साह में कोई कमी नहीं दिख रही है। चुनाव प्रचार के लिए ये तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं।