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बस मालिकों ने ममता सरकार से मांगा चुनावी ड्यूटी के लिए ली गईं बसों का किराया, नया प्रस्ताव भी पेश

बस मालिकों ने अब उन बसों के किराए का भुगतान करने को कहा है जिसे सरकार ने 2019 के लोकसभा चुनाव के समय चुनावी ड्यूटी के लिए लिया था।

By Vijay KumarEdited By: Published: Thu, 02 Jul 2020 09:49 PM (IST)Updated: Thu, 02 Jul 2020 09:49 PM (IST)
बस मालिकों ने ममता सरकार से मांगा चुनावी ड्यूटी के लिए ली गईं बसों का किराया, नया प्रस्ताव भी पेश
बस मालिकों ने ममता सरकार से मांगा चुनावी ड्यूटी के लिए ली गईं बसों का किराया, नया प्रस्ताव भी पेश

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : किराया बढ़ाने को लेकर ममता सरकार के साथ चल रही तनातनी के बीच बस मालिकों ने अब उन बसों के किराए का भुगतान करने को कहा है, जिसे सरकार ने 2019 के लोकसभा चुनाव के समय चुनावी ड्यूटी के लिए लिया था। इसके साथ ही बस मालिकों ने किराया बढ़ाने को लेकर नया प्रस्ताव भी पेश किया है। वेस्ट बंगाल बस एंड मिनी बस आनर्स एसोसिएशन की तरफ से इस बाबत परिवहन विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखा गया है। पत्र में कहा गया है कि 2019 के लोकसभा चुनाव की ड्यूटी के लिए राज्य सरकार की तरफ से जो बसें किराए पर ली गई थीं, उसका अब तक भुगतान नहीं किया गया है।

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इस दिशा में सरकार कदम उठाए। बस मालिकों ने ऐसे समय इस मसले को उठाया है, जब ममता सरकार निजी बसों को अपने नियंत्रण में लेकर चलाने की बात कह रही है।एसोसिएशन ने  इसके साथ ही किराया वृद्धि को लेकर नई पेशकश करते हुए कहा है कि निजी बसों का किराया ई-सीरीज की गैर-वातानुकूलित सरकारी बसों के किराया जितना कर दिया जाए। सरकार अगर ऐसा भी नहीं कर सकती तो अपनी जरूरत के हिसाब से एसोसिएशन से निजी बसों की मांग करे। एसोसिएशन इसमें पूरा सहयोग करेगा।

सरकार निजी बस के चालकों और कंडक्टरों को भी अपने प्रबंधन में ले ले। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पिछले दिनों राज्य सचिवालय नवान्न ने कहा था कि बस मालिकों के बसें नहीं उतारने पर सरकार उन्हें अपने नियंत्रण में लेकर चलाएगी। एसोसिएशन ने कहा कि उनकी कुछ मांगें सरकार ही पूरी कर सकती है, हालांकि एसोसिएशन उन मामले में राज्य सरकार का भी हस्तक्षेप चाहता है। एसोसिएशन की तरफ से आगे कहा गया कि कोलकाता  ट्रैफिक पुलिस की तरफ से वसूला जाने वाला जुर्माना भी एक बड़ी समस्या है। इस तरह से जुर्माना सिर्फ कोलकाता ट्रैफिक पुलिस के अधीन क्षेत्रों में ही वसूला जाता है। इसका बस मालिकों की आय पर काफी असर पड़ता है। सरकार इसपर भी ध्यान दे।


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