दुर्गापूजा खत्म होते ही मिट्टी दीया बनाने में जुटे कुम्हार
रेलपार दुर्गापूजा खत्म होते ही मिट्टी के बर्तन बनानेवाले कुम्हार अब दीपावली के लिए दीया बन
रेलपार : दुर्गापूजा खत्म होते ही मिट्टी के बर्तन बनानेवाले कुम्हार अब दीपावली के लिए दीया बनाने की तैयारी में जुट गए हैं। रोशनी और प्रकाश के पर्व दीपावली में अब कुछ दिन ही बचे हैं। दीपावली में मिट्टी के दीया जलाने की पुरानी परंपरा है, लेकिन आजकल बाजार में रोशनी के लिए रंग-विरंग के बल्ब, झालर भी उपलब्ध हैं। इसके बावजूद लोग अपनी पुरानी परंपरा को नहीं भूले हैं। लोग आज भी अपने घरों में मिट्टी के दीया जलाते हैं। जिसे लेकर मिट्टी के बर्तन बनानेवाले कुम्हार दीपावली के आने से पूर्व दीया बनाने में जुट जाते हैं। इस बारे में गोपाल नगर निवासी शंभू कुम्हार का कहना है कि आधुनिक समय में लोग कम ही दीया जलाते हैं, इसके बावजूद मिट्टी के दीया की मांग बाजार में है। उन्होंने बताया कि पुश्तैनी धंधा होने के कारण वह इससे जुड़े है, वैसे इस धंधे में पहले जैसी आमदनी नहीं है। मिट्टी महंगी खरीदनी पड़ती है, 800 रुपये ट्रैक्टर मिट्टी आती है। दीपावली में बाजार में दुकान लगाने के लिए पार्किग वाले 300 रुपये प्रतिदिन वसूलते हैं। उन्होंने कहा कि आसनसोल नगर निगम प्रशासन दीपावली में जीटी रोड के किनारे निशुल्क दुकान लगाए जाने की अनुमति दे, पार्किगवाले दुकान लगाने के लिए कोई वसूली नहीं करें। शंभू पंडित ने बताया कि बड़े दीया पांच रुपये में एक व छोटा दीया 80 रुपये में 100 है। मिट्टी की गुड़िया की कीमत एक पीस की 20 रुपये, खाना बनाने के मिट्टी के बर्तन की कीमत 20 रुपये पैकेट है। जिसे बच्चे घरौंदा सजाने के लिए खरीदते हैं।