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बालू-पत्थर वाले डंपर के रूप में सड़कों पर खुलेआम दौड़ रहे यमदूत

इस सड़क पर पिछले कुछ वर्षों से बालू-पत्थर लदे डंपरों का तांडव जारी है। हर दिन इस रूट पर दो से तीन दुर्घटनाएं जरूर होती है। स्थानीय लोग इसे यमदूत कहने लगे हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 19 Jun 2019 11:57 AM (IST)Updated: Wed, 19 Jun 2019 11:57 AM (IST)
बालू-पत्थर वाले डंपर के रूप में सड़कों पर खुलेआम दौड़ रहे यमदूत
बालू-पत्थर वाले डंपर के रूप में सड़कों पर खुलेआम दौड़ रहे यमदूत

सिलीगुड़ी, विपिन राय। यदि आप रात के समय और कभी-कभी दिन में भी चंपासारी-मिलनमोड़ सड़क पर आवाजाही कर रहे हैं,तो सावधान हो जाएं। आप भले ही कोई लापरवाही ना करें,लेकिन दूसरों की लापरवाही से आपकी जान जा सकती है। इस सड़क पर पिछले कुछ वर्षों से बालू-पत्थर लदे डंपरों का तांडव जारी है। हर दिन इस रूट पर दो से तीन दुर्घटनाएं जरूर होती है। जिसमें कई लोग घायल होते हैं और कुछ की तो जान ही चली जाती है। इन डंपरों का ऐसा आतंक है कि स्थानीय लोग इसे यमदूत कहने लगे हैं।

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एक अनुमान के मुताबिक पिछले एक साल में इस रूट पर अनगिनत दुर्घटनाएं हो चुकी है। जिसमें कई लोग घायल हुए हैं और चार लोगों की मौत हो गई है। इसलिए इस इलाके के लोग हर वक्त अपनी जान हथेली पर लेकर चलते हैं। खासकर रात के समय आप सजग नहीं रहे तो आप किसी बड़ी दुर्घटना के शिकार हो सकते हैं।

सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस के अधीन प्रधान नगर थाना अंतर्गत चंपासारी-मिलनमोड़ सड़क है। मिलन मोड़ से थोड़ी दूरी पर गुलमा में बालू-पत्थर खनन का काम होता है। यहां से बालू-पत्थर की आपूर्ति सिर्फ सिलीगुड़ी में ही नहीं,बल्कि पड़ोसी राज्य बिहार और सिक्किम के साथ-साथ पूवरेत्तर राज्यों असम,नागालैंड,मिजोरम में भी होती है। अब तो आलम यह है कि गुलमा घाट पर सिर्फ डंपर नहीं,बल्कि 20 चक्का,22 चक्का वाले ट्रक आते हैं। स्थानीय लोगों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार चंपासारी,देवीडांगा,मिलन मोड़ इलाके की हालत अब पहले जैसी नहीं है। पहले इन इलाकों में लोग कम बसे हुए थे। जबकि अब यह पूरा इलाका ही रिहायशी हो गया है। इन इलाकों में हजारों लोग रहते हैं।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि बालू-पत्थर गाड़ियों की रफ्तार काफी अधिक होती है। चालक लापरवाही से गाड़ी चलाते हैं। इसके अलावा प्रशासन ने इन वाहनों की आवाजाही के लिए समय की जो पाबंदी लगाई है,उसकी भी अनदेखी की जाती है। स्थानीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बालू-पत्थर के लिए बड़ी गाड़ियों की आवाजाही के लिए समय निर्धारित है। गाड़ियां रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक ही बालू-पत्थर के लिए घाट आ-जा सकतीं हैं। आरोप है कि चालक इस समय को नहीं मान रहे हैं। रात को नौ बजे से पहले ही वाहनों की आवाजाही शुरू हो जाती है और सुबह आठ बजे के बाद भी जारी रहती है। एक रात में करीब ढ़ाई सौ से तीन सौ बालू-पत्थर की गाड़ियां इस रूट पर चलती हैं। बाइक,साइकिल,ऑटो या टोटो से जो लोग सवारी करते हैं,उन्हें लगता है कि किसी विशाल दैत्य के सामने से गुजर रहे हैं। 20 और 22 चक्का वाली दैत्यनुमा बड़ी गाड़ियों पर ओवर लोडिंग के भी आरोप हैं। जब यह गाड़ियां गुजरती हैं,तो पूरा इलाका थर्रा जाता है। स्थानीय लोगों के अनुसार घर तक हिल जाता है। जबकि सड़क की खस्ताहाली तो होती ही है। इस संबंध में मिलन मोड़ इलाके में स्थित मधुर मिलन संघ के अध्यक्ष हेमंत गौतम का कहना है कि 18 फीट सड़क पर इतनी बड़ी-बड़ी गाड़ियां कैसे चल सकती है। प्रशासन से कई बार इतनी बड़ी गाड़ियों की आवाजाही बंद करने की मांग की गई है,लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। यहां के लोग बालू-पत्थर ले जाने के विरोधी नहीं हैं,हां ढुलाई छोटी गाड़ियों से होनी चाहिए। जिससे दुर्घटनाएं रूक सकती हंै। जबकि ऐसा हो नहीं रहा है। उल्टे इन गाड़ियों की रफ्तार ज्यादा होती है। जिससे आमलोग दुर्घटना के शिकार होते हैं।

