चुनावी मुद्दा बन सकता है शहर में फुटपाथ का अतिक्रमण
-फुटपाथ पर अतिक्रमण सड़क पर चलने पर मजबूर सत्ता और विपक्ष दोनों ही इसको लेकर कर रह
-फुटपाथ पर अतिक्रमण, सड़क पर चलने पर मजबूर, सत्ता और विपक्ष दोनों ही इसको लेकर कर रहे तैयारी
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : विधानसभा चुनाव के दौरान सिलीगुड़ी विधानसभा क्षेत्र में फुटपाथ का अतिक्रमण सत्ता और विपक्ष दोनों के लिए ही चुनावी मुद्दा बन सकता है। इसको लेकर तैयारी भी शुरु कर दी गयी है। सत्ता पक्ष इसे इसलिए मुद्दा बनाएगी क्योंकि नगर निगम में उनका पिछले पांच वर्षो से काबिज नहीं है। वही भाजपा इसे तृणमूल कांग्रेस और वाममोर्चा और कांग्रेस पर हमला करने का बड़ा हथियार बनाने बाली है। भाजपा का कहना है कि नगर निगम क्षेत्र का संचालन आजतक वाममोर्चा और कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के हाथों में ही रहा है। अगर अतिक्रमण नहीं हट पा रहा है तो इसके लिए यह सभी पार्टियां और उसके प्रतिनिधि ही जिम्मेदार है। इससे वे भाग नहीं सकते। नगर निगम से जुड़ी पार्टियों पर हमला इसलिए भी जरुरी बनता है क्योंकि सिलीगुड़ी विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा वार्ड एक से 30 और 45,46 और 47 नंबर वार्ड है। यह सभी नगर निगम क्षेत्र में ही आते है। नगर निगम क्षेत्र के इन वार्डो में फुटपाथ पर व्यापारियों ने सामान फैलाकर अस्थायी अतिक्रमण कर लिया है। जिसके कारण राहगीरों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारों पर आड़े-तिरछे खड़े वाहनों व ठेलियों के कारण राहगीरों को एनएच पर चलना पड़ रहा है। जिसके चलते दुर्घटना की आशका बनी रहती है। नगर निगम से जुड़े मुख्य बाजार में राष्ट्रीय राजमार्ग के दोनों ओर बने फुटपाथ पर अस्थायी अतिक्रमण की समस्या काफी पुरानी है। कई बार एसडीएम, व्यापार मंडल, नगर निगम प्रशासन के बीच बैठक होने के बावजूद इसका कोई हल नहीं निकल रहा है। व्यापारिक प्रतिष्ठानों के खुलते ही कई व्यापारी फुटपाथ पर दुकान सजा देते हैं। फुटपाथ से आगे राजमार्ग के दोनों किनारों पर दिन भर निजी वाहन आड़े तिरछे खड़े रहते हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग के दोनों किनारों पर कई बैंकिग संस्थान हैं। जिनकी अपनी पार्किंग न होने के कारण दोपहिया वाहनों की कतार हाईवे किनारे ही लगी रहती है। फुटपाथ पर कई व्यापारियों की ओर से किए जा रहे अस्थायी अतिक्रमण व राजमार्ग के किनारे वाहनों व ठेली के खड़े होने के चलते राहगीरों को राजमार्ग के बीच से ही गुजरना पड़ता है। जिससे दुर्घटना की आशका बनी रहती है। साथ ही व्यस्त राजमार्ग होने से अक्सर जाम की स्थिति पैदा हो जाती है। अस्थायी अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ नगर निगम प्रशासन को इसके खिलाफ अभियान चलाए वर्षो बीत गया। जब अभियान चलता भी है तो अभियान के बाद भी व्यवस्था फिर पुराने ढर्रे पर ही लौट आती है। पुलिस प्रशासन भी अतिक्रमण के कारण बिगड़ रही यातायात व्यवस्था को सुधारने के प्रति गंभीर नहीं है। बहरहाल नगर निगम प्रशासन की लापरवाही व व्यापारियों की मनमर्जी के चलते आम जन को परेशानी झेलनी पड़ रही है। देखना होगा कि चुनावी इस मुद्दे को कैसे सत्ता व वामो कांग्रेस जबाव देकर मतदाताओं के सवाल का जबाव दे पाती है।