मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इस्तीफा दे देना चाहिए, जानिए पूर्व मेयर व मंत्री अशोक भटृाचार्य ने ऐसा क्यों कहा
इस बार निगम चुनाव में जीत का दावा हर पार्टी कर रही है। दैनिक जागरण भी चुनावी नब्ज को टटोलने का प्रयास किया है। इस क्रम में पूर्व मंत्री व सिलीगुड़ी नगर निगम के पूर्व मेयर अशोक भटृाचार्य से जागरण संवाददात ने खास बातचीत की है।

सिलीगुड़ी, दीपेंद्र सिंह। सिलीगुड़ी नगर निगम का चुनाव अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है। सिलीगुड़ी की धरती पर बड़े- बड़े नेताओं के पैर पड़ने लगे हैं। हर तरफ चुनावी गूंज सुनाई दे रही है। नेताओं का अपना कैलकुलेशन है। इस बार निगम चुनाव में जीत का दावा हर पार्टी कर रही है। दैनिक जागरण भी चुनावी नब्ज को टटोलने का प्रयास किया है। इस क्रम में सिलीगुड़ी नगर निगम के पूर्व मेयर व पूर्व मंत्री अशोक भटृाचार्य से जागरण संवाददात ने खास बातचीत की है। उन्हें हर सवाल का बेबाकी से जवाब दिया है।
सवालः अशोक भटृाचार्य को क्यों फिर से निर्णय बदलने पड़े। क्यों फिर से सक्रिय राजनीति में कदम रखने पड़े। क्या वजह रही जो आपको फिर से राजनीतिक पैविलियन में लौटना पड़ा?
उत्तरः हमने कभी राजनीति से सन्यास नहीं लिया था। हां, चुनाव जरूर नहीं लड़ने की बात कही थी। लेकिन पार्टी का निर्णय मानना पड़ा। पार्टी चाहती थी कि वे निगम चुनाव का चेहरा बनें। कम्युनिष्ट पार्टी में व्यक्ति से बड़ी पार्टी होती है। अगर पार्टी चाहती है तो हमें उसकी बात को मानना ही होगा। पार्टी को लगा कि हमारे आने से कुछ हो सकता तो निर्देश दिया और हमने उसका पालन किया।
सवालः इन दिनों तृणमूल डबल इंजन तो बीजेपी ट्रिपल इंजन की बात कर रही है। ऐसे में वाममोर्चा क्या कह रही है?
उत्तरः डबल व ट्रिपल इंजन विकास का पैमाना नहीं है। विकास के लिए इच्छाशक्ति चाहिए। अगर डबल इंजन का र्फामूला सही है तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इस्तीफा दे देना चाहिए, क्योंकि केंद्र में बीजेपी की सरकार है। ऐसे में राज्य में उनके बनने रहने का औचित्य ही क्या है। विकास कैसे सुनिश्चित हो, इस पर बात होनी चाहिए।
सवालः कांग्रेस के साथ वाममोर्चा का गठबंधन होना था। अचानक बात बिगड़ गई और दोनों के रास्ते अलग हो गए। लेकिन कुछ सीटों को दोनों पार्टियों ने एक दूसरे के लिए छोड़ा है। इसकी वजह क्या है?
उत्तरः 2015 में कांग्रेस व वाममोर्चा ने अलग- अलग चुनाव लड़ा था और दोनों ने बाद में मिलजुल कर बोर्ड बनाया था। इस बार भी उसी फार्मूला पर हम चलें हैं। हां, चार सीटों को हमने कांग्रेस के लिए छोड़ा है, उन्होंने भी कुछ सीटों पर हमारे खिलाफ उम्मीदवार नहीं दिए हैं। उम्मीद है कि चुनाव के बाद हम एकसाथ मिलकर बोर्ड बनाएंगे।
सवालः अगर आप जीतकर आए तो सबसे पहले क्या करना चाहेंगे?
