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उत्तर बंगाल में ब्लैक फंगस के बाद एक अन्य फंगल इंफेक्शन का मामला आया सामने, मरीज की मौत

उत्तर बंगाल में ब्लैक फंगस के बाद एक अन्य फंगल इंफेक्शन का मामला आया सामने।जांच में एस्पेरगिलोसिस फंगस से पीड़ित होने की पुष्टि। उत्तर बंगाल में पहला मामला इस बीमारी की चपेट में आने से सिलीगुड़ी के एक 48 वर्षीय मरीज की बीते देर रात मौत हो गई।

By Priti JhaEdited By: Published: Thu, 03 Jun 2021 03:14 PM (IST)Updated: Thu, 03 Jun 2021 03:16 PM (IST)
उत्तर बंगाल में ब्लैक फंगस के बाद एक अन्य फंगल इंफेक्शन का मामला आया सामने, मरीज की मौत
उत्तर बंगाल में ब्लैक फंगस के बाद एक अन्य फंगल इंफेक्शन का मामला

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी। कोरोनावायरस महामारी के साथ अभी ब्लैक फंगस की मुसीबत सिर पर पड़ी ही थी, कि एक और फंगल इंफेक्शन ने मरीज को अपना ग्रास बना लिया। उत्तर बंगाल में डॉक्टर्स के सामने एक नए तरह के फंगल इंफेक्शन ने दस्तक दे दी है। ब्लैक फंगस के बाद अब एस्परगिलोसिस नाम के फंगस के मामले भी सामने आए हैं। इस बीमारी की चपेट में आने से सिलीगुड़ी के मिलनमोड़ निवासी एक 48 वर्षीय मरीज की बीते देर रात मौत हो गई।

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उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के आधिकारिक सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार मरीज के परिजनों ने सिलीगुड़ी के सेवक रोड स्थित एक नर्सिंग होम से बीते बुधवार कि सुबह लगभग 11:00 बजे उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती किए थे। मरीज को ब्लैक फंगस से पीड़ित होने के संदेह में भर्ती किया गया था। मरीज की स्थिति काफी चिंताजनक थी तथा वे फेफड़े के संक्रमण किडनी समय कई बीमारियों से जूझ रहे थे। मरीज को मेडिकल अस्पताल के क्रिटिकल केयर यूनिट में भर्ती कर जांच के लिए सैंपल उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल के वायरस रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लैबोरेट्री में भेजा गया। यहां से मिली जांच रिपोर्ट में एस्पेरगिलोसिस फंगस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई। बताया गया कि यह भी मरीज पहले कोरोना से संक्रमित थे तथा एक निजी अस्पताल में इलाज के बाद कोविड-19 नेगेटिव आने के बाद अस्पताल से छुट्टी मिली थी।

उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल ईएनटी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर राधेश्याम महतो ने बताया कि एस्परगिलोसिस एक प्रकार के मोल्ड (कवक) के कारण होने वाला संक्रमण है। एस्परगिलोसिस संक्रमण से होने वाली बीमारियां आमतौर पर श्वसन प्रणाली को प्रभावित करती हैं, लेकिन उनके लक्षण और गंभीरता अलग-अलग हो सकते हैं। बीमारियों को ट्रिगर करने वाला मोल्ड, एस्परगिलस, घर के अंदर और बाहर हर जगह मौजूद होता है। अधिकांश लोग के शरीर में एस्परगिलस बीजाणु सांस के ज़रिए प्रवेश कर जाते हैं, लेकिन वे बीमार नहीं पड़ते। लेकिन कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली या फेफड़ों की बीमारी वाले लोगों में एस्परगिलस के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं विकसित होने का अधिक ख़तरा होता है।

एस्परगिलोसिस आमतौर पर उन लोगों में देखा जा रहा है, जिनकी इम्यूनिटी कमज़ोर है। हालांकि साइनस पल्मोनरी एस्परगिलोसिस, जो अभी कोविड मरीजों में देखा जा रहा है, दुर्लभ है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि एस्परगिलोसिस, ब्लैक फंगल संक्रमण जितना घातक नहीं है, लेकिन कई बार जानलेवा भी साबित हो सकता है। मेडिकल अस्पताल के वायरस रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लैबोरेट्री के विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि कोरोनावायरस से रिकवर हुए मरीजों में एस्पेरगिलोसिस फंगल इंफेक्शन के मामले देश के अन्य राज्यों में भी आ चुके हैं। हालांकि सिलीगुड़ी व उत्तर बंगाल में इस तरह का पहला मामला सामने आया है। 


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