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'कॉरपोरेट टैक्स में कटौती है दिवाली गिफ्ट'

कार्पोरेट टैक्स पर परिचर्चा -विदेशी कंपनियां होंगी आकर्षित - बढ़ेंगे रोजगार बेहतर होंगे ह

By JagranEdited By: Published: Sat, 21 Sep 2019 07:49 PM (IST)Updated: Sat, 21 Sep 2019 07:49 PM (IST)
'कॉरपोरेट टैक्स में कटौती है दिवाली गिफ्ट'
'कॉरपोरेट टैक्स में कटौती है दिवाली गिफ्ट'

फोटो : राजेश 01 -विदेशी कंपनियां होंगी आकर्षित

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- बढ़ेंगे रोजगार, बेहतर होंगे हालात

-सही तरीके से क्रियान्वयन जरूरी जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी :

आर्थिक मंदी के उपचार की दिशा में केंद्र सरकार द्वारा कॉरपोरेट टैक्स में कटौती का अर्थ-जगत ने स्वागत किया है। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीते शुक्रवार को कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती की घोषणा की। इसके तहत कॉरपोरेट टैक्स को 30 से घटा कर 22 प्रतिशत कर दिया गया है जो कि सेस आदि मिला कर अब 25.17 प्रतिशत होगा। वहीं, नई घरेलू कंपनियों के टैक्स की दर 15 प्रतिशत कर दी गई है जो कि सेस व अन्य करों समेत 17.01 प्रतिशत होगी। केंद्र सरकार के इस कदम के बारे में कहा जा रहा है कि इससे अर्थ-व्यवस्था को नई जान मिलेगी।

इन्हीं पहलुओं को लेकर शनिवार को दैनिक जागरण (सिलीगुड़ी) कार्यालय में विशेष परिचर्चा गोष्ठी आयोजित की गई। 'कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती का प्रभाव' विषयक इस परिचर्चा गोष्ठी में अर्थ-जगत के विशेषज्ञों ने अपनी-अपनी राय रखी। कंफेडेरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज (सीआईआई) की उत्तर बंगाल क्षेत्रीय परिषद के वाइस चेयरमैन संजीत साहा ने कहा कि अर्थ-जगत के लिए यह दिवाली गिफ्ट जैसा है। सरकार के इस कदम का स्वागत किया जाना चाहिए। इससे उद्योग जगत को रफ्तार मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती कर, नई कंपनियों के लिए विशेष रिआयत और होटल सहित दर्जन भर सेवाओं एवं 20 वस्तुओं पर जीएसटी दर में कटौती कर सरकार ने अप्रत्यक्ष रूप से यह मान लिया है कि आर्थिक मंदी है और वह इसका उपचार कर रही है। उद्योग जगत के लिए यह सरकार का बहुत अच्छा कदम है। इसे सही तरीके से क्रियान्वित किया जाना चाहिए वरना यह दिवाला गिफ्ट भी साबित हो जा सकता है। इसके साथ ही सरकार को आम बाजार के बारे में भी सोचना चाहिए। बाजार में जो हाल रूखा-सूखा है उसे दूर करने के लिए भी सरकार को आधारगत संरचनात्मक विकास को तेजी देनी चाहिए।

जाने-माने चार्टर्ड अकाउंटेंट संजय गोयल ने भी कहा कि कॉरपोरेट टैक्स में कटौती में सरकार का बहुत बेहतर कदम है। इससे यह हुआ है कि कॉरपोरेट टैक्स की नई कम दर के साथ भारत दक्षिण एशिया व दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों की न्यूनतम दरों से मुकाबले में आ गया है। अभी अमेरिका में कॉर्पोरेट टैक्स दर 27 प्रतिशत है, चीन में 25 प्रतिशत है। सिंगापोर में यह मात्र 17 प्रतिशत है। अब भारत भी कम दर के कॉरपोरेट टैक्स वाला देश हो गया। सो, इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि यहां निवेश करने को विदेशी कंपनियां आकर्षित होंगी। निवेश बढ़ेगा तो रोजगार बढ़ेगा। रोजगार बढ़ेगा तो लोगों की क्रय शक्ति बढ़ेगी और उससे स्वाभाविक रूप में बाजार का जो वर्तमान रूखा-सूखा हाल है वह बेहतर हो जाएगा। मगर, इसका एक पहलू यह भी है कि कॉरपोरेट टैक्स की इस कटौती से सरकार पर 1.45 लाख करोड़ रुपये राजस्व घाटे का भार बढ़ेगा। उसकी भरपाई सरकार कहां से करेगी? यदि कैपिटल एक्सपेंडिचर में कटौती कर सरकार इसकी भरपाई करती है तो आधारगत संरचनात्मक विकास प्रभावित होगा और दीर्घ अवधि में उसके बुरे परिणाम होंगे। अब सरकार इसे कहां से कैसे क्रियान्वित करती है यही देखने की बात है।

हजारे सेल्स प्राइवेट लिमिटेड के कर्णधार प्रणय गोयल ने कहा कि कॉरपोरेट टैक्स में कटौती सरकार का एक अच्छा कदम है। बस, इसका क्रियान्वयन सही से होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि उद्योग जगत को दिए गए इस बेहतर डोज के साथ ही साथ आम बाजार को भी ऐसा ही कुछ बेहतर डोज दिया जाना चाहिए। आम बाजार की हालत बहुत पतली है। अभी पूजा उत्सवों के इस मौसम में भी सुधार नहीं दिख रहा है। इलेक्ट्रिक बाजार की बात करें जो कि पूजा उत्सवों में चमक उठता है वह भी मंदी झेल रहा है। गत वर्ष पूजा में यदि इलेक्ट्रिक बाजार में प्रतिदिन विक्रय 100 रुपये था तो वह इस वर्ष मात्र 30 रुपये है। इसलिए आम बाजार की इस गंभीर स्थिति पर ध्यान दिया जाना जरूरी है। वैसे कॉरपोरेट टैक्स में कटौती का जो कदम सरकार ने उठाया है वह बहुत जरूरी था। इससे अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। मंदी के इस दौर में बाजार को पटरी पर लाने के लिए यह डोज बहुत जरूरी था।

इस परिचर्चा गोष्ठी में दैनिक जागरण (सिलीगुड़ी) के वरिष्ठ समाचार संपादक गोपाल ओझा, मुख्य उप संपादक विपिन राय, उप मुख्य संवाददाता इरफान-ए-आजम, ब्रांड विभाग के अवधेश दीक्षित,फोटो पत्रकार राजेश प्रसाद व अन्य कई सम्मिलित रहे।


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