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तीस्ता सीतलवाड़ की गिरफ्तारी के विरुद्ध प्रदर्शन

-सीपीआइ (एमएल) लिबरेशन ने शहर में निकाली धिक्कार रैली -तीस्ता सीतलवाड़ व आर.बी. श्रीकुमार सम

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Jun 2022 08:52 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jun 2022 08:52 PM (IST)
तीस्ता सीतलवाड़ की गिरफ्तारी के विरुद्ध प्रदर्शन
तीस्ता सीतलवाड़ की गिरफ्तारी के विरुद्ध प्रदर्शन

-सीपीआइ (एमएल) लिबरेशन ने शहर में निकाली धिक्कार रैली

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-तीस्ता सीतलवाड़ व आर.बी. श्रीकुमार समेत अन्य को रिहा करने की मांग जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : मानवाधिकार कार्यकर्ता व गुजरात दंगों के पीड़ितों की मदद के लिए बनी संस्था सिटीजेन्स फॉर जस्टिस एंड पीस की सचिव तीस्ता सीतलवाड़ की गुजरात एटीएस द्वारा एवं गुजरात के पूर्व डीजीपी आर.बी. श्रीकुमार की डिटेक्शन आफ क्राइम ब्रांच द्वार बीती 25 जून को की गई गिरफ्तारी के विरुद्ध सीपीआई (एमएल) लिबरेशन की दार्जिलिंग जिला कमेटी की ओर से सोमवार शाम यहां शहर में धिक्कार रैली निकाल कर विरोध प्रदर्शन किया गया। सीपीआइ (एमएल) लिबरेशन समर्थकों ने अपने दार्जिलिंग जिला कार्यालय के सामने अस्पताल रोड पर एकत्रित हो कर वहां से रैली निकाली एवं हाशमी चौक पर जा कर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान बैनर प्रदर्शित करते हुए एवं नारेबाजी करते हुए प्रदर्शनकारियों ने केंद्र की मोदी सरकार को जम कर कोसा। उन्होंने समाजसेवी तीस्ता सीतलवाड़ व आर.बी. श्रीकुमार एवं अन्य की गिरफ्तारी को मानवाधिकार एवं गणतांत्रिक अधिकारों का हनन करार दिया। इसके साथ ही अविलंब सभी की रिहाई की मांग। अन्यथा, जोरदार आंदोलन की चेतावनी दी है।

इस अवसर पर संवाददाताओं को संबोधित करते हुए सीपीआइ (एमएल) लिबरेशन के पश्चिम बंगाल प्रदेश सचिव अभिजीत मजूमदार ने कहा कि, 'मोदी सरकार पूरी तरह तानाशाही पर उतर आई है। वह गणतंत्र का गला घोंट रही है। तीस्ता सीतलवाड़ व आर.बी. श्रीकुमार जैसे समाजसेवियों को गिरफ्तार कर उसने यह संदेश दिया है कि देश में मानवाधिकार व गणतांत्रिक अधिकारों के लिए कोई जगह नहीं है। इन समाजसेवियों का गुनाह केवल यही है कि इन लोगों ने 2002 के गुजरात नरसंहार के विरुद्ध आवाज उठाई। उस दंगे के असली अपराधियों का पर्दाफाश किया। पीड़ितों को इंसाफ व उनके अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी। इसीलिए इन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। वह भी 25 जून को गिरफ्तारी की गई जो कि भारत में इमरजेंसी के लिए कुख्यात काला दिवस है। इससे स्पष्ट होता है कि देश में वर्तमान मोदी सरकार ने अघोषित रूप में इमरजेंसी लागू कर रखी है। इस तरह गणतंत्र का गला घोंटा जाने को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। इसके विरुद्ध सभी एकजुट हो कर आगे आएं, आवाज बुलंद करें व आंदोलन कर इंसाफ सुनिश्चित करवाएं।' इस मुद्दे को ले उन्होंने लगातार आंदोलन की भी चेतावनी दी है।

इस दिन धिक्कार रैली व विरोध प्रदर्शन में सीपीआई (एमएल) लिबरेशन की दार्जिलिंग जिला कमेटी के सचिव पवित्र सिंह, मुजम्मिल हक, मीरा चतुर्वेदी, मुक्ति सरकार, शरत सिंह, शाश्वती सेनगुप्त व अन्य कई सम्मिलित रहे।


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