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दो देशों के बीच कूटनीतिक रिश्तों को मजबूत बनाती है एक मछली, जानिए इसके बारे में

हिलसा या इलिश का नाम आपने सुना होगा। यह मछली सिर्फ बंगाली परिवार के डायनिंग टेबल की शोभा नहीं है। अपितु, भारत व बांग्लादेश के बीच कूटनीतिक रिश्तों को भी मजबूत बनाती है।

By Rajesh PatelEdited By: Published: Sat, 05 Jan 2019 12:42 PM (IST)Updated: Sat, 05 Jan 2019 12:42 PM (IST)
दो देशों के बीच कूटनीतिक रिश्तों को मजबूत बनाती है एक मछली, जानिए इसके बारे में
दो देशों के बीच कूटनीतिक रिश्तों को मजबूत बनाती है एक मछली, जानिए इसके बारे में
सिलीगुड़ी [राजेश पटेल]। एक मछली पूरे तालाब को गंदा करती है, लेकिन यदि एक प्रजाति की मछली दो पड़ोसी देशों के बीच कूटनीतिक रिश्तों की डोर को मजबूत करे तो उसे क्या कहेंगे। जी हां, हिलसा (इलिश) मछली भारत और बांग्लादेश के बीच रिश्तों में ऐसी मजबूत डोर है, जिसे कभी कोई तोड़ नहीं सकता। यह इतनी स्वादिष्ट होती है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने वर्ष 2011 में इसे चखने के लिए शाकाहार का त्याग तक करने की बात कह दी थी। ममता बनर्जी जब दूसरी बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनी थीं तो बांग्लादेश से भेजे गए गिफ्ट में बीस किलोग्राम हिलसा मछली भी थी।
अपनी बांग्लादेश यात्रा के दौरान 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का यह बयान काफी चर्चित रहा था कि ‘हिलसा के स्वाद के बारे में काफी सुन चुका हूं। यदि बांग्लादेश इसे खाने में सर्व करता है तो मैं इसके लिए शाकाहार का त्याग करने की सोच रहा हूं’।
हिलसा के महत्व को हम 1916 में कवि सत्येंद्रनाथ दत्त के लिखे इस गीत के माध्यम से समझ सकते हैं- इलिशे गुरी, इलिशे गुरी, इलिश माछे दीम, 'इलिशे गुरी, इलिशे गुरी, दिनेर बेले हीम।’ इस बांग्लागीत के माध्यम बारिश में खेलते बच्चे इलिश के झुंड से यह अपेक्षा करते हैं कि वे ज्यादा से ज्यादा अंडे दें, ताकि हर दिन इसका आनंद ले सकें।
बंगाल की संस्कृति से हिलसा का है सदियों पुराना रिश्ता
बंगाल की संस्कृति से हिलसा का नाता सदियों पुराना है। यह पश्चिम बंगाल के संभ्रांत परिवारों की ‘डाइनिंग टेबल’ की शोभा भी है। ‘जमाई षष्ठी’ (दामाद को खुश करने का मौका) हो या नए साल के स्वागत के लिए ‘पोइला बैशाख’, हिलसा का होना परंपरा की आवश्यकता है। जब वर्ष 2013 में प्रणब मुखर्जी बांग्लादेश गए थे तो उनके लिए पांच तरह का डिश तैयार किया गया था, जिसमें हिलसा मछली को भी शामिल किया गया था।
इसकी इतनी खासियत क्यों है, आप भी इसे खाकर समझ सकते हैं। सिलीगुड़ी के प्रसिद्ध शेफ अनिर्बान दत्ता ने इसे बनाने का तरीका बताया, आप भी घर में बनाएं और इसका आनंद लीजिए। 
सरसों फिश करी
तैयारी का समय: 15 मिनट
खाना पकाने के समय: 20 मिनट
सामग्री: इलिशा (हिलसा) मछली – पांच मध्यम आकार के टुकड़े, सरसों के बीज – एक बड़ा चम्मच, हल्दी पाउडर – दो बड़े चम्मच, नमक स्वाद अनुसार, टमाटर (कटा हुआ) – दो, सरसों के पेस्ट के लिए सरसों के बीज – 1/2 कप, खसखस / पोस्तो दाना – 3/2 कप, हरी मिर्च – 4-5
विधि: एक मोटी पेस्ट बनाने के लिए सरसों, हरी मिर्च और खसखस पीस लें। (इस पेस्ट को “शौरसे बाटा” कहा जाता है )। गर्म तेल में, सरसों के बीज डालें और सरसों चटकने तक तलें। अब सरसों पेस्ट डालें। सरसों के पेस्ट जब तल जाए तो हल्दी पाउडर, नमक, टमाटर डालें और 2-3 मिनट के लिए पकाएं । अब ग्राइंडर में से शेष सरसों के पेस्ट में पानी डालकर उसे करी मैं डाल दें । अब तली हुई मछलियों को एक-एक करके इस पेस्ट में डालें, और धीरे-धीरे सरसों की गाढ़ी ग्रेवी को मछलियों पर अलट-पलट कर लपेट दें। अब एक कप पानी डालें और 3-4 मिनट के लिए धीमी आंच में ग्रेवी पकाएं और ढक कर 4-5 मिनट के लिए और पकाएं (मछली पहले से ही पक्की हुई है तो हमें करी को ज्यादा देर तक नहीं पकाना पड़ता है )। लौ बंद कर दें और ग्रेवी में एक बड़ा चम्मच कच्चे सरसों का तेल डालिए, यह करी को अच्छी सुगंध देगा। अब यह तैयार है। इसे गरमागरम चावल के साथ आनंद लीजिए।

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