हेमंत गौतम ने कहा कि इन वाहनों को नियंत्रित करने के लिए मिलन मोड़ व्यवसायी समिति की ओर से भी ट्रैफिक विभाग तथा पुलिस को ज्ञापन दिया गया। हांलाकि इसका कोई लाभ नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि बाध्य होकर मिलन मोड़ इलाके में रहने वाली महिलाओं को मैदान में उतरना पड़ा है। इस इलाके की महिलाएं ग्रुप बनाकर बांस और डंडों से लैस होकर लापरवाह वाहन चालकों को नियंत्रित कर रही हैं। देवीडांगा इलाके के ही रहने वाले मानव उत्थान सेवा समिति के एक पदाधिकारी हिम बहादुर सोनार ने भी कुछ इसी तरह की बातें कही।

वैकल्पिक व्यवस्था की मांग: चंपासारी इलाके के रहने वाले तथा फ्रेंडस ऑफ यूथ के अध्यक्ष सिद्धार्थ प्रसाद ने इन वाहनों की आवाजाही के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग की। उन्होंने कहा कि मिलनमोड़ से चंपासारी तक की आबादी घनी हो गई है। इस रूट से बालू-पत्थर वाहनों की आवाजाही बंद होनी चाहिए। इसी रूट पर कई स्कूल,कई हाउसिंग कॉम्पलेक्स बने हैं। घनी आबादी के कारण सुबह पांच बजे से ही लोग सड़क पर मॉर्निग वाक के लिए निकलते हैं। कई दुर्घटनाओं के बाद मॉर्निग वाक से भी लोग डरने लगे हैं। सिद्धार्थ प्रसाद ने कहा कि सुकना या फिर सालुगाड़ा से वैकल्पिक रूट की व्यवस्था की जा सकती है।

आपात बैठक,एक महीने का अल्टीमेटम: इसबीच,बार-बार पुलिस को ज्ञापन देने के बाद भी कोई लाभ नहीं होने पर मिलनमोड़ व्यवसाई समिति ने आपात बैठक की है। संगठन की ओर से हेमंत गौतम ने बताया है कि घाट मालिकों को भी इस बैठक में आमंत्रित किया गया था। उनसे बड़ी गाड़ियों की आवाजाही बंद करने की मांग की गई है। इसके लिए एक महीने का अल्टीमेटम दिया गया है। उसके बाद मिलन मोड़ के लोग बड़ी गाड़ियों को चलने नहीं देंगे। छोटी गाड़ियों से बालू-पत्थर की लोडिंग पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।

क्या कहते हैं वार्ड पार्षद और एमएमआईसी : सिलीगुड़ी नगर निगम के 46 नंबर वार्ड के पार्षद तथा एमएमआईसी मुकुल सेनगुप्ता ने कहा कि बालू-पत्थर गाड़ियों से लगातार बढ़ती दुर्घटनाएं काफी चिंताजनक है। इसको लेकर प्रधान नगर थाना के साथ-साथ ट्रैफिक विभाग एवं पुलिस कमिश्नर को तीन बार ज्ञापन दिया गया। उसके बाद भी कोई लाभ नहीं हुआ। इन वाहनों पर सुबह सात बजे से रात दस बजे तक पूरी तरह से रोक लगनी चाहिए। इस नियम का पालन कड़ाई से होना चाहिए।

क्या कहते हैं प्रधान नगर थाना के प्रभारी: इस संबंध में जब प्रधान नगर थाना के प्रभारी नूर आलम सिद्दिकी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वाहनों की गति नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है। रात को चंपासारी-मिलनमोड़ सड़क पर पेट्रोलिंग बढ़ा दी गई है। यही कारण है कि इनदिनों दुर्घटनाओं में काफी कमी आ गई है। वाहनों की आवाजाही के लिए जो समय निर्धारित की गई है,उसका उल्लंघन ना हो,इस पर भी ध्यान दिया जा रहा है।

एक सप्ताह बाद डेढ़ महीने के लिए खनन बंद: बालू पत्थर की आपूर्ति करने वाले लोगों का कहना है कि दुर्घटनाओं की समस्या गंभीर है। हांलाकि वह लोग इसमें कुछ नहीं कर सकते। वाहन चालकों को सजग होना होगा। साथ ही वाहनों की गति नियंत्रित रखने के लिए पुलिस को भी अपनी निगरानी बढ़ानी होगी। एक सप्ताह बाद ही बारिश में खनन घाटों को बंद कर दिया जाएगा। करीब डेढ़ महीने तक बालू-पत्थर की आपूर्ति बंद रहेगी। दोबारा घाट खुलने के बाद इस समस्या पर बैठक होगी।

समस्या गंभीर

बालू-पत्थर वाले डंपर के रूप में खुलेआम दौड़ रहे यमदूत

चंपासारी-मिलनमोड़ सड़क पर जारी है तांडव

हर दिन 250 से अधिक डंपरों की आवाजाही

जरा सी भी सावधानी हटी तो जाएगी जान

साल भर में चार की मौत,कई घायल,अनगिनत दुर्घटनाएं,

गति पर नियंत्रण नहीं और समय की पाबंदी भी बेकार

पुलिस को ज्ञापन देने के बाद भी कोई लाभ नहीं

स्थानीय लोगों में दहशत ,घाट मालिकों को अल्टीमेटम

एक माह बाद बड़ी गाड़ियों की आवाजाही बंद करने की धमकी 

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