ममता बनर्जी का तुष्टिकरण का राजनीतिक एजेंडा गलत: कैलाश विजयवर्गीय
-कहा बंगाल की वर्तमान सरकार सिर्फ तीस फीसद की करती है चिंता जयश्री राम बोलने पर कैसे होत
-कहा, बंगाल की वर्तमान सरकार सिर्फ तीस फीसद की करती है चिंता, जयश्री राम बोलने पर कैसे होता है अपमान
-राजनीतिक साजिश के तहत राष्ट्रीय कार्यक्रम की गरिमा को किया तार-तार
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी :
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर शनिवार को कोलकाता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में पराक्रम दिवस मनाया। पीएम मोदी के साथ बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मौजूद रहीं लेकिन मंच से भाषण शुरू करने के दौरान लोगों द्वारा 'जय श्री राम' के नारे लगाए गए, जिसके बाद ममता ने स्पीच देने से इनकार कर दिया। सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि किसी को बुलाकर उसकी बेइज्जती करना ठीक नहीं है। रविवार को भाजपा उत्तर बंगाल जोन की बैठक में भाग लेने पहुंचे पश्चिम बंगाल प्रभारी सह भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने एनजेपी रेलवे स्टेशन से निकलते ही पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि ममता बनर्जी पर सीधे निशाना साधा है। विजयवर्गीय ने कहा,मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं कि आखिर जय श्री राम का नाम जपने में समस्या क्या है और ममता बनर्जी इससे क्यों नाराज हैं। बंगाल में जयश्री राम का नारा सम्मान देने वाला बन गया है। मुझे लगता है यह नारा उनके सम्मान में लगाया गया, जब वह मंच पर आई थीं। नारे की वजह से मंच छोड़ना उनकी हताशा के अलावा और कुछ नहीं दर्शाता है।
एक सोची समझी राजनीतिक एजेंडा था
विजयवर्गीय ने आगे कहा 'जय श्रीराम नारे' पर नाराज होना, ये ममता बनर्जी की सोची समझी राजनीति एजेंडा का हिस्सा है। चुनाव में अल्पसंख्यकों का वोट पाने के लिए उन्होंने इस मंच से राजनीतिक लाभ उठाया। सिर्फ नारे की वजह से ममता बनर्जी का भाषण देने से इनकार करना उनकी हताशा को जाहिर करता है। उन्होंने आगे कहा कि नेताजी की जयंती पर पीएम मोदी के सामने सीएम ममता ने जिस तरह राजनीतिक हथकंडा अपनाया देश और नेताजी का अपमान है। उसकी वह कड़ी निंदा करते है। इसका जबाव आने वाले दिनों में लोग ममता की सरकार को देंगे।
ध्रुवीकरण की राजनीति में 70 प्रतिशत उपेक्षित
विजयवर्गीय ने कहा कि बंगाल में ध्रुवीकरण तो हो रहा है लेकिन सम्प्रदाय, जाति या धर्म के आधार पर नहीं किन्तु मोदी जी का सुशासन बनाम ममता जी का कुशासन के आधार पर। सब जानते हैं कि ममता बनर्जी और उनकी सरकार 30 प्रतिशत फिक्सड डिपोजिट की राजनीति कर रही हैं। 70 प्रतिशत लोगों की उपेक्षा की जा रही है। जबकि भाजपा 100 प्रतिशत की राजनीति करती आई है। हमारा मूल मंत्र ही है सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास है।
यह उदाहरण ही समझदार के लिए काफी
उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी के शासन में हमारी सेना के शहीद परिवार के सदस्यों को 2 लाख और 5 लाख का मुआवजा दिया गया है, जबकि मक्का, मस्जिद दुर्घटना में मरने वालों के परिवार के सदस्यों को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया था। अब बताइए, ध्रुवीकरण की राजनीति में कौन लिप्त है? रोहिंग्या और बाग्लादेशी घुसपैठियों को राज्य में स्वतंत्र रूप से बसने की अनुमति है, सिर्फ इसलिए कि वे एक विशेष धर्म से संबंधित हैं। क्या यह ध्रुवीकरण का प्रयास नहीं है? बंगाल में, सभी इमामों को कई वर्षो से 2500 रुपये का मासिक वजीफा मिलता है, लेकिन केवल कुछ मुट्ठी भर हिंदू पुजारियों को पिछले कुछ महीनों से प्रति माह 1000 रुपये दिए जाते हैं। क्या यह टीएमसी द्वारा ध्रुवीकरण का प्रयास नहीं है? जब टीएमसी विशेष वोट बैंक को खुश करने के लिए हमारे हिंदू धाíमक कार्यो पर प्रतिबंध लगा दिया, तो क्या वह ध्रुवीकरण नहीं था? जब ममता बनर्जी ने युवाओं को सिर्फ इसलिए गिरफ्तार कर लिया क्योंकि उन्होंने जय श्रीराम का जाप किया था, वह ध्रुवीकरण था या नहीं?भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि टीएमसी के नेता ममता दीदी के अंहकार के चलते पार्टी से किनारा कर रहे हैं। उनके पास पार्टी छोड़ने के सिवा और कोई विकल्प नहीं है। टीएमसी से कई बागी नेता स्तीफा दे चुके हैं बावजूद इसके ममता बनर्जी अपनी जीत का ढंका बजाने में लगी हुई हैं। इस बार उन्हें अबतक का उपेक्षित 70 प्रतिशत मतदाता ही सबक सिखाने को तैयार बैठी है।
बैठकों का चलेगा दिनभर बैठक
उत्तर बंगाल जोन और शक्तिकेंद्र प्रमुख के साथ दो अलग अलग बैठक की जाएगी। इस बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव संगठन बीएल संतोष भाग लेंगे। इसके अलावा बैठक में राष्ट्रीय संयुक्त महासचिव संगठन शिव प्रकाश, बंगाल के सह प्रभारी अरविंद मेनन, सांसद राजू बिष्ट समेत अन्य नेता मौजूद रहेंगे। इस बैठक के माध्यम से संगठन को मजबूत और कार्य की गतिविधियों को बढ़ाने पर चर्चा होगी।