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अब कॉफी के लिए भी जानी जाएंगी दाíजलिंग की वादियां

-सिलीगुड़ी में स्थापित किया जाएगा उत्तर बंगाल का पहला फर्नीचर पार्क फर्नीचर उद्योग के लगभग 20 उद्यमी

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Jul 2021 09:11 PM (IST)Updated: Tue, 13 Jul 2021 09:14 PM (IST)
अब कॉफी के लिए भी जानी जाएंगी दाíजलिंग की वादियां
अब कॉफी के लिए भी जानी जाएंगी दाíजलिंग की वादियां

-सिलीगुड़ी में स्थापित किया जाएगा उत्तर बंगाल का पहला फर्नीचर पार्क, फर्नीचर उद्योग के लगभग 20 उद्यमी होंगे सम्मिलित

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कुछ खास बातें

-कालिम्पोंग जिले के अलगढ़ा, गिताबलिंग, लोले और संगसे व भालूखोप क्षेत्र के 65 से अधिक गावों की लगभग 350 एकड़ भूमि पर कॉफी की खेती के लिए 1193 से अधिक किसान किए गए शामिल

-कॉफी किसानों के लिए कॉमन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) स्थापित किया जाएगा, जहा सॉìटग, प्रोसेसिंग और पैकेजिंग की होगी बेहतर सुविधा

-उत्तर बंगाल के और बेहतर आíथक विकास के लिए ग्रामीण उद्यमिता हब (आरईएच) पर जोर जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : अपनी उत्कृष्ट चाय के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध पहाड़ों की रानी दार्जीलिंग की हसीन वादिया अब कॉफी के लिए भी जानी जाएंगी। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से बहुत ही महत्वाकाक्षी एक योजना पर काम किया जा रहा है। ग्रामीण उद्यमिता हब (आरईएच) के तहत यहा उत्तर बंगाल के दाíजलिंग पार्वत्य क्षेत्र अंतर्गत कालिम्पोंग जिले के अलगढ़ा, गिताबलिंग, लोले और संगसे व भालूखोप क्षेत्र के 65 से अधिक गावों की लगभग 350 एकड़ भूमि पर कॉफी की खेती के लिए 1193 से अधिक किसान शामिल किए गए हैं। वेस्ट बंगाल इंडस्ट्रियल डेवेलपमेंट कॉर्पोरेशन (डब्ल्यूबीआईडीसी) के चेयरमैन राजीव सिन्हा ने ये बातें कही हैं। वह मंगलवार को सिलीगुड़ी में कंफेडेरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज (सीआईआई) के उत्तर बंगाल क्षेत्रीय परिषद के प्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों संग बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जिला प्रशासन व गोरखालैंड टेरिटोरिअल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) के माध्यम से पहाड़ी जिलों से कॉफी उत्पादन के लिए आरईएच मॉडल को और बढ़ावा देने को तत्पर है। इसके तहत यहा कॉफी किसानों के लिए कॉमन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) स्थापित किया जाएगा जहा सॉìटग, प्रोसेसिंग और पैकेजिंग की बेहतर सुविधा होगी। आरईएच मॉडल के तहत उत्तर बंगाल के पहाड़ी जिलों में कॉफी बागान को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। अनुकूल कृषि जलवायु परिस्थितियों के चलते कॉफी इस क्षेत्र के लिए एक बड़ा आíथक बूस्टर हो सकता है।

उन्होंने इस दिन उत्तर बंगाल में शहरी व ग्रामीण औद्योगिक विकास के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।सीआईआई सदस्यों को उत्तर बंगाल में आíथक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए राज्य द्वारा शुरू की जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने घोषणा की कि एसएआईपी मॉडल के तहत सिलीगुड़ी में फर्नीचर पार्क स्थापित किया जाएगा, जिसमें फर्नीचर उद्योग के लगभग 20 उद्यमी सम्मिलित होंगे। यह उत्तर बंगाल में सभी प्रकार के फर्नीचर को कवर करने वाला अपनी तरह का पहला फर्नीचर क्लस्टर होगा। यह पार्क फर्नीचर क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने और क्षेत्र से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए तैयार है। वहीं, ग्रामीण उद्यमिता हब (आरईएच) पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि आरईएच मॉडल उत्तर बंगाल में सफल है। यह राज्य सरकार की वरीयता सूची में शामिल है। यह मॉडल ग्रामीण क्षेत्रों में जमीनी स्तर के उद्यमियों को बढ़ावा देने और उन्हें उद्योग से जोड़ कर आगे बढ़ाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस आरईएच मॉडल में सरकार और उद्योग जगत के समर्थन से आजीविका सृजन के मिशन पर किसान, स्वयं सहायता समूह, युवा व सहकारी समितियों द्वारा गाव-गाव की आíथक तस्वीर बेहतर की जा सकती है। सीआईआई ने पहल का किया स्वागत

इस अवसर पर सीआईआई के उत्तर बंगाल क्षेत्रीय परिषद के चेयरमैन संजय टिबड़ेवाल ने डब्ल्यूबीआईडीसी की उक्त पहल का स्वागत किया। इसके साथ ही उत्तर बंगाल के आíथक विकास के लिए सीआईआई की ओर से राज्य सरकार को हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होंने उत्तर बंगाल के जिलों में आरईएच मॉडल की सफलता की कहानियों को भी रेखाकित किया। कहा कि औद्योगिक सहकारी समितियों के गठन के बाद, एग्रीगेटर्स के माध्यम से आरईएच उद्यमियों के लिए फॉरवर्ड लिंकेज बनाए गए हैं।पहाड़ी जिलों में शहद, अदरक, बड़ी इलायची, मशरूम, हल्दी, मुलायम झाड़ू, बागवानी, ऑíकड आदि के लिए लगभग 150 आरईएच का गठन किया गया है। इससे तस्वीर बहुत बदली है व और भी बदलती जा रही है।

बैठक में कौन-कौन हुए शामिल

इस दिन बैठक में दाíजलिंग जिला के डीएम एस. पोन्नम्बलम, एडीएम खुर्शीद अली कादरी, सिलीगुड़ी के एसडीओ पाटिल श्रीनिवास व्यंकटराव व सीआईआई के अनेक सदस्य शामिल रहे।


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