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दार्जिलिंग के सांसद व भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजू बिष्ट ने कहा- चाय श्रमिकों की समस्या से अनभिज्ञ है ममता बनर्जी

दार्जिलिंग के सांसद व भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजू बिष्ट ने कहा- कागज में है चाय सुंदरी प्रकल्प मजदूरों से सच्ची हमदर्दी तो दे जमीन का पट्टा कहां उत्तर बंगाल के भाजपा सांसदों के कारण चाय श्रमिकों के लिए बजट में एक ग्यारह हजार करोड़ का बजट हुआ पेश

By PRITI JHAEdited By: Published: Wed, 03 Feb 2021 12:04 PM (IST)Updated: Wed, 03 Feb 2021 12:04 PM (IST)
दार्जिलिंग के सांसद व भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजू बिष्ट ने कहा- चाय श्रमिकों की समस्या से अनभिज्ञ है ममता बनर्जी
दार्जिलिंग के सांसद और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजू बिष्ट

सिलीगुड़ी:, जागरण संवाददाता। दार्जिलिंग के सांसद और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजू बिष्ट ने कहा कि राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उत्तर बंगाल के चाय श्रमिकों की समस्या से पूरी तरह अनभिज्ञ है। या तो वह जानकर भी अनजान बनी हुई है। राजू बिष्ट ने बताया कि उत्तर बंगाल में लॉकडाउन और चाय बागान के कारण 130 श्रमिक भूख और कुपोषण के शिकार होकर दम तोड़ चुके हैं। इस बात को ना मुख्यमंत्री मानने को तैयार है नहीं जिला प्रशासन। जबकि उत्तर बंगाल चाय बागान से सबसे ज्यादा टैक्स राज्य सरकार वसूल करती है।

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वर्ष 2011 से 2019 तक चाय श्रमिकों के हित में ममता बनर्जी की सरकार ने कोई भी प्रकल्प प्रारंभ नहीं किया। चाय श्रमिकों के न्यूनतम मजदूरी को लेकर लगातार हो रहे आंदोलन को भी इस सरकार ने अनदेखी की है।2019 में जब लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जीत हुई तो चाय श्रमिकों को झांसा देने के लिए राज्य सरकार ने चाय सुंदरी प्रकल्प प्रारंभ किया है। यह प्रकल्प भी कागज पर ही सिमटा हुआ है। मुख्यमंत्री उत्तर बंगाल दौरे पर भारतीय जनता पार्टी के सांसदों पर आरोप लगाती है कि सांसदों ने चाय श्रमिकों के लिए कुछ नहीं किया।

मुख्यमंत्री को बताना चाहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी के उत्तर बंगाल सांसदों की ही देन है कि बंगाल और असम चाय बागान के लिए केंद्र सरकार ने केंद्रीय बजट में 1000 करोड़ रुपए का वेलफेयर फंड घोषित किया है। इसके बल पर यहां के चाय श्रमिकों के दिन फिरने वाले हैं। इतना ही नहीं सांसदों के बल पर केंद्र सरकार ने 1950 से चले आ रहे प्लांटेशन एक्ट को खत्म कर चार नया श्रमिक कानून बनाया है। जो कानून के रूप में आते हैं चाय श्रमिकों के न्यूनतम मजदूरी कम से कम 350 से अधिक मिलने वाला है। इसके साथ ही उन्हें स्वास्थ्य और आवास की सुविधा भी मुहैया होगी।

उन्होंने मुख्यमंत्री को निशाने पर लेते हुए कहा कि अगर चाय श्रमिकों की सरकार उतनी ही हितेषी है तो अभिलंब चाय श्रमिकों को जमीन का पट्टा मुहैया कराए। जमीन का पट्टा मुहैया होते हैं श्रमिकों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्का मकान मिलेगा। राज्य सरकार यह नहीं करके चाय श्रमिक आदिवासी, गोरखा श्रमिकों के बीच झूठ का भ्रम जाल फैला रही है। इससे कोई फायदा होने वाला नहीं है लोकसभा में जिस प्रकार यहां के लोगों ने राज्य सरकार को अंगूठा दिखाया था उसी तरह विधानसभा चुनाव में पूरी तरह मुट्ठी बांधकर सत्ता से बाहर करेगी। 


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