कूचबिहार में तृणमूल ने दिया भाजपा को राजनैतिक जमीन
-नाटाबाड़ी के कुरूक्षेत्र में रवींद्रनाथ से भिड़ेंगे मिहिर गोस्वामी
कैचवर्ड : मुकाबला
-नाटाबाड़ी के कुरूक्षेत्र में रवींद्रनाथ से भिड़ेंगे मिहिर गोस्वामी
-रवींद्रनाथ घोष के गरम मिजाज के कारण निशीथ प्रामाणिक, मिहिर गोस्वामी जैसे बड़े नेताओं ने छोड़ा पार्टी का दामन
-रैलियों व सभाओं में रवींद्रनाथ घोष मिहिर गोस्वामी से आगे, दो बार इलाके की जनता चुन चुकी है रवि बाबू को
-दीदी की अब पार्टी में दाल नहीं गलती, कुछ लोग सारे निर्णय ले रहें हैं, इसलिए मैंने पार्टी छोड़ी : मिहिर गोस्वामी
रीता दास, कूचबिहार : कूचबिहार ऐतिहासिक शहर के रूप में जाना जाता है। राजबाड़ी, मदन मोहन मंदिर से पूरे उत्तर बंगाल की जनता का अलग सा लगाव है। लेकिन राजनीतिक दृष्टि से भी यह खास है। आजादी के बाद से ग्रेटर कूचबिहार अलग राज्य की मांग यहां के राजवंशी समुदाय द्वारा की जा रही है। लेकिन सबसे पुरानी जनजाति यहां उपेक्षित है। 45 फीसदी राजवंशी आबादी कूचबिहार जिले का नौ विधानसभा सीटों पर इंपैक्ट डाल सकते है। 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले भारतीय जनता पार्टी के लिए कूचबिहार में कुछ नहीं था। लेकिन तृणमूल के अपने गुटबाजी के कारण भाजपा को इस जिले में पांव फैलाने का अवसर दिया। चौथे चरण का मतदान आगामी 10 अप्रैल को होने वाला है। कूचबिहार व अलीपुरद्वार में मतदान होने वाले है। कूचबिहार में सबसे बड़ा चेहरा रवींद्रनाथ घोष हैं। वें नाटाबाड़ी विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक भी रह चुके है। इस बार वें हैट्रिक करने की कोशिश करेंगे। वहीं उनके खिलाफ उनके ही साथ जो पिछले 22 साल से तृणमूल के साथ कदम ताल मिला रहें थे, उनके खिलाफ खड़े होंगे। बतादें कि नाटाबाड़ी में कुल मतदाता दो लाख 44 हजार 570 है। जिसमें एक लाख 25 हजार 925 पुरूष मतदाता और एक लाख 18 हजार 636 महिला मतदाता है। साथ ही 80 से ऊपर वाले 3885 हैं। इस क्षेत्र में 328 पोलिंग बूथ है।
रवींद्रनाथ घोष के हार व जीत का फैक्टर: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जब दूसरी बार सत्ता पर काबिज हुई तो गौतम देव के जगह पर रवींद्रनाथ घोष को उत्तर बंगाल विकास मंत्री बनाया। मंत्री बनाएं जाने के बाद से जिले में तृणमूल के बड़े-बड़े नेताओं के बीच मनमुटाव हो गया। निशीथ प्रामाणिक जो लोकसभा चुनाव जीते। वें भी तृणमूल के युवा नेता थे। उनकी जिले में अच्छी पकड़ थी। पंचायत चुनाव से जो गुटबाजी शुरू हुई, उसका कभी समाधान नहीं हुआ। मंत्री रवींद्रनाथ घोष जिला अध्यक्ष होने के बावजूद इसे सुलझाने में कई स्तरों पर नाकाम दिखे। इसके कारण ही भाजपा कूचबिहार में पैठ बना पायी। रवि बाबू एनबीएसटीसी के चेयरमैन व वरिष्ठ तृणमूल नेता व कूचबिहार दक्षिण के विधायक मिहिर गोस्वामी को भी मनाने में नाकाम रहें। उन्होंने 27 नवंबर 2020 को अंतत: भाजपा का दामन थाम लिया। रवींद्रनाथ घोष का सबसे सकारात्मक पहलू है उनका जनता के साथ सुख-दख में खड़े रहना। पूरे लॉक डाउन में वें अपने क्षेत्र की जनता के साथ दिखे। इसके कारण वें कोरोना पॉजिटिव भी हुए। मिहिर दुर्योधन है और मैं अर्जुन : नाटाबाड़ी विधानसभा क्षेत्र भाजपा व तृणमूल के लिए धर्मयुद्ध। यह दोनों के लिए साख की बात है। एक ओर मिहिर गोस्वामी जैसे स्वच्छ छवि वाले पुराने व माहिर छवि वाले उम्मीदवार है, जिन्होंने पार्टी में सम्मान नहीं मिलने पर एनबीएसटीसी के चेयरमैन सहित विधायक पद आदि से इस्तीफा दे दिया। दीदी के दरबार में वें कोहिनूर थे। लेकिन पार्टी में गंदगी का हवाला देकर वें भाजपा में शामिल हो गए। उनके लिए नाटाबाड़ी विधानसभा चुनाव जीतना प्रेसटिज का इश्यू हो गया है। रवींद्रनाथ घोष ने इस कुरूक्षेत्र में मिहिर गोस्वामी को दुर्योधन करार देते हुए कहा कि उन्होंने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए पार्टी छोड़ा है। मैं शत प्रतिशत नाटाबाड़ी से चुनाव जीतूंगा। वहीं मिहिर गोस्वामी ने रवींद्रनाथ घोष पर आरोप लगाया कि नाटाबाड़ी से मेरा संबंध 70 के दशक से है। वहां मेरे आत्मीय है। लेकिन रवींद्रनाथ मुझे वहां आने से रोकते थे। दीदी के ईद-गीर्द दलाल घूम रहें है : तृणमूल कांग्रेस अब पहले जैसे पार्टी नहीं रह गयी। मैं इसके स्थापना के साथ हूं। अपने बहुमूल्य 22 साल इस पार्टी को दिया। दीदी के साथ हर कदम पर रहा। लेकिन धीरे-धीरे इस पार्टी में कुछ गुंडे व ठेकेदारों का दबदबा हो गया है। कटमनी पर काम होने लगा है। मां-माटी-मानुष बस एक लेबल है। अंदर में काफी सड़ांध है। ऐसे में मेरे जैसे लोग यहां नहीं रह सकते। कूचबिहार में भाजपा को नौ में से नौ सीटें मिलेंगी।
कैप्शन : 1.तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार रवींद्रनाथ घोष
2. भाजपा के उम्मीदवार मिहिर गोस्वामी