पूर्व बर्द्धमान में तृणमूल को क्लीन स्वीप, सभी 16 सीटों पर जमाया कब्जा
बर्द्धमान पूर्व बर्द्धमान में भाजपा को कमल खिलाने का सपना अधूरा रह गया। तृणमूल ने यहां शानदार ज
बर्द्धमान : पूर्व बर्द्धमान में भाजपा को कमल खिलाने का सपना अधूरा रह गया। तृणमूल ने यहां शानदार जीत हासिल करते हुए सभी 16 सीटों पर जीत हासिल कर क्लीन स्वीप करने में सफलता मिली। वहीं माकपा अपनी दो सीट बचाने में भी यहां पूरी तरह विफल रही। पिछले वर्ष 2016 के चुनाव में जिले की 16 सीटों में तृणमूल कांग्रेस (तृकां) को 14 एवं दो सीटों पर माकपा को जीत हासिल हुई थी। वर्ष 2019 के चुनाव में पूर्व बर्द्धमान जिले की दो लोकसभा सीटों में भाजपा को बर्द्धमान-दुर्गापुर एक सीट पर जीत मिली थी, जबकि बर्द्धमान पूर्व सीट पर तृकां को जीत मिली थी। वहीं दिसंबर माह में मेदिनीपुर में भाजपा के कद्दावर नेता सह केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के मंच पर बर्द्धमान पूर्व के तृकां सांसद सुनील मंडल, मंतेश्वर विधानसभा क्षेत्र के विधायक सैकत पांजा एवं कालना के विधायक विश्वजीत कुंडू ने भाजपा का दामन थाम लिया था। विश्वजीत एवं सैकत को भाजपा ने टिकट भी दिया था। लेकिन उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में मात्र दो विधानसभा गलसी एवं कटवा में भाजपा को बढ़त मिली थी। वहां भी इस बार भाजपा को नुकसान हुआ।
पांडवेश्वर में लावदोहा ने पलट दी तृणमूल के लिए बाजी
दुर्गापुर : पांडवेश्वर विधानसभा सीट पर पांडवेश्वर ब्लॉक ने भाजपा का साथ दिया एवं तृणमूल कांग्रेस की परेशानी बढ़ा दी थी। लेकिन पांडवेश्वर सीट पर लावदोहा ब्लॉक के मतदाताओं ने इस बार भी बाजी पलट दी। पिछले बार वर्ष 2016 के चुनाव में भी पांडवेश्वर से तृणमूल को जीत दिलाने में लावदोहा के मतदाताओं ने अहम भूमिका निभाई थी एवं पांडवेश्वर में पीछे रहने के बाद भी जितेंद्र लावदोहा से जीते थे। इस बार भी वहीं चुनाव परिणाम लावदोहा में आया।
पांडवेश्वर ब्लॉक की मतगणना आरंभ में हुई। जहां आरंभ से लेकर 17 राउंड तक जीतेंद्र तिवारी बढ़त बनाए हुए थे। बारह राउंड से जीत का अंतर कम हो गया। वहां से लावदोहा के मतों की गिनती शुरू हुई एवं 18वें राउंड में नरेंद्र बढ़त बनाने में सफल हुए। वहां से उनका बढ़त बढ़ता गया एवं अंत में तकरीबन चार हजार मतों से जीत हासिल की। 18 से 21 राउंड तक नरेंद्र के लिए खुशी की खबर लेकर आया। यही स्थिति वर्ष 2016 के चुनाव में देखने को मिली थी। जीतेंद्र को भी अंदर ही अंदर लावदोहा में डर था। इस कारण वे पांडवेश्वर में कम से कम 10 हजार से अधिक मतों से बढ़त बनाने की सोच रहे थे, लेकिन उनकी सोच पांडवेश्वर में सफल नहीं हुई।
संजय यादव को निर्दलीय उतारना भी पड़ा भारी : पांडवेश्वर सीट पर संजय यादव निर्दलीय मैदान में उतरे थे। जो जितेंद्र के करीबी माने जाते थे। चुनाव मैदान में रहने के बावजूद संजय ने हमेशा जितेंद्र का साथ दिया। इससे अनुमान किया जा रहा था कि जितेंद्र ने कुछ रणनीति के तहत संजय को मैदान में उतारा था। हालांकि उनकी यह रणनीति भी नुकसान कर गई। संजय को 2270 वोट मिल गया।