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सिलीगुड़ी में रेगुलेटेड मार्केट के मशाला बाजार ब्लॉक में कोल्ड स्टोरेज घोटाला

पश्चिम बंगाल कोल्ड स्टोरेज (लाइसेंसिंग और रेगुलेसन) अधिनियम-1966 की धारा-2(2) का अनुसार कृषि उत्पादित वस्तु को शीतल रखने के लिए 28.3168 क्यूबिक मीटर या 1000 क्यूबिक फीट मे बने इंसुलेटेड एङ्क्लोज्ड चेम्बर (बंद रोधक कक्ष) का कोल्ड स्टोरेज या हिम घर माना जाता है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 02:03 PM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 02:03 PM (IST)
सिलीगुड़ी में रेगुलेटेड मार्केट के मशाला बाजार ब्लॉक में कोल्ड स्टोरेज घोटाला
सिलीगुड़ी में रेगुलेटेड मार्केट में कोल्ड स्टोरेज घोटाला

सिलीगुड़ी, जागरण संवाददाता। सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट उत्तर बंगाल सहित पूर्वोत्तर भारत मे कच्चे माल का सबसे बड़ी मंडी है। यह जितनी बड़ी यह मंडी है, इसके अंदर घोटाले और अनियमितता के कारनामे भी उतने बड़े-बड़े है। आवंटित मशाला बाज़ार के लिए बनाए गए स्टॉल मे एक के बाद एक आइस क्रीम, फल-सब्जी व मछली के लिए कोल्ड स्टोरेज बनाया जा रहा है। पश्चिम बंगाल राज्य मार्केटिंग बोर्ड के अधिनियमों की धज्जियां उड़ाकर हो रहे इस घोटाले मे सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट प्रबंधन भी सहायता के मूड मे दिख रही है।

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प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2002 के 21 नवंबर को जारी पश्चिम बंगाल राज्य मार्केटिंग बोर्ड की निर्देशिका के तहत सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट मे मशाला बाज़ार खोलने के 42 स्टॉल बनाया गया। हर स्टॉल डबल सटर वाला 1500 वर्ग फीट का है। 1 रुपया प्रति वर्ग फीट किराया के हिसाब से 33 वर्षो के लिए स्टॉल आवंटित किया गया। मशाला बाज़ार के लिए बनाए 42 स्टॉल मे से अधिकांश सिलीगुड़ी के खालपाड़ा स्थित नया बाज़ार के व्यापारियों के नाम पर आवंटित हुआ है।

सूत्रो के मुताबिक वर्ष 2010 मे रेगुलेटेड मार्केट के तत्कालीन सचिव मोहन कुमार रिज़ाल के हाथो मशाला बाज़ार के लिए बनाए स्टॉल आवंटन का डीड ऑफ लीज निर्गत हुआ। इसके बाद मार्केट सचिव एम के रिज़ाल, दार्जीलिंग जिले के तत्कालीन एडीएम, तत्कालीन सिलीगुड़ी महकमा शासक आदि ने स्टॉल लेने वाले नया बाज़ार के व्यापारियों से सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट मे मशाला व्यापार शुरु करने को कहा। लेकिन मशाला मार्केट बनने के बाद से लेकर आज तक शुरु नहीं हुआ। बल्कि मशाला बाज़ार के लिए बनाए कई स्टॉल मे आइस क्रीम, फल-सब्जी व मछली को सुरक्षित रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज बना दिया गया है।

फिलहाल मछली मंडी के एक व्यापारी रतन प्रसाद साह मशाला मार्केट मे एक कोल्ड स्टोरेज बना रहे हैं। सूत्रों की माने तो वर्ष 2018 मे स्टॉल का किराया जमा कराने को लेकर मचे कोहराम के दौरान मशाला मार्केट के कई स्टॉल को झाड़ू के गोदाम मे तब्दील कर दिया।

