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ऋण दिलाने के मामले में पूर्व बैंक मैनेजर गिरफ्तार

पांच कंपनियों को बैंक ऋण दिलाने और गारंटी में दिए गये संपत्ति के कागज जांच में फर्जी पाए जाने पर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के बैंक मैनेजर को गिरफ्तार कर लिया

By Edited By: Published: Sat, 30 Mar 2019 11:27 PM (IST)Updated: Sat, 30 Mar 2019 11:27 PM (IST)
ऋण दिलाने के मामले में पूर्व बैंक मैनेजर गिरफ्तार
ऋण दिलाने के मामले में पूर्व बैंक मैनेजर गिरफ्तार
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : पांच कंपनियों को बैंक ऋण दिलाने और गारंटी में दिए गये संपति के कागजात फर्जी पाए जाने पर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के तत्कालीन बैंक मैनेजर को पुलिस कमिश्नरेट की डीडी टीम ने गिरफ्तार कर लिया। बैंक मैनेजर वर्ष सेवानिवृत्त हो गये है। मैनेजर का नाम संजय चक्रवर्ती (61) है। मैनेजर वरिशा पूर्वपाड़ा वार्ड 124, 24 परगना कोलकाता निवासी है। शुक्रवार को सिलीगुड़ी कोर्ट में पेशी के दौरान आरोपित को जमानत नहीं देकर पुलिस ने 14 दिनों के पुलिस रिमांड पर मांग की। बचाव पक्ष के वकील सुदीप्त भट्टाचार्य उर्फ बाबू सोना, आकाश दीप और प्रियंका मणि के कई प्रकार के दलील दिए जाने के बाद कोर्ट ने बैंक मैनेजर को गहन पूछताछ के लिए सात अप्रैल तक पुलिस रिमांड में भेज दिया। घटना के संबंध में बताया गया कि सेवानिवृत्त बैंक मैनेजर के खिलाफ बैंक के सीनियर मैनेजर ने वर्ष 2018 के दिसंबर माह में मामला दर्ज कराया था। मैनेजर और पांच कंपनियों के ऋण लेने वाले समेत बैंक के वकील के खिलाफ भी मामला दर्ज हुआ था। इसमें फर्जी कागजात पेश किए जाने, ठगी करने तथा सरकारी संपत्ति को हड़पने की साजिश रचने जैसे कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। बचाव पक्ष के वकीलों ने कोर्ट में कहा कि बैंक मैनेजर को इसलिए गिरफ्तार किया गया क्योंकि उनके कार्यकाल में लगभग आठ करोड़ सात लाख रुपये का ऋण पांच कंपनियों को मुहैया कराया गया। जब कंपनी द्वारा ऋण की राशि वापस नहीं की जा रही थी तो इस बैंक ने एनपीए कर दिया। जांच के दौरान पाया गया कि जिस संपत्ति को दिखाकर यह ऋण मुहैया कराया गया था उन सबके कागजात फर्जी है। बैंक पैसा डूबता देखकर यह मामला प्रारंभ किया था। कोर्ट को बताया गया कि अगर बैंक मैनेजर में ऋण दिया तो उसके पहले की सारी प्रक्रिया के लिए बैंक के पास सभी प्रकार की व्यवस्था है। संपत्ति का आकलन करने वाली टीम ने उस समय क्या देखा? बैंक के अधिवक्ता ने जब तक हरी झंडी नहीं दी तबतक बैंक मैनेजर ने तो ऋण को लेकर हस्ताक्षर ही नहीं किया। देखना यह होगा कि बैक मैनेजर के बाद और भी आरोपितों को पुलिस पकड़ पाती है या नहीं?

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