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अब मच्छरों से निपटेगी गम्बूशिया मछली

-तीन नंबर बोरो क्षेत्र के नाली व ड्रेन में छोड़ा जाएगा मछली -कहानाकाम वामपंथी बोर्ड अभ

By JagranEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 02:15 PM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 02:15 PM (IST)
अब मच्छरों से निपटेगी गम्बूशिया मछली
अब मच्छरों से निपटेगी गम्बूशिया मछली

-तीन नंबर बोरो क्षेत्र के नाली व ड्रेन में छोड़ा जाएगा मछली

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-कहा,नाकाम वामपंथी बोर्ड अभी भी सबक लेकर कुछ करें काम

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : नगर निगम में लगातार बढ़ रहे डेंगू के प्रभाव और मच्छर जनित रोगों से निपटने के लिए तीन नंबर बोरो कमेटी क्षेत्र में डेंगू मच्छर को खाने वाले गम्बूशिया मछली को छोड़ने की तैयारी में है। दैनिक जागरण से बात करते हुए दार्जिलिंग जिला तृणमूल कांग्रेस के कॉडिनेटर व तीन नंबर वार्ड के चेयरमैन निखिल सहनी ने जल्द ही कई वार्ड स्थित नाली और ड्रेन में गम्बूसिया मछली को छोड़ा जाएगा। इस प्रकार की बीमारियों से पर लगातार नजर रखने और एंटी लार्वा गतिविधियों करने और आवश्यकतानुसार फॉगिंग करवाने का निर्णय भी लिया है। सहनी ने कहा कि इस संबंध में बोरो अधिकारी राकेश दे, वार्ड 17 के सचिव संग्राम सिंह मित्रा, स्वपन विश्वास सचिव वार्ड नंबर 17, अशोक गुप्ता, बबलू सरकार, तनिमा घोष, इला दास आदि से इस संबंध में बातचीत की जा रही है। बताया कि कैसे वामो बोर्ड में जनता को मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हो पा रही है। इसको लेकर भी पार्टी की ओर से आंदोलन किया जाएगा।

क्या है गम्बूशिया मछली

स्थानीय भाषा में इसे गटर गप्पी कहते है। बांग्ला में इसे टाकी माछ कहा जाता है। इसे किसी प्रकार के तालाब गड्ढे नाली या गटर में डाल सकते है। इस मछली का मुख्य भोजन है मच्छरों का लार्वा है। इस मछली की सबसे खास बात यह है कि यह अंडे नहीं देती बल्कि बच्चे देती है। यह मछली तीन इंच तक लंबी होती है। इस मछली के बच्चे दो द्वंद्व होने पर भी मच्छरों के लार्वा को खाने लगते है। गप्पी मछली 16 से 28 दिनों के अंतराल पर बच्चे देती है। यह 14 डिग्री सेल्सियस से 38 डिग्री सेल्सियस तक बडे़ ही आराम से रह लेती है। गप्पी का बच्चा हो या मछली ये अपने कुल भार का 40 फिसदी लार्वा 12 घंटे में खा सकती है। इस मछली की पहचान ब्रिटिश नाबिक जेम्स कुक ने की थी। यह मछली डेंगू के लार्वा को खाकर मलेरिया, फैलाने वाले मच्छरों की आबादी पर रोक लगाने का कार्य करती है।


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