Move to Jagran APP

देशी राखी बांध बहनें लेंगी भाइयों से देश सुरक्षा का वचन, रक्षाबंधन पर चीन को करोड़ों की चपत

रक्षाबंधन पर अकेला शहर लगाएगा चीन को 100 करोड़ की चपत स्वदेशी अभियान पर विहिप ओर संघ ने चलाया अभियान जन भावना के अनुसार दुकानदार भी अभियान को दे रहे साथ।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2020 02:50 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2020 02:50 PM (IST)
देशी राखी बांध बहनें लेंगी भाइयों से देश सुरक्षा का वचन, रक्षाबंधन पर चीन को करोड़ों की चपत
देशी राखी बांध बहनें लेंगी भाइयों से देश सुरक्षा का वचन, रक्षाबंधन पर चीन को करोड़ों की चपत

सिलीगुड़ी, अशोक झा।  कोरोना काल चीन के साथ भारत की तनातनी के बीच बहने अपने भाई की कलाई पर चीनी नहीं बल्कि देशी रक्षा सूत्र बांध देश की सुरक्षा का वचन लेंगी। भाई बहन का पवित्र त्योहार तीन अगस्त को है।  इसको लेकर उत्तर बंगाल के तराई, डुवार्स व हिल्स में काफी उत्साह देखा जा रहा है। इतना ही नहीं चीन के खिलाफ आर्थिक मोर्चाबंदी पर लगा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद की मुहिम भी रंग ला रही है। पहली बार होगा जब पूर्वोत्तर के इस प्रवेश द्वार पर 100 करोड़ की राखियां इस वर्ष नही  मंगाई गयी है। थोक हो या खुदरा बाजार यहां देशी राखियां सजी हुई है। 

prime article banner

पूर्वोत्तर के प्रवेशद्वार सिलीगुड़ी। इसका नाम सामने आते ही कई चायना बाजार ओर वहां सजे सामान आंखों के सामने आ जाते है। गलवान घाटी की घटना से भारतीयों में चीन विरोधी रोष देखा जा रहा है। सिलीगुड़ी से  200 से ज्यादा इंपोर्टर चीनी से 1000 करोड़ का कारोबार करते थे। कारोबारियों का कहना है कि दुकानदार हो या ग्राहक  सबसे पहले  स्वदेशी राखी ही मांगते हैं उनका कहना है दाम की चिंता नहीं हमें अपने देश की सुरक्षा के लिए भाई के कलाई पर राखी बांधना है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'वोकल फॉर लोकल' की अपील और सीमा पर तनाव के बाद पूरे देश में चीनी वस्तुओं के बहिष्कार के बीच भारतीय मानक ब्यूरो 'स्वदेशी' मानक का माहौल बन गया है। कारोबारी  संजय मितृका, दिवाकर दास, महेश पाल, पवन अग्रवाल, शंकर साहा आदि का का कहना है की भारत से पंगा लेकर चीन पर आफत आ गयी है। अब हिंदुस्तान में नहीं आएगा चीनी समान। भारत में चीनी वस्तुओं के विरूद्ध प्रदर्शन होने के साथ ही केन्द्र सरकार भी आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने और चीनी प्रोडक्ट के इम्पोर्ट पर रोक लगाने के लिए कई रणनीति तैयार कर रही है। इसका भी व्यापारी समर्थन कर रहे है।

केन्द्र सरकार ने चीनी निवेश और चीनी सामान के आयात पर धीरे-धीरे शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इसके अंतर्गत अब सरकार चीन से आयात किए जाने वाले कई रोज इस्तेमाल होने वाली चीजों पर भारी भरकम टैक्स लगाएगी। जो अगले पांच साल के लिए लागू रहेंगे। इसके साथ सरकार ने चीन से आयात होने वाले प्रोडक्ट पर पूरी तरह पाबंदी लगाने के लिए इन्हें दो कैटेगरी में बांटा है, जिस पर तेजी से कार्य किया जा रहा है।

चलाया जा रहा है मुहिम 

फ़ोसिन के महासचिव विश्वजीत दास ओर  उत्तर बंगाल खुदरा दुकानदार यूनियन के अध्यक्ष परिमल मित्रा ने कहा कि व्यापारियों के शीर्ष संगठन कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स इन त्योहारों को खास बनाने जा रहा। 10 जून 2020 को शुरू हुए चीनी उत्पादों के बहिष्कार के राष्ट्रीय अभियान को जोरदार समर्थन मिल रहा है। बाज़ारों में इस बार भारतीय सामान से बनी राखियों की मांग बढ़ गई है। खरीदार चीनी राखियों की बजाय भारतीय सामान से बनी राखियों के लिए अधिक कीमत भी देने को तैयार हैं।

