Move to Jagran APP

श्रमिकों की मदद से हरेराम ने ध्वस्त किया लाल किला

संवाद सूत्र जामुड़िया जामुड़िया विधानसभा क्षेत्र में पिछले 44 वर्ष से माकपा का लाल किला था। उस

By JagranEdited By: Published: Sun, 09 May 2021 09:01 PM (IST)Updated: Sun, 09 May 2021 09:01 PM (IST)
श्रमिकों की मदद से हरेराम ने ध्वस्त किया लाल किला
श्रमिकों की मदद से हरेराम ने ध्वस्त किया लाल किला

संवाद सूत्र, जामुड़िया : जामुड़िया विधानसभा क्षेत्र में पिछले 44 वर्ष से माकपा का लाल किला था। उस लाल किले को ध्वस्त कर जोड़ा फूल खिलाने में हरेराम सिंह सफल रहे। इस जीत के लिए एक तरफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का मैजिक मददगार हुआ। वहीं श्रमिक बहुल क्षेत्र में हरेराम सिंह श्रमिक नेता की तस्वीर ने भी मदद की। इसका नतीजा है कि हरेराम सिंह ने असंभव को संभव कर दिखाया।

loksabha election banner

जब तृणमूल कांग्रेस की ओर जामुड़िया से हरेराम सिंह के नाम की घोषणा हुई। उस समय से ही विरोधी तो दूर तृणमूल के लोग भी मान रहे थे, यहां तृणमूल तीसरे नंबर पर रहेगी। लेकिन चुनाव में ममता बनर्जी का मैजिक चला। वहीं हरेराम सिंह की श्रमिक नेता की छवि भी जीत में सहायक बनी। उनकी जीत के बाद एक ओर जहां तृणमूल खेमे में उत्सव का माहौल है, वहीं दूसरी ओर भाजपा एवं माकपा अपनी हार के कारणों का मंथन कर रही है।

माकपा ने अपनी परंपरागत इस सीट से अपनी जीत सुनिश्चित मान रही थी, इस कारण छात्र नेत्री आइशी घोष को मैदान में उतारा था।माकपा के लिए पूरे जिले में जामुड़िया सीट ही सबसे सहज थी। वहीं भाजपा ने जामुड़िया से अपने पूर्व जिलाध्यक्ष तापस राय को मैदान में उतारा था। लेकिन बाजी हरेराम सिंह मार ले गए। हरेराम सिंह कोयला खदान श्रमिक कांग्रेस के महामंत्री है, संगठन को उन्होंने ईसीएल में नंबर एक के मुकाम पर पहुंचाया है। वे हमेशा मजदूर हक के लिए तत्पर रहे। यही कारण है कि वहां के लोगों ने भी उनका साथ दिया। अब उनके समक्ष मजदूरों को हक दिलाने की चुनौती है। जामुड़िया अंचल जहां छोटे-बड़े दर्जनों कल-कारखाने है। वहां श्रमिकों की कई समस्या है, स्थानीय लोगों को काम दिलाने का मुद्दा भी अहम है। क्योंकि कारखाने से निकलने वाले प्रदूषण की मार श्रमिकों को सहन करना पड़ता है, जो क्षेत्र की बड़ी समस्या है। मजदूरों को सरकार निर्धारित पगार भी नहीं मिलती है एवं शोषण होता है।

जामुड़िया क्षेत्र के एक तिहाई जनता कल-कारखानों में कार्य कर अपनी जीविका चलाता है। साथ ही जामुड़िया में दर्जनों की संख्या में कोयला खदानें है। जिनमें हजारों की संख्या में कोयला मजदूर कार्यरत है। इस कारण जामुड़िया को श्रमिक बहुत क्षेत्र माना जाता है। अब उन श्रमिकों के विश्वास पर खरा उतरना हरेराम सिंह के लिए चुनौती होगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.