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लाल दुर्ग को भेदने पूरी ताकत लगा रही भाजपा व तृणमूल

राकेश प्रदीप उपाध्याय आसनसोल शिल्पांचल के लाल दुर्ग के रूप में परिचित जामुड़िया विधानसभा क्ष्

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Apr 2021 05:31 PM (IST)Updated: Thu, 22 Apr 2021 05:31 PM (IST)
लाल दुर्ग को भेदने पूरी ताकत लगा रही भाजपा व तृणमूल

राकेश प्रदीप उपाध्याय, आसनसोल:

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शिल्पांचल के लाल दुर्ग के रूप में परिचित जामुड़िया विधानसभा क्षेत्र माकपा का अभेद्य दुर्ग है। यह 2011 की परिवर्तन की लहर में भी अभेद्य रहा था। तृणमूल कांग्रेस (तृकां) ने इस दुर्ग पर कब्जा करने का लाख प्रयास किया, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। इस बार भाजपा यहां कमल फूल और तृकां जोड़ा फूल खिलाने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा रही है। अब देखना है कि 1977 से माकपा के कब्जे में रहने वाली इस सीट पर माकपा अपना कब्जा बरकरार रख पाती है या फिर कमल या जोड़ा फूल को कामयाबी मिलती है। कांग्रेस का साथ मिलने से माकपा उत्साहित भी है। हालांकि इस बार यहां का मौसम कुछ बदला बदला नजर आ रहा है। ग्रामीण इलाकों में जय श्रीराम का नारा गूंजने लगा है। भले ही पोस्टर, बैनर में भाजपा पीछे हो, लेकिन यहां के लोगों के दिलों दिमाग में भाजपा की छाप दिखाई देती है। बंगाल में सत्ता परिवर्तन का नारा दे रही भाजपा की ओर से केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष यहां सभा कर चुके हैं। इस विधानसभा क्षेत्र के समीप ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा भी हो चुकी है। माकपा के वरिष्ठ नेता सूर्यकांत मिश्रा की भी यहां सभा हो चुकी है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की प्रचार के अंतिम दिन 23 अप्रैल को सभा है। प्रतिष्ठा की जंग ने इस विधानसभा क्षेत्र के मुकाबले को रोचक बना दिया है। वामफ्रंट ने यहां से दिल्ली यूनिवर्सिटी की चर्चित आइशी घोष को मैदान में उतारा है। भाजपा ने तापस राय पर किला फतह करने के लिए दांव लगाया है। तृकां ने श्रमिक नेता हरेराम सिंह पर भरोसा जताया है। 2016 के विधानसभा चुनाव में माकपा की जहांआरा खान को यहां से जीत मिली थी। इस बार माकपा ने युवा चेहरे को प्राथमिकता देते हुए आइशी घोष पर दांव खेला है। इस विधानसभा क्षेत्र में पानी की समस्या से लोग परेशान हैं। दस साल से राज्य की सत्ता में रहने वाली तृकां ने इस समस्या का समाधान नहीं किया। इसके साथ ही दशकों तक वाम ने यहां शासन किया, लेकिन पानी समस्या का समाधान नहीं हुआ। कवि गुरु नजरुल के गांव चुरुलिया की हालत भी दयनीय है। ग्रामीण अंचल में सड़क व यातायात के साधन की कमी से यहां के लोगों में सत्ता दल के खिलाफ नाराजगी है।

1957 में गठित जामुड़िया विधानसभा क्षेत्र में 1957 व 1962 के चुनाव में अमरेंद्र नाथ मंडल ने जीत दर्ज की थी। वहीं 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी की तीनकौड़ी मंडल विधायक बने थे। 1969 में अमरेंद्र मंडल पुन: कांग्रेस की टिकट पर विधायक बने थे। इसी तरह माकपा के दुर्गादास मंडल ने 1971 के चुनाव में जीत दर्ज कर यहां लाल झंडे का परचम फहराया था। लेकिन 1972 में पुन: कांग्रेस के अमरेंद्र मंडल ने यह सीट माकपा से छीन ली थी। 1977 में कांग्रेस से इस सीट को जीतकर माकपा ने फिर से यहां लाल परचम फहराया। यह सिलसिला 2016 के चुनाव तक बरकरार है। इसी कारण इसे माकपा का लाल दुर्ग भी कहा जाता है। 1977 से 1991 तक माकपा के विकास चौधरी लगातार चार बार यहां से चुनाव जीते थे। 1996 व 2001 में माकपा के पेलव कवि, 2006 में माकपा के धीराजलाल हाजरा, 2011 व 2016 में माकपा की जहांआरा खान विधायक बनीं। लेकिन माकपा ने इस बार यहां से जहांआरा खान को टिकट न देकर दिल्ली यूनिवर्सिटी की चर्चित आइशी घोष को टिकट दिया है।


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