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दिल्ली में बैठक से पहले ही गहराया बवाल

-माकपा नेता को केंद्र की बातों पर भरोसा नहीं -भाजपा सरकार से पहले एजेंडा स्पष्ट करने मांग

By JagranEdited By: Published: Thu, 07 Oct 2021 07:19 PM (IST)Updated: Thu, 07 Oct 2021 07:19 PM (IST)
दिल्ली में बैठक से पहले ही गहराया बवाल
दिल्ली में बैठक से पहले ही गहराया बवाल

-माकपा नेता को केंद्र की बातों पर भरोसा नहीं

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-भाजपा सरकार से पहले एजेंडा स्पष्ट करने मांग

-राज्य के बंटवारे की कोशिश का लगाया आरोप जागरण संवाददाता,सिलीगुड़ी: गोर्खाओं की समस्याओं को लेकर केंद्र की भाजपा नीत गठबंधन सरकार भले ही गंभीर दिख रही है, लेकिन बंगाल के राजनीतिक गलियारों में 12 अक्टूबर की होने वाली बैठक को लेकर सवाल उठने लगे हैं। राज्य के पूर्व मंत्री व दार्जिलिंग जिला वाममोर्चा के संयोजक अशोक भटटाचार्य ने इस मसले पर खास तौर दैनिक जागरण के साथ बातचीत करते हुए कहा कि अगर यह त्रिपक्षीय बैठक है तो हम उसका स्वागत करते हैं। लेकिन जहां तक वह समझते हैं कि यह त्रिपक्षीय बैठक नहीं है। क्योंकि इसमें न तो राज्य सरकार को आमंत्रित किया गया है और न ही बंगाल की मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को बुलाया गया है। उन्होंने बातचीत के क्रम में कहा कि हम भी चाहते हैं कि इस क्षेत्र में रहने वाले गोर्खाओं की समस्याओं का समाधान हो। वाममोर्चा सरकार के शासनकाल में दार्जिलिंग गोर्खा हिल काउंसिल का गठन हुआ था। इसके जरिये गोर्खाओं के विकास को सुनिश्चित करने का कार्य हुआ था। डीजीएचसी का गठन त्रिपक्षीय बैठक के जरिये हुआ था तथा इसमें सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को साथ लिया गया था। इसके बाद 2011 में जीटीए के जरिये पहाड़ की समस्या का समाधान करने की कोशिश की गयी थी। यदि भाजपा वास्तव में गोर्खाओं व तराई-डुवार्स के लोगों की समस्याओं को लेकर गंभीर है तो उसे सबसे पहले अपने एजेंडे का खुलासा करना चाहिए। यदि उसके मन में अलग राज्य बनाने जैसी कोई बात चल रही है तो उसे पहले स्पष्ट करना चाहिए। क्योंकि उन्हें लगता है कि भाजपा कुछ बड़ा खेल खेलने की तैयारी में है। अगर ऐसा होता है तो यह सही नहीं होगा। वाममोर्चा का हमेशा से मानना रहा है कि गोर्खाओं की समस्या का समाधान एकमात्र छठी अनुसूची को लागू करके ही हो सकता है। छठी अनुसूची के लागू होने से पहाड़ के लोगों को सामाजिक सुरक्षा मिलेगी तथा उनकी पहचान सुनिश्चित होगी। उन्होंने कहा कि बंगाल का बंटवारा हमें कतई मंजूर नहीं है। बंगाल को बिना बांटे गोर्खाओं की समस्याओं का स्थायी समाधान किया जाए। उन्होंने कहा कि भाजपा समस्या का समाधान नहीं करना चाहती है बल्कि वह एक दूसरे तरह की समस्या को पैदा करना चाहती है। आये दिन यूनियन टेरिटोरी बनाने जैसी बात भाजपा के नेताओं की ओर से आती रहती है। इस पर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को अपना रूख स्पष्ट करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली में 12 अक्टूबर को होने वाली बैठक में कुछ खास नेताओं को बुलाया गया है। यही बात इस बैठक को लेकर संदेह पैदा करती है।

तृणमूल सांसद ने बताया नौटंकी

वहीं दार्जिलिंग पहाड़ की तृणमूल कांग्रेस नेता शांता छेत्री ने इसे भाजपा की नौटंकी करार दिया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में बुलायी गयी बैठक नौटंकी से ज्यादा कुछ भी नहीं है।

बैठक में किस-किस को बुलावा

बताते चले 12 अक्टूबर को दिल्ली में गोर्खाओं की समस्याओं के समाधान को लेकर एक बैठक बुलायी गयी है। बैठक में शामिल होने के लिए भाजपा सांसद राजू विष्ट के अलावा गोर्खा राष्ट्रीय मुक्तिमोर्चा के नेता व डुवार्स क्षेत्र से प्रतिनिधित्व के लिए अलीपुरद्वार के सांसद जॉन बारला को पत्र भेजा गया है। राज्य सरकार की ओर से अब तक इस पर किसी तरह का बयान नहीं आया है, जिससे यह पता चल सके कि राज्य सरकार को बैठक में आमंत्रित किया गया है या नहीं। हालांकि सांसद राजू बिष्ट की ओर कहा गया है कि जहां तक उन्हें जानकारी है राज्य सरकार को आमंत्रण पत्र भेजा गया है और सरकार को इसमें शामिल होना चाहिए।

जारी रहेगा चर्चा का दौर

इस बैठक को लेकर हर दिन तरह तरह प्रतिक्रिया आ रही है। बैठक का भविष्य क्या होगा यह तो समय ही बतायेगा, लेकिन इतना तो तय है कि राजनीतिक गलियारों पर इस मसले पर आने वाले समय में चर्चा का दौर जारी रहने वाला है।


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