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West Bengal: अपनी सुरक्षा अपने हाथ का गुरूमंत्र दे रहे हैं छेत्री

कहते हैं कि महिलाओं की खूबसुरती उनकी नजाकत है। माना यह सच है लेकिन इसके साथ कड़वा सच यह भी है कि कदम कदम पर आज भी उनके साथ अत्याचार की घटना होती है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 03 Jan 2020 03:37 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jan 2020 03:37 PM (IST)
West Bengal: अपनी सुरक्षा अपने हाथ का गुरूमंत्र दे रहे हैं छेत्री
West Bengal: अपनी सुरक्षा अपने हाथ का गुरूमंत्र दे रहे हैं छेत्री

सिलीगुड़ी, अशोक झा। कहते हैं कि महिलाओं की खूबसुरती उनकी नजाकत है। माना यह सच है, लेकिन इसके साथ कड़वा सच यह भी है कि कदम कदम पर आज भी उनके साथ अत्याचार की घटना होती है। महिलाओं के साथ छेड़छाड़, दुराचार, दोयम दर्जे का व्यवहार, मानव तस्करी और पाशविक व्यवहार होता है। लेकिन इस प्रवेश द्वार सिलीगुड़ी में अब समय बदल रहा है।

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महिलाएं पहले से ज्यादा जागरूक और अपनी सुरक्षा के प्रति अधिक सचेत हो गई हैं। अब वह अपने अस्तित्व, आत्मनिर्भता और आत्मसम्मान को लेकर खुलकर बोलने और प्रतिवाद करने लगी हैं। इस काम में शहर के मिलनमोड़ के ब्लैक बेल्ट सह थ्रंड डन बन चुके रामचंद्र छेत्री पिछले आठ वषरे से महिलाओं की मदद कर रहे हैं। वह निःशुल्क बच्चियों और युवतियों को आसीहारा कराटे की जानकारी देकर अपनी सुरक्षा अपने हाथ का गुरूमंत्र दे रहे है।

2019 के अंत में वह प्रियंका छेत्री, मोनाली शर्मा, चिरिश्तीना पौडिया, अंजना प्रधान व यज्ञा प्रधान को प्रशिक्षित कर ब्लेक बेल्ट दिलाने में कामयाब हुए हैं। अबला को सबला बनाने के लिए उनको आत्मरक्षा के के तरीके की जानकारी दी जाती है। इसमें अलर्ट, पंच, किक, ब्लॉक्स, फॉरवर्ड फॉल, थ्रो आदि शामिल है।

रामचंद्र छेत्री का कहना है कि वह सेना और पुलिस को प्रशिक्षण दे रहे थे। इसी बीच दिल्ली समेत अन्य राज्यों में बच्चियों और महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार ने विचलित कर दिया। उसके बाद सेना और पुलिस को प्रशिक्षण देना छोड़ समाज के अंदर बच्चियों को आत्मनिर्भर बनाने में लगे है। उनका कहना है कि जब तक समाज में अबला सबला नहीं होती तबतक समाज, राज्य और देश आगे नहीं बढ़ सकता है।

पिछले सात बर्ष में वे उत्तर बंगाल, सिक्किम समेत सीमावर्ती क्षेत्रों की बच्चियों को आत्मरक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर करने में सक्षम हुए है। अभी भी मिलन मोड़ स्थित राम सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग अकादमी में 140 बच्चियों को कराटे का प्रशिक्षण दे रहे हैं। इसमें पांच वर्ष की बच्चियों से लेकर 30 वर्ष तक की महिलाएं शामिल हैं।

छेत्री का कहना है कि जब तक वे उत्तर बंगाल के साथ सीमावर्ती क्षेत्र के एक-एक बच्चे को इससे नहीं जोड़ लेते है तबतक वे चुप नहीं बैठने वाले। रामचंद्र छेत्री का कहना है कि डाडीगुलसारा आसीहारा कराटे से जुड़ने वाले बच्चे-बच्चियां या युवक-युवतियां क्यों ना हो वे सिर्फ आत्मनिर्भर नहीं बल्कि इसके माध्यम से वह पूरी तरह स्वस्थ्य रहते है। नशा से उनका दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं रहता। यही कारण है यह उत्तर बंगाल और सिक्किम के लिए यह प्रशिक्षण जरूरी है। छेत्री का दावा है कि इसका प्रशिक्षण लेने वाले कभी बुखार से पीड़ित नहीं होते। किसी भी परिस्थिति में वे इससे जूझने की ताकत रखते है।

कौन हैं रामचंद्र छेत्री :

शहर के प्रधान नगर थाना स्थित मिलन मोड़ के रहने वाले हैं रामचंद्र छेत्री। 14 सितंबर 1976 में जन्मे रामचंद्र ने अपनी प्राथमिक शिक्षा सुकना स्थित इलापाल चौधरी स्कूल से पूरी की। उसके बाद ओपन विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने लगे। इसी बीच वे कमांडो कोर्स कर कराटे का जापान से शीबांग से प्रशिक्षण लिया। 1998 में ब्लैक बेल्ट बन गए। उसके बाद काम की तलाश में कर्नल गुरुप्रीत सिंह से मुलाकात हुई। उन्होंने उनकी योग्यता को देखते हुए आर्मी और पुलिस के बीच आसीहारा कराटे का प्रशिक्षण देने में लगा दिया। इसी बीच मिलन मोड़ के शिवा कटवाल ने मोबाइल पर कहा कि वे चाहते है कि बच्चे-बच्चियां स्वयं आत्मनिर्भर हो पाएं। उनकी इस बात ने दिल को झकझोर दिया और उसी दिन से कर्नल गुरुप्रीत सिंह को मना करते हुए इन बच्चों के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया। 


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