ईसाई व बुद्ध पंथ के प्रति संकीर्ण थीं सिस्टर निवेदिता
आसनसोल: आसनसोल काजी नजरूल विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग की ओर से मंगलवार को सेमिनार का आयो
आसनसोल: आसनसोल काजी नजरूल विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग की ओर से मंगलवार को सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार के दौरान अंग्रेजी, ¨हदी और बांग्ला भाषा में निवेदिता एक अन्य अनुसंधान विषय पर विस्तार पूर्वक चर्चा की गई।
केएनयू के विद्या चर्चा भवन में आयोजित सेमिनार का उद्घाटन विवि के कुलपति डॉ. साधन चक्रवर्ती ने किया। सेमिनार को संबोधित करते हुए कुलपति डॉ. चक्रवर्ती ने कहाकि वर्ष 1985 में विवेकानंद से प्रेरित होकर सिस्टर निवेदिता भारत पहुंची थी। यहां रहते-रहते उनका भारत के साथ गहरा नाता हो गया था। उन्होने भारत आकर क्या सीखा और देश को क्या सिखाया इस पर गहन ¨चतन करने की जरूरत है। उनके द्वारा लिखी गई पुस्तक द वेव ऑफ इंडिया लाइफ से बहुत कुछ सीख मिलती है। इसमें उन्होंने लिखा है कि भारत का विचार महान है। इसी विचार को लेकर चलना होगा। इस सेमिनार के माध्यम से निवेदिता की भारत भावना को जानने का मौका मिला है। डॉ. विजय कुमार भारती ने कहाकि ¨हदू जागरण संघ की पत्रिका में लिखा है कि सिस्टर निवेदिता ईसाई और बुद्ध पंथ के प्रति संकीर्ण थी। सिस्टर निवेदिता ने रविन्द्रनाथ की कई लेखनी को पुस्तक के रुप में लिखा है। निवेदिता सिर्फ हिन्दू विचारधारा ही नहीं बल्कि भारतीय कला, साहित्य का भी पुनरुद्धार चाहती थी। निवेदिता की लेखनी नारियों के उत्थान के साथ सत्ताधारियों का पर्दाफाश भी करती है। सेमिनार के दौरान केएनयू के डीन डॉ. विजय कुमार भारती, अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ. सजल कुमार भट्टाचार्य, वर्द्धमान विवि के बांग्ला विभाग के प्रोफेसर डॉ. शिवव्रत चट्टोपाध्याय, शिशिर राय, रिसर्च एसोसिएट आईएससीएस कोलकाता अर्नव नाग, कला भवन विश्व भारती शांतिनकेतन से सुशोभन अधिकारी, आशुतोष कॉलेज कोलकाता से डॉ. दीपा बंदोपाध्याय, सेमिनार के संचालक सह केएनयू के सहायक प्रोफेसर डॉ. सांतनु बनर्जी, डॉ. अ¨नदया शेखर पुरकायस्त मौजूद थे।