पश्चिम बंगाल कोल्ड स्टोरेज (लाइसेंसिंग और रेगुलेसन) अधिनियम-1966 की धारा-2(2) का अनुसार कृषि उत्पादित वस्तु को शीतल रखने के लिए 28.3168 क्यूबिक मीटर या 1000 क्यूबिक फीट मे बने इंसुलेटेड एङ्क्लोज्ड चेम्बर (बंद रोधक कक्ष) का कोल्ड स्टोरेज माना जाता है। यंत्रवत शीतल रखने वाले इस कक्ष मे जमाने वाला कैबिनेट या चिलिङ्ग प्लांट नहीं होना चाहिए। लेकिन रतन प्रसाद साह मशाला मार्केट के स्टॉल नंबर एसपी-16 मे जो हिमघर तैयार कर रहे हैं। उसका क्षेत्रफल 1500 वर्गफीट है। अर्थात इस स्टॉल का घनफल 15000 घन फीट या 424.753 घन मीटर है। स्टॉल के दोनों सटर के पीछे से ईंट ज़ोरकर बंद कर दिया गया है। अर्थात इस पूरे स्टॉल को इंसुलेटेड एङ्क्लोज्ड चेम्बर बना दिया गया है। और चिलिङ्ग प्लांट की मशीन भी भीतर ही बिठाने की योजना है। चुकी स्टॉल के सामने की जगह ग्राहको की आवाजही के लिए है।

सूत्रों की माने तो मशाला मार्केट के 42 मे से किसी एक स्टॉल का आवंटन रतन प्रसाद साह या उनकी पत्नी बिमला देवी के नाम पर नहीं है। और इस आरोप के खंडन मे रतन प्रसाद साह कोई भी दस्तावेज़ दिखा नहीं पाये। और टाल-मटोल वाला रवैया अपना कर उक्त स्टॉल उनकी पत्नी के नाम पर आवंटित होने का दावा ठोक रहे हैं। इसके अतिरिक्त वेस्ट बंगाल एग्रिकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग (रेगुलेसन)एक्ट-1972 और वेस्ट बंगाल कोल्ड स्टोरेज (लाइसेंसिंग एंड रेगुलेसन) एक्ट-1966 मे कोल्ड रुम का जिक्र कहीं नहीं मिला है।

क्या कहना है रतन प्रसाद साह का

मछली मंडी के व्यापारी रतन प्रसाद साह से संपर्क करने पर उन्होने मशाला मार्केट का स्टॉल एसपी-16 उनकी पत्नी बिमला देवी के नाम पर आवंटित होने का दावा किया। विरोधाभाष वाले बयान मे रतन प्रसाद साह ने पहले कहा कि उक्त स्टॉल मे कोल्ड स्टोरेज बनाने की अनुमति एसआरएमसी के सचिव और चेयरमैन (डीएम दार्जिलिंग) ने दिया है। अगले ही पल वे कहते हैं कि सचिव ने एक रिपोर्ट चेयरमैन को और कोलकाता भेजे हैं, वहाँ से अनुमति मिलने पर मुहैया कराया जाएगा। फिर अगले ही पल कहते हैं कि सचिव ने कोलकाता से अनुमति उपलब्ध करा दिया है। हालांकि वे इससे संबन्धित कोई दस्तावेज़ दिखा नहीं पाये।

क्या कहना है एसआरएमसी के सचिव का

इस संबंध मे एसआरएमसी के सचिव अनिल कुमार शर्मा से फोन पर संपर्क करने पर उन्होने फोन रिसिव नहीं किया। वहीं फिर बाद मे व्यापारी रतन कुमार साह एसआरएमसी कार्यालय पहुँच कर अपने मोबाइल से सचिव अनिल कुमार शर्मा से बात कराया। सचिव ने बताया कि यह कोल्ड स्टोरेज या हिमघर नहीं बल्कि कोल्ड रुम बनाया जा रहा है। उनके पास कानून कि जो किताब है उसमे कोल्ड रुम का जिक्र है। सभी कानूनी प्रक्रियायों को पूरा करते हुए अनुमति हमारे कार्यालय से दिया गया है। जिसका वैध सभी दस्तावेज़ कार्यालय मे मौजूद है। 


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