दिल्ली में ममता के बयान पर सिलीगुड़ी में माकपा और कांग्रेस नेताओं में नाराजगी
दिल्ली में ममता बनर्जी द्वारा दिए गए बयान से पश्चिम बंगाल में विपक्षी एकता को करारा झटका लगा है।
By Rajesh PatelEdited By: Published: Fri, 15 Feb 2019 09:58 AM (IST)Updated: Fri, 15 Feb 2019 09:58 AM (IST)
सिलीगुड़ी [अशोक झा]। बंगाल में भाजपा ने लोकसभा चुनाव में ताल ठोंक कर राज्य सरकार को चुनौती दे दी है। इसके बाद विपक्षी एकता की राष्ट्रीय स्तर पर एकत्रीकरण की दुहाई देते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा को केंद्र की सत्ता से उखाड़ फेंकने का आह्वान किया है। लेकिन दिल्ली में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा दिए गए बयान से सूबे में कांग्रेस और वाम मोर्चा में खलबली मचा दी है।
एक ओर जहां ममता बनर्जी ने एनडीए को सत्ता से हटाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट होकर चुनाव लडऩे को कहा। इसके साथ ही वह यह कह दिया कि माकपा और कांग्रेस राज्य में तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ लड़ रही है। मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद माकपा के पूर्व मंत्री सह सिलीगुड़ी के मेयर अशोक नारायण भट्टाचार्य ने कहा कि इससे राजनीतिक फायदा बीजेपी को मिलेगा। बीजेपी को बंगाल में मतों का ध्रुवीकरण कराने में मदद पहुंचाने के लिए जान-बूझकर ऐसा बयान दिया है।
उन्होंने कहा कि सभी को पता है कि बीजेपी ममता के कार्यकाल में काफी आगे बढ़ी है। तृणमूल कांग्रेस और भाजपा अंदर ही अंदर मिली हुई है। इसके कई उदाहरण हैं, जैसे दुर्गापूजा के विसर्जन की मनाही के लिए किसी मुस्लिम संगठनों ने मांग नहीं की थी परंतु इस बयान के बाद भाजपा समेत सांप्रदायिक शक्तियों को इसका लाभ मिला। रथयात्रा की अनुमति नहीं, भाजपा नेताओं के हेलीकॉप्टर को बंगाल की जमीन पर नहीं उतरने की चेतावनी, दो फरवरी की देर शाम अचानक सीबीआइ का पुलिस आयुक्त के घर पहुंचना और फिर ममता बनर्जी का उसी रात से धरना पर बैठना आदि। इसके पीछे भी सोची समझी रणनीति है। सारदा चिटफंड कांड के पीड़ितों को धनराशि वापस लौटाने के लिए लगातार सरकार पर कांग्रेस और माकपा दबाव डाल रही थी।
तीन फरवरी को माकपा का एेतिहासिक बिग्रेड का आयोजन था। एेतिहासिक भीड़ को देश दुनियां नहीं देख पाए, इसके लिए सीबीआआ और धरना का खेल खेला गया, ताकि मीडिया का फोकस इस ओर हो जाए। माकपा के जिला सचिव जीवेश सरकार का कहना है कि विपक्षी एकता को खंडित करने के लिए बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगी हैं। 2014 के बाद से ही धर्मनिरपेक्ष पार्टी को कमजोर करने में लगी है। उसके बाद से ही भाजपा ने बंगाल में फोकस किया है। इसका नतीजा है कि बीजेपी राज्य में कांग्रेस और लेफ्ट को पीछे छोड़ते हुए दूसरे नंबर की पार्टी बनकर उभरी है। पंचायत और उपचुनाव में बीजेपी का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। इसी के दम पर भाजपा 22 सीटों पर जीतने का दावा कर रही है।
कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष शंकर मालाकार का कहना है कि एक ओर दिल्ली में मुख्यमंत्री कांग्रेस का साथ मांगती हैं और दूसरी ओर बंगाल में कांग्रेस को साइन बोर्ड पार्टी के नाम से जनता के बीच बदनाम करने की कोशिश करती हैं। कांग्रेस के विजयी प्रतिनिधियों सांसद और विधायकों को कल बल छल से प्रलोभन देकर अपनी पार्टी में शामिल कराने में लगी हैं। तृणमूल धार्मिक उन्माद फैलाकर वोटों का ध्रुवीकरण अपने और भाजपा के पक्ष में कराने की कोशिश में कामयाब हो रही है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए बंगाल में भाजपा विरोधी मानसिकता वाली पार्टी के साथ कांग्रेस और माकपा लोकसभा चुनाव लड़ेगी।
एक ओर जहां ममता बनर्जी ने एनडीए को सत्ता से हटाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट होकर चुनाव लडऩे को कहा। इसके साथ ही वह यह कह दिया कि माकपा और कांग्रेस राज्य में तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ लड़ रही है। मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद माकपा के पूर्व मंत्री सह सिलीगुड़ी के मेयर अशोक नारायण भट्टाचार्य ने कहा कि इससे राजनीतिक फायदा बीजेपी को मिलेगा। बीजेपी को बंगाल में मतों का ध्रुवीकरण कराने में मदद पहुंचाने के लिए जान-बूझकर ऐसा बयान दिया है।
उन्होंने कहा कि सभी को पता है कि बीजेपी ममता के कार्यकाल में काफी आगे बढ़ी है। तृणमूल कांग्रेस और भाजपा अंदर ही अंदर मिली हुई है। इसके कई उदाहरण हैं, जैसे दुर्गापूजा के विसर्जन की मनाही के लिए किसी मुस्लिम संगठनों ने मांग नहीं की थी परंतु इस बयान के बाद भाजपा समेत सांप्रदायिक शक्तियों को इसका लाभ मिला। रथयात्रा की अनुमति नहीं, भाजपा नेताओं के हेलीकॉप्टर को बंगाल की जमीन पर नहीं उतरने की चेतावनी, दो फरवरी की देर शाम अचानक सीबीआइ का पुलिस आयुक्त के घर पहुंचना और फिर ममता बनर्जी का उसी रात से धरना पर बैठना आदि। इसके पीछे भी सोची समझी रणनीति है। सारदा चिटफंड कांड के पीड़ितों को धनराशि वापस लौटाने के लिए लगातार सरकार पर कांग्रेस और माकपा दबाव डाल रही थी।
तीन फरवरी को माकपा का एेतिहासिक बिग्रेड का आयोजन था। एेतिहासिक भीड़ को देश दुनियां नहीं देख पाए, इसके लिए सीबीआआ और धरना का खेल खेला गया, ताकि मीडिया का फोकस इस ओर हो जाए। माकपा के जिला सचिव जीवेश सरकार का कहना है कि विपक्षी एकता को खंडित करने के लिए बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगी हैं। 2014 के बाद से ही धर्मनिरपेक्ष पार्टी को कमजोर करने में लगी है। उसके बाद से ही भाजपा ने बंगाल में फोकस किया है। इसका नतीजा है कि बीजेपी राज्य में कांग्रेस और लेफ्ट को पीछे छोड़ते हुए दूसरे नंबर की पार्टी बनकर उभरी है। पंचायत और उपचुनाव में बीजेपी का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। इसी के दम पर भाजपा 22 सीटों पर जीतने का दावा कर रही है।
कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष शंकर मालाकार का कहना है कि एक ओर दिल्ली में मुख्यमंत्री कांग्रेस का साथ मांगती हैं और दूसरी ओर बंगाल में कांग्रेस को साइन बोर्ड पार्टी के नाम से जनता के बीच बदनाम करने की कोशिश करती हैं। कांग्रेस के विजयी प्रतिनिधियों सांसद और विधायकों को कल बल छल से प्रलोभन देकर अपनी पार्टी में शामिल कराने में लगी हैं। तृणमूल धार्मिक उन्माद फैलाकर वोटों का ध्रुवीकरण अपने और भाजपा के पक्ष में कराने की कोशिश में कामयाब हो रही है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए बंगाल में भाजपा विरोधी मानसिकता वाली पार्टी के साथ कांग्रेस और माकपा लोकसभा चुनाव लड़ेगी।
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