कूचबिहार में खेला होबे या होगा असल परिवर्तन?
-10 अप्रैल को 23 लाख 41 हजार 138 मतदाता करेंगे भाग्य का फैसला -चर्चित उम्मीदवार तृणमूल के र
-10 अप्रैल को 23 लाख 41 हजार 138 मतदाता करेंगे भाग्य का फैसला
-चर्चित उम्मीदवार : तृणमूल के रवींद्रनाथ घोष उदयन गुहा और भाजपा से निशीथ प्रामाणिक, मिहिर गोस्वामी
-हितेन बर्मन, अर्घ्य राय प्रधान और फजल करीम मियां जैसे सिटिंग एमएलए को टिकट न देना दीदी की बड़ी भूल
रीता दास,कूचबिहार : चौथे चरण के मतदान के लिए कूचबिहार का चुनावी मैदान सज चुका है। हर कोई गोल मारने के फिराक में है। गर्मी व कोरोन के बीच भी जिला के नौ विधानसभा सीटों पर भाजपा व तृणमूल ने धुंआधार प्रचार किया। नरेंद्र मोदी से लेकर जे पी नाड्डा, मिथुन चक्रवर्ती, तृणमूल सुप्रिमो ममता बनर्जी से अभिनेता देव तक, वहीं संयुक्त मोर्चा के समर्थन के लिए त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार से लेकर सूर्यकांत मिश्रा आदि ने जनता को लुभाने के लिए जी-जान से मेहनत की है। खेला होबे-खेला होबे या असल परिवर्तन होबे यह दो मई को ही पता चलेगा। लेकिन चुनाव प्रचार से इतना तय हो गया है कि मुकाबला भाजपा व तृणमूल के बीच है। वैसे कूचबिहार जिला वाममोर्चा का गढ़ माना जाता था। लेकिन यह गढ़ पिछले पांच साल से तृणमूल का हो गया है। लेकिन पंचायत चुनाव से तृणमूल की आपसी गुटबाजी व लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत ने राजनीतिक विकल्प दिया है। मेखलीगंज
कुल मतदाता : 2 लाख, 26 हजार 105
कुल पोलिंग बूथ :313 अर्घ्य राय को प्रधान को टिकट न देना तृणमूल की बड़ी भूल : 2011 में तृणमूल की मां-माटी-मानुष की सरकार आयी थी। लेकिन मेखलीगंज में वाममोर्चा के परेशचंद्र अधिकारी ही विजयी हुए थें। उन्होंने 32 हजार 632 वोट से विजयी होकर तृणमूल को हराया था। लेकिन इसका बदला 2016 के विधानसभा चुनाव में अर्घ्यराय प्रधान ने 6632 वोट से हराकर हिसाब बराबर कर लिया। अर्घ्य राय प्रधान का लोगों के बीच पैठ भी अच्छी है। इलाके के लिए काम भी किया। लेकिन दीदी ने इस बार सिंटिंग विधायक को टिकट ने देकर भारी भूल की है। इसे लेकर उनके समर्थकों ने शुरूआत में विरोध भी किया था। इसका फायदा भाजपा के उम्मीदवार दधिराम राय को जा सकता है। वें पंचायत प्रधान भी रह चुके हैं। ग्राम अंचलों में उनकी अच्छी पकड़ है। लेकिन सांगठनिक तौर पर मेखलीगंज में भाजपा उतना मजबूत नहीं है। लेकिन इस युवा नेता को युवा वर्ग काफी पसंद करते हैं।
तृणमूल उम्मीदवार परेशचंद्र अधिकारी लंबे रेस के घोड़ा कहा जाते है। वें वाम सरकार के समय मंत्री भी थें। स्वभाव से बहुत शांत व गंभीर है। लोकसभा चुनाव में वें निशीथ प्रामाणिक के खिलाफ खड़े थे। लेकिन हार गए थें। उनपर अपने परिवार के सदस्यों को सरकारी नौकरी देने का आरोप है। तृणमूल में शामित होते ही उनकी बेटी की सरकारी नौकरी लग गयी। बंगाली भद्र समाज में लेकर इसे लेकर खूब चर्चा हो रही है। वहीं संयुक्त मोर्चा के उम्मीदवार की छवि गोविंद राय सिद्धांतवादी है। शुरू से वें वाम मोर्चा से जुडे़ है, भले ही उनका हार मिले। माथाभांगा
कुल मतदाता : 2 लाख, 47 हजार 646
कुल पोलिंग बूथ : 332
विनय कृष्ण बर्मन को नहीं मिला मन चाही सीट : माथाभांगा विधानसभा सीट से 2011 व 2016 में किला फतेह करने के बावजूद, दीदी ने उनका माथाभांगा से टिकट न देकर उन्हें कूचबिहार उत्तर विधानसभा सीट से टिकट दिया। इसे लेकर विनय कृष्ण बर्मन काफी दुखी थे। इस बार उनके स्थान पर गिरींद्रनाथ बर्मन को टिकट दिया गया है। गिरींद्रनाथ राय उच्च शिक्षित है। पंचानन बर्मा के वंश परंपरा से ही ताल्लुक रखते है। पंचानन बर्मा विश्वविद्यालय के लिए आंदोलन किया। वहीं उनके विरूद्ध भाजपा ने एक साधारण किसान सुशील राय को चुनाव मैदान में उतारा है। ग्राम अंचल में उनकी अच्छी पैठ है। चुनावी रैली व सभा को देखकर लग रहा है कि किसान सुशील बाबू उच्च शिक्षित गिरींद्रनाथ बर्मन से 19 नहीं है। माथाभांगा में भाजपा काफी मजबूत है। राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस सीट पर असल परिवर्तन की संभावना अधिक है। माथाभांगा में भाजपा काफी मजबूत है। कूचबिहार उत्तर
कुल मतदाता : 2 लाख 81 हजार 857
कुल पोलिंग बूथ : 389
हवा गेरूआ खेमे की ओर : वैसे 2011 व 2016 के विधानसभा चुनाव में न तृणमूल जीती थी न भाजपा। यह वाममोर्चा का किला माना जाता था। दीदी की सरकार भले ही हो, लेकिन फारवर्ड ब्लॉक के नगेंद्रनाथ राय ही यहां की पहली पसंद है। लेकिन इस बार बात अलग है। राजवंशी बहुत इलाके में इस बार कमल फूल खिलने के आसार अधिक दिख रहें है। गलत उम्मीदवार के चलते इसका फायदा भाजपा को हो सकता है। पूर्व मंत्री विनय कृष्ण बर्मन के लिए यह नयी सीट है। कार्यकर्ताओं में वें उसतरह से विश्वास नहीं जता पा रहें हैं, जैसा माथाभांगा में उनका वर्चस्व था। भाजपा उम्मीदवार सुकुमार राय जिला महासचिव व जुझारू नेता के रूप में जाने जाते है। वहीं वाममोर्चा के कमजोर होने से इसका असर उम्मीदवार पर भी दिख रहा है। संयुक्त मोर्चा के रूप में नगेंद्रनाथ राय को खड़ा किया गया है। लेकिन इस बार लोग पलटाने के मूड में है। कूचबिहार दक्षिण
कुल मतदाता : 2 लाख33 हजार,408
कुल पोलिंग बूथ : 317
मिहिर गोस्वामी के भाजपा में जाने से तृणमूल पर असर : 22 साल तक तृणमूल के साथ कदमताल करने वाले मिहिर गोस्वामी पार्टी में उचित सम्मान नहीं मिलने के कारण विगत 27 नवंबर को भाजपा में शामिल हो गए। उनके साथ बहुत से पार्षद व पंचायत सदस्य भाजपा में शामिल हो गए। इसके कारण इस सीट पर तृणमूल कमजोर हुआ है। वैसे यह वाममोर्चा का गढ़ माना जाता है। 2011 में फारवर्ड ब्लॉक के अक्षय ठाकुर 2 हजार 863 वोट से विजयी हुए थे। बेदाग छवि वाले मिहिर गोस्वामी ने 2016 में दीदी को इस सीट से 18 हजार 932 वोट से विजय दिलायी थी। लोकसभा चुनाव में इस विधानसभा सीट से भाजपा 6 हजार 21 वोट से आगे थी। तृणमूल कांग्रेस ने इस बार अभिजीत दे भौमिक को उम्मीदवार बनाया है। उनकी छात्र व युवाओं के बीच अच्छा संपर्क है। लेकिन उनका प्रभा मंडल शहर तक सीमित है। वहीं भाजपा ने अपने जिला अध्यक्ष निखिल रंजन दे को उम्मीदवार बनाया है। वहीं भूषण सिंह के दल बदलने से पार्टी को नुकसान होगा। अब दो मई को पता चलेगा कि मिहिर गोस्वामी के भाजपा में शामिल होने से भाजपा इस सीट पर जीतती या जोड़ा फूल फिर खिलता है। शीतलकूची
कुल मतदाता : 2 लाख 84 हजार 933 मतदाता
कुल पोलिंग बूथ: 400
हितेन बर्मन को टिकट न देना तृणमूल का अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा : हितेन बर्मन ने 2011 व 2016 में तृणमूल को भारी मतों से विजय का फूल लेकर दीदी के झोली में दिया। लेकिन तीसरी बार बगैर किसी कारण से उन्हें बिठा दिया गया। कूचबिहार के जिलाध्यक्ष व पूर्व सांसद पार्थ प्रतिम राय को टिकट दिया गया। वैसे तृणमूल में उनकी अच्छी पैठ है। युवा नेता है। दीदी के प्रिय है। युवाओं के साथ उनका संपर्क अच्छा है। लेकिन फिर भी उनके नेतृत्व में पार्टी टूटी। जिला के बड़े नेताओं ने पाला बदला। हितेन बर्मन का एक वर्ग टिकट नहीं मिलने से झुब्ध है। वैसे पार्थ प्रतिम राय ने जमकर सभा की है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी पार्थ प्रतिम के लिए चुनावी सभा किया। वहीं भाजपा के बरेन बर्मन बेदाग व उच्च शिक्षित है। मुकाबला भाजपा व तृणमूल के बीच है। सिताई
कुल मतदाता : 2 लाख 90 हजार 326
कुल पोलिंग बूथ: 413
सिताई में त्रिकोणीय मुकाबला : सिताई विधानसभा सीट में इस बार जगदीश बर्मा बसुनिया फिर जीतना चाहेंगे। 2016 में वें 25 हजार 251 सीट से विजयी हुए थें। लोकसभा चुनाव में भी तृणमूल को भाजपा की तुलना में 34 हजार 661 वोट से आगे थी। तृणमूल की सांगठनिक शक्ति इस इलाके में मजबूत है। वहीं भाजपा उम्मीदवार दीपक राय फारवर्ड ब्लाक से भाजपा में गए है। भाजपा के पुराने नेता को टिकट नहीं दिया गया है। इसे लेकर पार्टी के भीतर गुटबाजी तेज है। वहीं संयुक्त मोर्चा ने 2011 के विजयी उम्मीदवार केशव राय को फिर चुनाव मैदान में उतारा है। यहां तीनों उम्मीदवार एक दूसरे पर भारी पर रहें है। मुकाबला काफी दिलचस्प होगा। दिनहाटा
कुल मतदाता : 2 लाख 98 हजार 423
कुल पोलिंग बूथ : 415
मुकाबला निशीथ प्रामाणिक व उदयन गुहा के बीच : दिनहाटा में मुकाबला काफी जोरदार है। भाजपा के लोकसभा सांसद निशीथ प्रामाणिक इस सीट पर चुनाव लड़ रहें है। एक समय तृणमूल के युवा नेता के रूप में चर्चित नेता ने कूचबिहार के राजनीति में भूचाल ला दिया। इलाके में बाहुबली नेता के रूप में जाने जाते है। पंचायत चुनाव से निशीथ प्रामाणिक का गुट व उदयन गुहा के गुट में 36 का आंकड़ा था। निशीथ प्रामाणिक के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह आदि बड़े नेताओं ने जमकर प्रचार किया। वहीं उदयन गुहा 2011 में फारवर्ड ब्लॉक के टिकट पर विजयी हुए थें। 2016 में 21 हजार 875 वोट से विजयी हुए। लेकिन लोकसभा चुनाव में दिनहाटा क्षेत्र में तृणमूल 15 हजार 539 वोट से पीछे थी। निशीथ प्रामाणिक को यहां से बंपर वोट मिला था। लेकिन दिनहाटा में तृणमूल कांग्रेस की गुटबाजी व आपसी हिंसा चरम पर है। दोनों के बीच इस बार जमकर मुकाबला होगा। वहीं संयुक्त मोर्चा से आब्दुल रउफ को खड़ा किया गया है। लेकिन सांगठनिक शक्ति उतनी मजबूत नहीं है। यदि उदयन गुहा तृणमूल के आपसी गुटबाजी को संभाल लेते है, तो वें हैट्रिक करेंगे। मदन मोहन की कृपा किसपर पड़ेगी यह दो मई को पता चलेगा। तूफानगंज
कुल मतदाता : 2 लाख33 हजार 870
कुल पोलिंग बूथ :322
फजल करीम मियां को बिठकार प्रणबकुमार को टिकट देना दीदी की भूल : इस बार तृणमूल ने स्थानीय व्यक्ति के सिटिंग विधायक फजल करीम मियां को टिकट न देकर बाहरी तृणमूल नेता प्रणबकुमार दे को टिकट दिया है। इसे लेकर शुरू से पार्टी में विरोध का सुर लग रहा है। फजल करीम मियां की अल्पसंख्यक वर्ग में काफी पैठ थी। उनपर कटमनी का वैसा मामला भी नहीं आया था। लेकिन इस बार उनपर दीदी की कृपा नहीं हुई। इसे लेकर पार्टी को नुकसान हो सकता है। वहीं भाजपा की उम्मीदवार व जिलाध्यक्षा मालती राभा तेज तर्रार है। हर आंदोलन में वें आगे देखी गयी है। महिलाओं का एक बहुत बड़ा वर्ग उन्हें पसंद करता है। यहां पर भाजपा की सांगठनिक शक्ति मजबूत है। तृणमूल की अपेक्षा भाजपा की अधिक सभा व रैलियां हुई है। लोकसभा चुनाव में भाजपा तूफानगंज में 7 हजार 486 वोट से आगे थी। इसबार यहां कमल फूल खिलता है या नहीं, यह दो मई को तय होगा।