दीदी के विकास का रहेगा जोर या मोदी की योजनाएं पड़ेंगी भारी
आसनसोल लोकसभा उपचुनाव 12 को
दीदी के विकास का रहेगा जोर या मोदी की योजनाएं पड़ेंगी भारी
राकेश प्रदीप उपाध्याय, आसनसोल
आसनसोल लोकसभा उपचुनाव की तारीख जैसे-जैसे करीब आती जा रही है, क्षेत्र में दीदी का विकास और मोदी की योजनाओं का ही शोर चारों ओर सुनाई दे रहा है। चुनावी मैदान में इस बार दीदी के समर्थक राज्य सरकार की विकास योजनाओं के माध्यम से हर घर-मोहल्ले तक पहुंची सुविधाओं का जिक्र कर मतदाताओं को लुभाने का प्रयास कर रहे हैं। साथ ही आसनसोल में विश्वविद्यालय, सीबीआइ कोर्ट, हिंदी कालेज, हिंदी में प्रश्नपत्र का बखान कर रहे हैं। दूसरी ओर भाजपा कार्यकर्ता केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाएं का जिक्र कर रहे हैं। वे मतदाताओं को यह भी बताने का प्रयास कर रहे हैं कि इन योजनाओं को राज्य सरकार लागू नहीं करने दे रही है, जिससे इसका लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा। मतदान 12 अप्रैल को होना है जबकि परिणाम 16 अप्रैल को आएंगे।
इसके पहले 2014 में इस लोकसभा क्षेत्र से बंगाल में ममता की लहर के बावजूद भाजपा के बाबुल सुप्रियो ने विजय की माला पहनी थी। टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी को आसनसोल संसदीय सीट जीतने का इतना दृढ़ विश्वास था कि अपनी सबसे विश्वासी साथी दोला सेन को कोलकाता से लाकर यहां चुनाव लड़ाया था, लेकिन वह हार गईं। 2019 में ममता बनर्जी ने बांकुड़ा के दिग्गज माकपा नेता को धूल चटाने वाली अभिनेत्री मुनमुन सेन को मैदान में उतारा, लेकिन वह भी आसनसोल की धरती पर कोई करिश्मा नहीं दिखा सकी और बाबुल सुप्रियो से चुनाव हार गई। लगातार दो बार हार के बाद इस सीट को टीएमसी ने अपने लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया। दूसरी ओर भाजपा को यकीन है कि मोदी सरकार की योजनाएं आसनसोल में इस बार भी कमल खिलाने की राह में मददगार होगी। गरीबों को गैस सिलेंडर दिए गए हैं। भाजपाई उज्ज्वला की सियासी लौ को तेज करने में लगे हुए हैं, हालांकि टीएमसी इसे छलावा बता कह रही है। इस बार टीएमसी नेताओं का एक ही लक्ष्य है कि वर्ष 2022 में दीदी की झोली में आसनसोल संसदीय सीट डालना है। टीएमसी राज्य सरकार की कन्याश्री, निजश्री, शिक्षाश्री, सबुज साथी जैसी आम आदमी से से जुड़ी योजनाओं को भुनाने में लगी है।
आसनसोल को मिनी कोलकाता कहा जाता है। औद्योगिक अंचल होने के साथ ही राज्य के राजस्व में जिले की बड़ी हिस्सेदारी होती है। यहां हिंदी भाषी बहुसंख्यक है जो संसदीय राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाते है। हिंदी भाषी मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए टीएमसी सुप्रीमो ने इस बार बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा को मैदान में उतारा है। शत्रुघ्न सिन्हा के खिलाफ भाजपा की विधायक अग्निमित्रा पाल मैदान में डटी है। माकपा से पार्थ मुखर्जी माकपा की पुरानी प्रतिष्ठा बचाने के लिए मैदान में है।
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2019 का चुनाव परिणाम
प्रत्याशी दल प्राप्त मत
बाबुल सुप्रियो भाजपा 633378
मुनमुन सेन टीएमसी 435741
गौरांग चटर्जी माकपा 87608
विश्वरूप मंडल कांग्रेस 21038
संदीप सरकार बीएसपी 7860
अभिषेक कु सिंह शिवसेना 5761
अमरनाथ चौधरी एसयूसीआइ 4383
मो. जहीर आलम बीएमयूपी 12677
काजल बनर्जी निर्दलीय 5176
स्वराज दास निर्दलीय 10066
नोटा- 14447
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कुल - 1238135