लोगों से छल कर रही तृकां व भाजपा : माकपा
-ना लोगों तक पहुंच रहा राशन और ना मिल रहा जमीन का पट्टा -स्वास्थ्य सारथी के नाम पर लोग
-ना लोगों तक पहुंच रहा राशन और ना मिल रहा जमीन का पट्टा
-स्वास्थ्य सारथी के नाम पर लोगों का खड़ा किया जा रहा लाइन में
-विधान सभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस और भाजपा को पराजित करेंगे मतदाता
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : विधानसभा चुनाव 2021 के लिए माकपा ने जनसंपर्क अभियान शुरु किया है। एक ओर जहां सिलीगुड़ी विधानसभा क्षेत्र में स्थानीय विधायक सह पूर्व मंत्री अशोक नारायण भट्टाचार्य लगातार वार्डो में संपर्क अभियान कर रहे है। वहीं दूसरी ओर राज्य के पर्यटन मंत्री गौतम देव के विधानसभा क्षेत्र डाबग्राम फूलबाड़ी में उन्हें पराजित करने के लिए माकपा अपने सहयोगी दलों के साथ लगातार जनसंपर्क अभियान शुरु किया है। माकपा नेता व नगर निगम के निवर्तमान चेयरमैन दिलीप सिंह ने कहा कि लोगों के भावनाओं के साथ भाजपा और तृणमूल कांग्रेस छल करने में लगी है। भाजपा जिस प्रकार लगातार किसान और श्रमिक विरोधी कानून ला रही है उससे असंतोष है। स्वास्थ्य बीमा के नाम पर लोगों को लाइन में खड़ा कर दिया गया है। जिसके पास यह कार्ड है भी उसे नर्सिग होम में प्रवेश तक नहीं करने दिया जाता है।
नहीं मिल रहा लोगों को राशन, व्यापक पैमाने पर घोटाला
राज्य सरकार पर हमलावर होते हुए कहा कि खाद्य सुरक्षा योजना के तहत जिले में गरीबों को दिया जाने वाला राशन पात्रता सूची के फेर में उलझाकर रखा है। योजना लागू होने के दो वर्ष से भी अधिक समय गुजर गया परंतु अब तक पात्र गृहस्थियों की सूची दुरुस्त नहीं हो पाई है। जो सूची पूरा होने के बाद भी डिजीटल कार्ड बने भी है उसमें 50 प्रतिशत लोगों के नाम ही नहीं है। योजना के तहत सरकार ने गेहूं व चावल खाद्यान्न को बेहद सस्ती दरों पर उपलब्ध कराने का फैसला लिया था जो सभी लोगों को नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि टीएमसी के इशारे पर ही यह सब कुचक्र रचा जा रहा है। खाद्य आपूर्ति विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि आज राज्य में अप्रवासी मजदूरों के लिए जो राशन आया उसका क्या हुआ। करोड़ों रुपये के राशन लूट हुए है। अभी धान पूरी तरह निकला ही नहीं कि भ्रष्ट अधिकारियों के इशारे पर बड़े पैमाने पर धान की खरीदारी भी शुरू हो गयी है। जो चर्चाएं सामने आ रही है उसके अनुसार प्रत्येक क्विंटल में 110 रुपये की राशि ली जा रही है। क्या इसकी जांच कराएगी सरकार। सच सामने आ जाएगा।
नहीं मिला जमीन का पट्टा
कल तक मां माटी मानुष की बात करने वाली परिवर्तन की टीएमसी सरकार का वास्तविक चेहरा अब लोगों के सामने आने लगा है। लोग बदलाव चाहते है। दस वर्षो में राज्य सरकार लोगों को जमीन का पट्टा मुहैया नहीं करा पायी है। प्रत्येक चुनाव के पूर्व जमीन का पट्टा देने की बात करती है। लेकिन वास्तविकता यह है कि उसको लेकर भी राजनीति की जा रही है। वाममोर्चा के शासनकाल में सरकार ने जमीन के कागजात एक रुपये सालाना के दर पर 99 वर्ष का लीज देकर कागज देना शुरु किया था। उसे इस सरकार ने बंद कर दिया। अनुसूचित जनजाति प्रमाणपत्र नहीं मिल रहा है। हिंदी प्रकोष्ठ के नाम पर हिंदी भाषियों को ठगने का काम किया जा रहा है।
व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार
सदाचार की बात करने वाली सरकार का दोहरा चरित्र चिटफंड, अम्फन तुफान और कोरोना काल में सामने आया है। सरकार में अगर हिम्मत है कि उत्तर बंगाल में मची लूट की निष्पक्ष जांच कराए। यह उन्होंने कहा कि सच कहे तो यह सरकार भ्रष्टाचार के दलदल में फंसी हुई है। इसे जनता को उखाड़कर फेंक देना चाहिए। वाममोर्चा द्वारा संचालित नगर निगम बोर्ड को गिराने की लगातार कोशिश की गयी। बोर्ड के खिलाफ टीएमसी और उसके मंत्री दुष्प्रचार करने में लगे रहे। उन्होंने कहा कि राज्य में गणतांत्रिक मूल्य संकट में है। शिक्षा केंद्रों में हिसा, दूसरे दलों के प्रतिनिधियों को धन बल का प्रलोभन देकर अपनी पार्टी में मिलाने का काम चल रहा है। 200 करोड़ के एसजेडीए घोटाला में शामिल सभी दोषियों को गिरफ्तार किया जाए। इसमें दोषी टीएमसी नेताओं को जनता के सामने लाना चाहिए।
वादा नहीं किया पूरा
प्रत्येक बार चुनाव में डाबग्राम फूलबाड़ी क्षेत्र में हिदी और नेपाली उच्चमाध्यमिक स्कूल का वादा किया जाता रहा है। आजतक इसे पूरा नहीं किया गया। राशन दुकान के माध्यम से प्याज की आपूर्ति नहीं करा पायी। इसका जबाव सरकार और उनके मंत्रियों को देना पड़ेगा। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री ने तीन वर्ष पूर्व कहा था कि उत्तर बंगाल में साइकिल निर्माण के लिए वह फैक्ट्री लगाने के लिए कृत संकल्पित है। तीन वर्षो में साइकिल निर्माण का भी कोई उद्योग नहीं लग पाया। राशन दुकानों के माध्यम से प्याज की आपूर्ति करेगी। वह निर्देश क्या कागज में भी गुम हो गये इसका भी जबाव नेताओं को देना होगा।
किसानों पर बोलने का हक नहीं
राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार किसानों की बात करने का हक नहीं है। राज्य के किसान भांगर कांड को नहीं भूल पाएं है। सरकार पहले अपनी गलतियों को छुपाने के लिए उत्सव का सहारा लिया। अब सांप्रदायिकता को आगे बढ़ा रही है। यहीं कारण है कि बेरोजगारी और हिसा लगातार बढ़ रहा है। पुलिस प्रशासन पार्टी कैडर के रुप में काम कर रहा है। सरकार के इशारे पर निर्दोष किसानों पर गोली चलाना है। भांगड़ कांड में मंत्री पार्थ चटर्जी हिसा के पीछे साजिश बताते थे। गोली चलाने की बात से पुलिस इंकार करती रही । भांगर में मारे गये मफिजुल अली और आलमगीर मोल्ला को क्या इंसाफ मिल पाया?। विधानसभा चुनाव के समय इसका भी जबाव नेताओं को देना होगा।