चेंगड़ाबांधा सीमा पर मालवाही ट्रकों से वसूली बंद
कूचबिहार जिले के चेंगड़ाबांधा सीमा पर मालवाही ट्रकों से वसूली बंद हुई।
By Edited By: Published: Sun, 06 Jan 2019 08:00 PM (IST)Updated: Sun, 06 Jan 2019 08:02 PM (IST)
संवाद सूत्र, चेंगड़ाबांधा : करीब 25 वर्षो से भारत-बांग्लादेश सीमा चेंगड़ाबांधा पर मालवाही ट्रकों से चल रही वसूली बंद हो गई। विगत दो हफ्ते से वसूली बंद है। इससे संबंधित संगठन इस वसूली को रंगदारी मानने से इन्कार कर रहे हैं। उनका कहना है कि ट्रकों से जो रुपये लिया जाता था उससे इलाके के लोगों की मदद के अलावा सामाजिक विकास में खर्च किए जाते थे। इसके अलावा ट्रक कर्मियों की सुविधा-असुविधा का ख्याल रखा जाता था। यह रंगदारी नहीं है। अंतरराष्ट्रीय इस सीमा पर अचानक वसूली बंद कर दिए जाने को लेकर तनाव पैदा होने की आशंका बनी हुई है। स्थानीय कुछ लोगों का कहना है कि सामाजिक विकास के लिए खर्च करने के नाम पर ट्रक कर्मियों से रुपये वसूल कर कुछ लोग अपना स्वार्थ सिद्ध कर रहे थे। इसके खिलाफ आवाज उठने पर व स्थिति की नजाकत को भांपते हुए पुलिस-प्रशासन की ओर से जल्द ट्रकों से वसूली बंद करने का निर्देश जारी किया। साथ ही पुलिस-प्रशासन की ओर से निर्देश की अनदेखी करने पर आरोपित के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। ट्रकों से वसूली बंद होने पर इलाके के विभिन्न श्रमिक संगठनों ने तीव्र रोष प्रकट किया है। उनके अनुसार, सीमा पर ट्रक लेकर आने वाले ज्यादा तक ट्रक कर्मी बाहर से आते हैं। उन्हें किसी भी तरह की असुविधा होने पर श्रमिक संगठन उनकी मदद करता है। ट्रक कर्मी व श्रमिक परिवार के सदस्य के अलावा इलाके के जरूरतमंद लोगों की सहायता में राशि खर्च की जाती थी। मिली जानकारी के अनुसार, चेंगड़ाबांधा सीमा से रोजाना सैंकड़ों ट्रक बांग्लादेश में प्रवेश करता है। सीमा पर विभिन्न श्रमिक संगठन, एक्सपोटर्स एसोसिएशन, सी एंड एफ एजेंट एसोसिएशन, ट्रक मालिक समिति की ओर से प्रत्येक ट्रक से 10 से 20 रुपये लिया जाता था। रुपये वसूली के लिए प्रत्येक संस्था की ओर से एक प्रतिनिधि नियुक्त किया गया था। चेंगड़ाबांधा ट्रक मालिक समिति के कोषाध्यक्ष अब्दुल छमात ने कहा कि वे सिर्फ उनके संगठन के ट्रक से ही रुपये लेते थे। इसी रुपये से इलाके में नियमित स्ट्रीट लाइट की सेवा दी जा रही थी। तृणमूल मोटर कर्मी यूनियन के मेखलीगंज ब्लॉक अध्यक्ष गोविंद राय ने कहा कि यह रंगदारी वसूली नहीं है। इसे समाज की भलाई में खर्च किया जा रहा था। चेंगड़ाबांधा एक्सपोटर्स एसोसिएशन के सचिव विमल कुमार घोष ने किसी तरह की टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया।
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