व्यापारी और उपभोक्ता चीन को सबक सिखाने के लिए रक्षाबंधन और दीपावली पर चीनी सामान बहिष्कार करेंगे, कैट की इस मुहिम की पहली बानगी रक्षाबंधन पर दिख सकती है। त्योहारों से जुड़े भारतीय सामान बनाने वाले निर्माता, कारीगर, लघु उद्योग, कुम्हार, महिला उद्यमी, स्वयं उद्यमी, स्टार्टअप आदि से संपर्क कर ये पता करें कि उनके राज्य में कितनी मात्रा में यह सामान बनता है।  ये भी बताएं कि उनके यहां कितनी मात्रा में इन सामानों की खपत होती है।

 तैयार हो रही पारंपरिक राखी

शायद यह पहली बार है कि जब  उत्तर बंगाल महिलाओं ने नए-नए प्रयोग करते हुए कई अन्य प्रकार की राखियां भी विकसित की हैं जिनमें विशेष रूप से तैयार मोदी राखी, दीदी राखी, राम राखी, बीज राखी भी शामिल है।  जिसके बीज राखी के बाद पौधे लगाने के काम में आ सकते हैं। इसे पसंद की  जा रही है। इसके लिए नेट के माध्यम से एक दूसरे से जुड़ रही है। 

संघ परिवार जुटा है संगठनों के साथ अभियान में 

सिलीगुड़ी में आरएसएस का उत्तरबंगाल मुख्यालय है। देश की अर्थव्यवस्था को संवारने के भी प्रयास शुरू किए गए है। इस बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े संगठनों ने लघु उद्योग एवं भारतीय स्टार्टअप पर जोर दिया है। संघ परिवार की चाहत है कि उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए स्वदेशी पर जोर दिया जाए। स्वदेशी के प्रसार के लिए डिजिटल जनजागृति एवं आत्मनिर्भरता मुहिम आरंभ की गई है। संघ लघु उद्योग एवं भारतीय स्टार्टअप पर जोर दे रहा है। उल्लेखनीय है कि संघ परिवार स्वदेशी को हमेशा ही प्रोत्साहित करता रहा है। बहरहाल वैश्वीकरण के दौर में चीन के बढ़ते आयात पर आक्रामकता नहीं दिखी। सस्ते माल के नाम पर चीन से आयातित अनेक वस्तुओं ने भारतीय बाजार पर कब्जा कर लिया। 

डोकलाम विवाद के बाद 2017 में संघ ने चीन के विरोध में पूरे देश में मुहिम चलाई। अब चीन से खड़े हुए सीमा विवाद को देखते हुए संघ ने अपनी मुहिम को पुन: गति दे दी है।  स्वदेशी एवं आत्मनिर्भरता पर जोर दिया जा रहा है।  इसके लिए नागरिकों से डिजिटल आवेदन भरवाए जा रहे हैं। सूत्रों का दावा है कि अब तक इस माध्यम से लाखों लोगों तक पहुंचा गया है। 

त्योहारों में स्वदेशी पर हो फोकस

अभी देश में त्योहारों का मौसम है। इस दौरान विदेशी खासतौर पर चीनी वस्तुएं बाजार में दिखती हैं। इसे देखते हुए संघ परिवार इस दौरान विदेशी उत्पाद नहीं खरीदने की जनजागृति मुहिम चलाया है।  इस मुहिम में स्वदेशी जागरण मंच सहित संघ परिवार के विभिन्न संगठन शामिल है। इसके तहत इस बात की जानकारी भी दी जाएगी कि विदेशी उत्पादनों के बदले कौन से भारतीय उत्पादन बाजार में उपलब्ध हैं।  इसके लिए ऑनलाइन प्लेटफार्म का उपयोग किया जा रहा है। 

डिजिटल प्लेटफार्म पर जोर दे रहा है  संघ अब तक ऐसे उपक्रमों में प्रत्यक्ष घर-घर संपर्क पर जोर दिया जाता है। लेकिन कोविड-19 की वजह से अब यह हित में नहीं है। इसलिए इस पर डिजिटल प्लेटफार्म पर जोर दिया जा रहा है। स्वदेशी जागरण मंच के विचार विभाग प्रमुख अजय कुमार का  कहना है कि  इसके तहत नागरिकों से स्वदेशी का उपयोग करने की अपील की जाएगी। समाज के विशिष्ट नागरिकों को इस मुहिम से जोड़ा जा रहा है।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.