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बंगाल का रण: बदलाव की कसमसाहट दिख रही उत्तर दिनाजपुर में, जानें चुनाव में क्‍या होंगे बड़े मुद्दे

नेपाल की सीमा से सटा उत्तर दिनाजपुर बंगाल के पिछड़े जिलों में शुमार है। आलम यह है कि यहां बीमार पडऩे पर लोगों को इलाज के लिए नेपाल जाना पड़ता है। रेलवे और अन्य सुविधाओं का भी यहां विकास नहीं हो पाया है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Mon, 01 Mar 2021 11:31 PM (IST)Updated: Mon, 01 Mar 2021 11:31 PM (IST)
बंगाल का रण: बदलाव की कसमसाहट दिख रही उत्तर दिनाजपुर में, जानें चुनाव में क्‍या होंगे बड़े मुद्दे
नेपाल की सीमा से सटा उत्तर दिनाजपुर बंगाल के पिछड़े जिलों में शुमार

रंजीत कुमार यादव, उत्तर दिनाजपुर : नेपाल की सीमा से सटा उत्तर दिनाजपुर बंगाल के पिछड़े जिलों में शुमार है। आलम यह है कि यहां बीमार पडऩे पर लोगों को इलाज के लिए नेपाल जाना पड़ता है। रेलवे और अन्य सुविधाओं का भी यहां विकास नहीं हो पाया है। पिछले चुनाव में तृणमूल ने जिले की नौ में छह विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन बदलाव की कसमसाहट है कि लोकसभा चुनाव में यहां कमल खिला। भाजपा ने भी यहां और कमल खिलने की संभावनाएं देखते हुए रायगंज की सांसद देवश्री चौधरी को केंद्रीय मंत्री बनाया। इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यहां पूरा जोर लगा रखा है। यहां छठे चरण में 22 अप्रैल को चुनाव है, लेकिन राजनीतिक तपिश अभी से महसूस होने लगी है। गलियों-चौराहों पर जीत-हार के दावे आम हैं।

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कानून व्यवस्था यहां बड़ा मुद्दा है। इस्लामपुर मर्चेंट एसोसिएशन के प्रवक्ता दामोदर अग्रवाल कहते हैं, शांतिपूर्ण व सुरक्षा का माहौल हो। अपराधिक घटनाओं पर लगाम लगनी चाहिए। आम जनमानस व व्यवसायियों को सुरक्षा की गारंटी मिले। फेडरेशन ऑफ इस्लामपुर ट्रेडर्स ऑर्गनाइजेशन के अध्यक्ष कन्हैयालाल बोथरा भी इनसे इत्तेफाक रखते हैं। कहते हैं, शांतिपूर्ण व सद्भावनापूर्ण माहौल में हम रह सकें, कारोबार कर सकें। यही हमारा मुद्दा है। जो यह माहौल दे पाने में सक्षम होगी उसे ही वोट करेंगे। शिक्षिका सुरमा रानी भी कुछ ऐसी ही राय रखती हैं। कहती हैं, महिलाओं, किशोरियों को सुरक्षा, शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने वाली सरकार होनी चाहिए। कहने की जरूरत नहीं कि कानून व्यवस्था पर सवाल उठाने वाले लोगों का भरोसा जीत पाने में राज्य पुलिस असफल दिख रही है, यह नाराजगी सत्ताधारी दल को भारी पड़ सकती है।

जिले में एम्स बनाने की घोषणा हुई थी। जिले के लोगों में उम्मीद जगी थी कि शायद अब उन्हें इलाज के लिए नेपाल नहीं दौडऩा पड़े, लेकिन उनके सपने तब बिखर गए जब राज्य सरकार ने रायगंज एम्स को दक्षिण बंगाल में शिफ्ट करने की घोषणा कर दी। जिला कांग्रेस अध्यक्ष कहते हैं, किसी भी जटिल बीमारी के इलाज के लिए यहां के लोग दूसरी जगह इलाज कराने को मजबूर हैं। राज्य की तृणमूल सरकार ने कोई समुचित व्यवस्था करने की बजाय अड़ंगेबाजी करने का ही कार्य किया है। कवि और लेखक निशिकांत सिन्हा कहते हैं, ऐसी सरकार बनाएंगे जो बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधाएं दे सके। बेरोजगारों की फौज खड़ी है, उन्हें काम देना होगा।

असंतोष की झलक बता रही कि बात मुद्दों की हुई तो राज्य सरकार को जवाब देना भारी पड़ेगा। भाजपा जिलाध्यक्ष बिश्वजीत लाहिड़ी कहते हैं पिछले दस वर्षों में राज्य सरकार जिले में स्वास्थ्य सुविधा देने के बारे में सोचती रह गई।  विधानसभा चुनाव में रायगंज में स्थापित होने वाले एम्स को यहां से दक्षिण बंगाल ले जाने का मुद्दा उठाएंगे।

ऐसा नहीं कि सवाल सिर्फ तृणमूल के लिए खड़े हो रहे। जिले में तीन महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन रायगंज, दालखोला व इस्लामपुर (अलुआबाड़ी रोड) हैं। जहांं दूरगामी एकाध ट्रेनें ही रुकती हैैं। लोस चुनाव में भाजपा ने रेल यातायात संचार प्रणाली में सुधार का वादा किया था लेकिन लोगों को राहत नहीं मिली है। तृणमूल कांग्रेस जिला अध्यक्ष कन्हैयालाल अग्रवाल पूछते हैं, भाजपा ने क्या किया रेल सुविधाओं के लिए। कुछ भी तो नहीं। हमारे बस में जो था हमने किया। ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कें पक्की बनाई गई हैं। पुल का भी निर्माण किया है। रायगंज की भाजपा सांसद व केंद्रीय राज्य मंत्री देवश्री चौधरी कहती हैं। हमें अपना वादा याद है, हम सारी घोषणाओं पर अमल करेंगे। तृणमूल जनता को भटकाए नहीं। बहरहाल, आरोप-प्रत्यारोप के बीच जनता मतदान की तैयारियों में जुटी है। दो मई को इसका जवाब मिल जाएगा कि जनता ने राज्य के विकास के लिए किसको ताज पहनाया है।


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