उत्तरः वाममोर्चा का बोर्ड बनता है तो पेयजल व शहर में प्रदूषण को नियंत्रित करने का काम किया जाएगा। शहर में बढ़ती जनसंख्या के कारण पेयजल पर ज्यादा काम करने की जरूरत है। प्रदूषण लेबल खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। अधिक से अधिक ओवर ब्रिज पर काम करना होगा। हॉकरों के लिए पॉलिसी बनाएगे। विधान मार्केट को निगम के दायरे में लाते हुए वहां मार्केट काम्पलेक्स बनाएंगे। यह जरूरी है। वाममोर्चा ने पूर्व में तेनर्जिग नोर्गे मार्केट कांप्लेक्स, सुपर मार्केट तथा उत्तरायण, हिमांचल बिहार, कावाखाली जैसे टाउनशिप किए हैं। हमारी कोशिश होगी कि शहर का विस्तार वैज्ञानिक सोच के साथ करें। सिलीगुड़ी में बड़े उद्योग नहीं हो सकते हैं। इसलिए ट्रेड सेक्टर को बढ़ावा देने का काम करेंगे।
सवालः नदी संरक्षण पर बात सभी कर रहे हैं। 15 साल से भी अधिक समय हो गए, लेकिन महानंदा एक्शन प्लान खटाई में है। इसके लिए कौन जिम्मेवार है?
उत्तरः वाममोर्चा के शासनकाल में महानंदा एक्शन प्लान शुरू हुआ था। इसका उददेश्य था महानंदा नदी का संरक्षण। लेकिन दुर्भाग्यवश राज्य में वाममोर्चा की सरकार चली गई और बाद में 2012-13 में इसमें घोटाला हो गया। इसकी जांच चल रही है। इसकी जांच पूरी करने तथा इसके लिए जिम्मेवार लोगों को भी सजा दिए जाने की जरूरत है। महानंदा एक्शन प्लान में देरी होने से लगातार इसका बजट भी बढ़ता चला गया। जबकि महानंदा को बचाने के लिए यह एक क्रांतिकारी कदम था।
सवालः सबके अपने- अपने दावे हैं। आप बताए कि निगम चुनाव में वाममोर्चा को कितने सीटें मिलने जा रही है?
उत्तरः 24 से 28 सीट वाममोर्चा को मिलेगा। पिछले बार हमें 23 सीट मिली थी। इस बार उससे अधिक ही सीट मिलेगी। जनता एकमात्र वाममोर्चा से उम्मीद लगाए बैठी है। वाममोर्चा ही सभी को सम्मान दे सकती है।
सवालः वाममोर्चा को सिलीगुड़ीवासी वोट क्यों करे?
उत्तरः कटमनी, रंगदारी, मनमानी व अपहरण जैसे वारदात से बचने के लिए यह जरूरी है कि वाममोर्चा को लाया जाए। सिलीगुड़ी एक व्यसायिक जगह है। व्यवसाय जहां होता वहां शांति बनाए रखना होता है। हमें यह समझ में नहीं आ रहा है कि व्यवसायिक शहर को अपरहण का शहर क्यों बनाया जा रहा है? यहां की जनता यह सब नहीं चाहती है। कबीर सुमन जैसे लोग जातिसूचक शब्द इस्तेमाल करते हैं और पार्टी नेतृत्व कुछ कहती तक नहीं है। यह क्या कल्चर है। राज्य में जो भी रहते हैं, चाहे उनकी भाषा व जाति कुछ भी हो उन्हें सम्मान व सुरक्षा मिलनी चाहिए। वाममोर्चा ने अपने 35 साल के शासन कभी किसी एक समुदाय के लिए काम नहीं किया। सत्ता में सबको भागीदारी दी और सभी का विकास किया। जनता यह सब ही चाहती है। इसलिए लोग वाममोर्चा को वोट करते हैं।
सवालः कोई ऐसा सवाल जो हम नहीं पूछ सके, लेकिन आप कुछ कहना चाहते हैं?
उत्तरः सिलीगुड़ी को वाममोर्चा ने खेल का नगरी बनाया था। आज कंचनजंघा स्टेडियम गुमनाम हो रहा है। यह गलत हाथों में चला गया है। साईं का कैंपस यहां से जा चुका है। खेल भी समाज का हिस्सा है। स्टेडियम को कमेटी की हाथ में सौंपा जाए तथा साई कैंपस को भी यहां लाया जाए। सिलीेगुड़ी खेल के बिना अधूरा है। खेल की गतिविधियों जारी रहनी चाहिए।
Edited By Sumita Jaiswal