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किसान आंदोलन के साथ धान खरीद घोटाला होगा प्रमुख मुद्दा

-बंगाल के 12 विधानसभा सीटों पर भाकपा माले लड़ेगी चुनाव -कहा पूंजीपतियों के साथ मिलकर

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Feb 2021 12:22 PM (IST)Updated: Mon, 01 Feb 2021 12:22 PM (IST)
किसान आंदोलन के साथ धान खरीद घोटाला होगा प्रमुख मुद्दा
किसान आंदोलन के साथ धान खरीद घोटाला होगा प्रमुख मुद्दा

-बंगाल के 12 विधानसभा सीटों पर भाकपा माले लड़ेगी चुनाव

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-कहा पूंजीपतियों के साथ मिलकर राज्य में चल रहे कटमनी से आहत है गरीब किसान

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी :

बंगाल विधानसभा चुनाव में किसानों का आंदोलन और राज्य में किसानों के धान खरीद के नाम पर चल रहे व्यापक घोटाले को भाकपा माले चुनावी मुद्दा बनाएगी। यह कहना है भाकपा माले के सेंट्रल कमेटी सदस्य व नक्सली आंदोलन के जनक चारु मजुमदार के पुत्र अभिजीत मजुमदार का। उन्होंने कहा कि एक ओर केंद्र सरकार किसान आंदोलनकारियों पर लाठी डंडे बरसा रही है तो दूसरी ओर पूंजीपतियों के साथ मिलकर ममता बनर्जी के खाद्य आपूर्ति के जिला स्तरीय पदाधिकारी धान खरीद के नाम पर लूट मचाए हुए है। दार्जिलिंग जिला के नक्सलबाड़ी से प्रारंभ हुए नक्सल आंदोलन भूमि को लेकर ही हुआ था। आज इस जिले में खेती की जमीन बहुत कम ही बची हुई है। उसके बाद जो जानकारी मिल रही है राइस मिल मालिकों और खाद्य आपूर्ति विभाग की मिलीभगत से चार लाख क्विंटल से ज्यादा की खरीदारी कर ली गयी है। इतनी धान का पैदावार तो शायद यहां होता भी नहीं है। इसके साथ ही ज्यादातर किसानों ने सरकारी दर पर धान की बिक्री भी नहीं की है। उन्होंने कहा कि फांसीदेवा विधानसभा से अपना उम्मीदवार उतारेगी।

12 सीटें जहां उतारा जाएगा उम्मीदवार

भाकपा माले प्रदेश में जिन सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान किया है उसमें दार्जिलिंग जिले में फांसीदेवा, जलपाईगुड़ी में मयनागुड़ी, मालदा में मोथाबाड़ी, मुर्शिदावाद में खारग्राम व बर्दमान में मंतेश्वर और जमालपुर, बाकुंडा में रानीबांध, नदिया में ओंदा, रानीबांध, नक्कासीपाडा, हुगली में धनखेली व उत्तरपाड़ा में अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला लिया है। यहां किसानों के साथ जो कुछ भेदभाव हो रहा है उसे उजागर किया जाएगा। कैसे इस क्षेत्र के विधाननगर में धान खरीद सेंटर के नाम पर कागजी काम होता है उसे भी लोगों के बीच बताया जाएगा। मजुमदार ने कहा कि किसान आंदोलन से जुड़ी घटनाओं पर नजर डाले तो इन घटनाओं को पूरे किसान आदोलन ने खारिज किया है। पार्टी ने केंद्र से यह आग्रह भी किया कि वह तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा करे। किसान समूहों की, ट्रैक्टर परेड के दौरान कई स्थानों पर पुलिस के साथ झड़प हुई। इसके बाद पुलिस ने किसान समूहों पर आसू गैस के गोले छोड़े तथा लाठीचार्ज किया। दिल्ली की सीमा पर कई स्थानों पर प्रदर्शनकारियों ने अवरोधक तोड़ दिए। ट्रैक्टर परेड के लिए निर्धारित मार्ग से हटकर प्रदर्शनकारी किसानों का एक समूह मंगलवार को लाल किले में घुस गया और राष्ट्रीय राजधानी स्थित इस ऐतिहासिक स्मारक के कुछ गुंबदों पर अपने झडे लगा दिए थे।

इसके लिए नरेंद्र मोदी सरकार जिम्मेदार

उन्होंने कहा कि मंगलवार को देश के प्रमुख वामपंथी दलों ने प्रदर्शनकारी किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा की निंदा की थी। इसके लिए आरोप लगाया था कि सरकार ने समय रहते हालात नहीं संभाले तथा स्थिति बिगड़ने दी। मोदी सरकार द्वारा हालात को यहा तक पहुंचाया गया। किसान 60 दिनों से सर्दीं के बीच शातिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे हैं और उन्हें दिल्ली में नहीं आने दिया गया। 100 से अधिक किसानों की मौत हो गई। हिंसा किसी चीज का जवाब नहीं है और यह अस्वीकार्य है। मजुमदार ने कहा कि भाजपा की ट्रोल आर्मी अपने अधिकार मागने वालों को बदनाम करती है, मंत्री निराधार आरोप लगाते हैं, विधि अधिकारी अदालत में बिना किसी आधार के दावे करते हैं। किसानों की वाजिब मागों के निदान का यह कोई तरीका नहीं है।


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