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राजनीतिक हिंसा पर तीन पुस्तकों का हुआ विमोचन

जागरण संवाददाता सिलीगुड़ी वरिष्ठ पत्रकार रास बिहारी द्वारा लिखी गई बंगाल की हिंसक राजनीति पर तीनो

By JagranEdited By: Published: Wed, 31 Mar 2021 10:34 PM (IST)Updated: Wed, 31 Mar 2021 10:34 PM (IST)
राजनीतिक हिंसा पर तीन पुस्तकों का हुआ विमोचन
राजनीतिक हिंसा पर तीन पुस्तकों का हुआ विमोचन

जागरण संवाददाता ,सिलीगुड़ी: वरिष्ठ पत्रकार रास बिहारी द्वारा लिखी गई बंगाल की हिंसक राजनीति पर तीनों पुस्तकें रंक्ताचल की रक्तचरित्र राजनीति, रक्तरंजित बंगाल, बंगाल वोटों का खूनी लूटतंत्र का सिलीगुड़ी में सचेतन नागरिक मंच के द्वारा समारोह पूर्वक विमोचन किया गया। इस मौके पर पांचजन्य के संपादक हितेश शकर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग संचालक कुलक्षेत्र अग्रवाल, जिला संचालक डॉ अमिताभ मिश्रा तथा पुस्तक के लेखक रास बिहारी मौजूद थे। इस मौके पर प्रधान वक्ता के रूप में हितेश शकर ने बंगाल की अस्मिता और स्थिति,यहा की सास्कृतिक विरासत को बचाने का आह्वान किया। उन्होंने बताया कि बंगाल में बहुत ऐसी घटनाएं होती है जिसे समाचार पत्रों में नहीं परोसा जाता। इसलिए यह पुस्तक पढ़ना जरूरी है। उन्होंने बताया कि यश पब्लिकेशन ने इसे प्रकाशित किया है। वरिष्ठ पत्रकार रास बिहारी लंबे समय तक दिल्ली पत्रकार संघ के अध्यक्ष और महासचिव रहे। वर्तमान में वे नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) के अध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा कि बंगाल चुनाव के समय यह पुस्तकें निश्चित रूप से यहा के लोगों को बंगाल की राजनीति का वास्तविक चेहरा दिखाने का काम करेगी। इस पुस्तक के माध्यम से जान पाएंगे कि बंगाल में राजनीतिक हिंसा का एक पुराना इतिहास रहा है।

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उन्होंने आगे कहा कि वरिष्ठ पत्रकार रास बिहारी द्वारा लिखी गई इन पुस्तकों में बंगाल में कथित तौर पर हुई राजनीतिक हत्याओं का विस्तृत ब्योरा प्रस्तुत किया गया है। दावा किया गया है राज्य में भले ही काग्रेस, वामपंथी दलों या फिर तृणमूल काग्रेस का शासन रहा हो लेकिन राजनीतिक हत्याओं का दौर थमा नहीं। पुस्तक रक्ताचल में दावा किया गया है कि 2011 में 34 सालों तक पश्चिम बंगाल में राज कर चुके वामंपथी शासन का खात्मा करने वाली ममता बनर्जी जब सत्ता में आई तो उन्होंने भी वही किया जो उनके पहले की सरकारों ने किया। पुस्तक के मुताबिक बदला नहीं बदलाव चाहिए के नारे के साथ ममता बनर्जी ने चुनाव तो लड़ा लेकिन जीतने के बाद राज्य में राजनीतिक हत्याओं में तेजी आने लगी। माकपा (मा‌र्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी) कार्यकर्ताओं पर हमले तेज हो गए। पुस्तक में दावा किया गया है कि ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी का विस्तार करने के लिए भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मदद ली, लेकिन सत्ता में आने के बाद उन्होंने सबसे ज्यादा इन्हीं दोनों को अपना निशाना बनाया। इसके मुताबिक वर्ष 2011 में एक बार तो खुद मुख्यमंत्री बनर्जी अपने कार्यकर्ताओं को छुड़ाने भवानीपुर थाने पहुंच गई थीं।

पुस्तक में घुसपैठ और वोट बैंक की राजनीति के लिए ममता बनर्जी की आलोचना की गई है। दावा किया गया है कि इसकी वजह से पश्चिम बंगाल में हिन्दुओं की आबादी घटी और मुसलमानों की आबादी राष्ट्रीय स्तर से दोगुनी रफ्तार से बढ़ी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रात प्रचारक श्यामाचरण राय ने पुस्तक विमोचन के मौके पर बंगाल के विभाजन के पूर्व के वैभवता के संबंध में विस्तार से प्रकाश डाला।


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