कारखाना कैंटीन में मालिक ने मांगा रुपया तो कर दी पिटाई
दुर्गापुर शहर के कोकोवेन थानांतर्गत सागरभांगा कैंटीन में दादागिरी की घटना सामने आई ह
दुर्गापुर : शहर के कोकोवेन थानांतर्गत सागरभांगा कैंटीन में दादागिरी की घटना सामने आई है। जहां कैंटीन में लोगों ने खाना खाया, जब रुपया मांगा तो कैंटीन संचालक एवं उसके भतीजे की पिटाई कर दी। दोनों को गंभीर हालत में बांकुड़ा सम्मेलिनी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। इस घटना को लेकर श्रमिकों में भी आक्रोश है। कुछ श्रमिकों ने कारखाना गेट पर सुरक्षा की मांग को लेकर प्रदर्शन भी किया।
बताया जाता है कि पिछले चार-पांच वर्षो से नित्यानंद रजक, गौर रजक नामक भाई कारखाना में कैंटीन चला रहे हैं। रात तकरीनब नौ बजे 10-12 लोग कारखाना के अंदर स्थित कैंटीन में खाने के लिए पहुंचे। जहां खाने के समय ही विवाद किया एवं मारपीट शुरू कर दी। उस समय नित्यानंद एवं उनके भतीजे कैंटीन में कुछ कर्मियों के साथ थी। उनलोगों ने दोनों की पिटाई की एवं कैंटीन में तहस-नहस कर दिया। गैस सिलेंडर को भी पलट दिया। जिसके बाद वे लोग फरार हो गए। हमलावरों में कई लोग बाहरी थे। कारखाना के अंदर कैसे वे प्रवेश किए, यह भी एक प्रश्न बना हुआ है। रात में उन्हें इलाज के लिए दुर्गापुर के अस्पताल में ले जाया गया, वहां से फिर परिवारवाले बांकुड़ा ले गए। रविवार की सुबह कुछ श्रमिकों ने कारखाना में सुरक्षा की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। नित्यानंद ने कहा कि कुछ दिन पहले एक श्रमिक खाने के बाद रुपया देना नहीं चाह रहा था। दबाव देने पर वह बाद में रुपया देने की बात कह कर चला गया। शनिवार की रात वह दलबल के साथ कैंटीन में पहुंचकर हंगामा किया।
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जख्मी को माकपा-भाजपा ने अपना समर्थक बताया : कैंटीन के मालिक नित्यानंद एवं उनके परिवारवालों को भाजपा व माकपा ने अपना समर्थक बताया है। भाजपा नेता अमिताभ बनर्जी ने कहा कि गौर एवं उसका परिवार भाजपा के सक्रिय कर्मी हैं। जबकि माकपा नेता पंकज राय सरकार ने हमले की निदा की है एवं नित्यानंद को माकपा समर्थक बताया है। हालांकि तृकां विधायक सह तृणमूल ट्रेड यूनियन नेता विश्वनाथ पड़ियाल ने कहा कि इस घटना में राजनीति नहीं है। कारखाना में घुसकर हमले की घटना को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पुलिस को सीसीटीवी जांच कर कार्रवाई करनी चाहिए।
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अस्पतालों का चक्कर लगाते रहे परिजन : हमले की घटना में नित्यानंद एवं उसके भतीजे जख्मी हुए। दुर्गापुर के किसी अस्पताल ने उन्हें भर्ती नहीं लिया। वे लोग आइक्यू सिटी अस्पताल गए, महकमा अस्पताल गए। लेकिन उन अस्पतालों ने उन्हें अन्य अस्पताल जाने की सलाह दी। जिसके कारण रात भर परिवारवाले अस्पतालों में भटकते रहे। अंत में वे लोग बांकुड़ा सम्मेलिनी मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे।